31 जनवरी को साल का पहला चंद्र ग्रहण, रखें इन बातों का ध्यान
भोजन करने का समय
चन्द्र ग्रहण बेध (सूतक) का समय सुबह 8.17 तक है। भोजन कर लें। बूढ़े, बच्चे, रोगी और गर्भवती महिला आवश्यकतानुसार दोपहर 11.30 बजे तक भोजन कर सकते हैं। रात्रि 8.42 पर ग्रहण समाप्त होने के बाद पहने हुए वस्त्रों सहित स्नान और चन्द्रदर्शन कर भोजन आदि कर सकते हैं।
ग्रहण पुण्यकाल
जिन शहरों में शाम 5.17 के बाद चन्द्रोदय है, वहां चन्द्रोदय से ग्रहण समाप्ति (रात्रि 8.42) तक पुण्यकाल है। जैसे अमदावाद का चन्द्रोदय शाम 6.21 से ग्रहण समाप्त रात्रि 8.42 तक पुण्यकाल है।
शहरों का स्थान और चन्द्रोदय
नीचे कुछ मुख्य शहरों का चन्द्रोदय दिया जा रहा है, उसके अनुसार अपने-अपने शहरों के ग्रहण के पुण्यकाल को जानकर अवश्य लाभ लें। इलाहाबाद (शाम 5.40), अमृतसर (शाम 5.58), बेंगलुरू (शाम 6.16), भोपाल (शाम 6.02), चंडीगढ़ (शाम 5.52), चेन्नई (शाम 6.04), कटक (शाम 5.32), देहरादून (शाम 5.47), दिल्ली (शाम 5.54), गया (शाम 5.27), हरिद्वार (शाम 5.48), जालंधर (शाम 5.56), कोलकत्ता (शाम 5.17), लखनऊ (शाम 5.41), मुजफ्फरपुर (शाम 5.23), नागपुर (शाम 5.58), नासिक (शाम 6.22), पटना (शाम 5.26), पुणे (शाम 6.23), राँची (शाम 5.28), उदयपुर (शाम 6.15), उज्जैन (शाम 6.09), वड़ोदरा (शाम 6.21), कानपुर (शाम 5.44)। इन स्थानों के अतिरिक्त अधिकांश स्थानों में पुण्यकाल का समय लगभग शाम 5.17 से रात्रि 8.42 के बीच का रहेगा।
ग्रहण के समय इन बातों का रखें ध्यान
ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियां डाल दी जाती हैं, वह पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।
सामान्य दिन से चन्द्र ग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना। यदि गंगा-जल पास में हो तो वह चन्द्र ग्रहण में एक करोड़ गुना फलदायी होता है।
ग्रहण-काल जप, दीक्षा, मंत्र-साधना (विभिन्न देवों के निमित्त) के लिए उत्तम काल है।
ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।
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