बुधवार, 31 जनवरी 2018

मरने के बाद भी यूं लिपटे थे प्रेमी-प्रेमिका, लिखा- ये दुनिया, ये महफिल, काम की नहीं

मरने के बाद भी यूं लिपटे थे प्रेमी-प्रेमिका, लिखा- ये दुनिया, ये महफिल, काम की नहीं


सांगरिया/हनुमानगढ़. एक प्रेमी जोड़े ने सोमवार अलसुबह संगरिया-सादुलशहर रोड पर स्थित सार्दुल ब्रांच पुल के निकट नहर में छलांग लगाकर जान दे दी। प्रेमी- प्रेमिका दोनों शादीशुदा थे। महिला दो छोटी बच्चियों की मां है। खास बात यह रही कि दोनों एक साथ कमर पर रस्सी को बांध कर कूदे थे। नहर से दोनों के शव एक-दूसरे लिपटी हालत में निकाले गए। मौके से सुसाइड नोट भी मिला है जिसमें लिखा है ये दुनिया, ये महफिल , मेरे काम की नहीं..
मरने के बाद भी यूं लिपटे थे प्रेमी-प्रेमिका, लिखा- ये दुनिया, ये महफिल, काम की नहीं



- दोनो संगरिया के निकटवर्ती बोलावाली गांव के एक ही वार्ड के रहने वाले थे। पुलिस के अनुसार सुलोचना (30) व भीमसेन उर्फ विजेंद्र जाट(25) पुत्र बीरबल अलसुबह बाइक से सार्दुल नहर पर गए।

- बाइक नहर के किनारे खड़ी करके दोनों ने पहले रस्सी से एक-दूसरे को बांधा, फिर नहर में छलांग लगा दी। राहगीरों ने इसकी सूचना पुलिस को दी।

- सूचना मिलते ही डीएसपी देवानंद, सीआई मोहरसिंह पूनियां, एएसआई रामकुमार, सरपंच ढाबां गुरपास सिंह बराड व परिज न मौके पर पहुंचे और गोताखोरों को बुलाकर दोनों की तलाश शुरू करवाई।

- करीब साढ़े आठ घंटे बाद दोनों का शव बरामद हुआ। दोनों के शव आपस में रस्सी से बंधे हुए थे । सुलोचना के दो बच्चियां हैं। एक बच्ची छह माह की तो दूसरी पांच साल की है।

सुसाइड नोट मिला

हम दोनों उस दुनिया में जा रहे हैं, जहां की दुनिया बहुत खूबसूरत है। जहां किसी की रोक टोक नहीं है। हम दोनों एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करते हैं। हमारे दोनों के पीछे शिकारी लगे हुए हैं। हम जान दे रहे हैं इसके लिए किसी को दोषी नहीं माना जाए। हमारी मौत के लिए कोई और जिम्मेदार नहीं है। हम खुद अपनी जान दे रहे है। हम एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। मिलके बिछुडना दस्तूर है जिंदगी का, एक ही किस्सा मशहूर है जिंदगी का। बीते हुए पल वापिस लौटकर नही आते, एक ही किस्सा मशहूर है जिंदगी का। ...ये दुनिया, ये महफिल , मेरे काम की नहीं..अलविदा दोस्तों ...विजेंद्र

(घटनास्थल पर मिले सुसाइड नोट में य ह बातें लिखी हुई थी)

ऐसे लगा पता




- सुलोचना का पति खेतों में सुबह पानी देने गया था। वह घर लौटा तो सुलोचना वहां नहीं थी। इस पर उसने घरवालों से पूछताछ की तो किसी को भी उसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। घरवालों ने तलाश शुरू की। खेतों से होते हुए सुलाचेना का जेठ सादुलपुर ब्रांच (नहर) किनारे तक पहुंच गया। वहां एक बाइक खड़ी थी। बाइक पर एक चुन्नी रखी थी। शक होने पर बाइक देखी तो उसमें दो मोबाइल थे। इसके अलावा एक रुमाल व कुछ खुल्ले पैसे भी थे। बाइक के बैग में भीमसेन का लिखा एक लैटर भी मिला। लैटर में लिखा है, मैं और सुलाेचना एक दूसरे से प्यार करते हैं। हम जान दे रहे हैं इसके लिए किसी को दोषी नहीं माना जाए। जेठ ने फोन कर घरवालों को वहां बुला लिया। थोड़ी देर में वहां ग्रामीण आ जुटे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें