शनिवार, 23 दिसंबर 2017

पचमठा मंदिर: यहां एक दिन में तीन रंगों में नजर आती है मां लक्ष्‍मी की मूर्ति

पचमठा मंदिर: यहां एक दिन में तीन रंगों में नजर आती है मां लक्ष्‍मी की मूर्ति

पचमठा मंदिर: यहां एक दिन में तीन रंगों में नजर आती है मां लक्ष्‍मी की मूर्ति
आज आपको बताते हैं मां लक्ष्‍मी के ऐसे मंदिर के बारे में जिसके बारे में प्रसिद्ध है कि ये दिन में तीन बार अपना रंग बदल लेती है।

रंग बदलती प्रतिमा का मंदिर




मध्‍यप्रदेश के जबलपुर में स्‍थित पचमठा मंदिर कई मायनों में अनोखा है। इस मंदिर में कई देवी देवताओं की प्रतिमा स्‍थापित है। यहां राधाकृष्‍ण का विशेष उत्‍सव भी होता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है यहां स्थापित मां लक्ष्मी की प्राचीन प्रतिमा के बारे में एक विचित्र कथा प्रचलित हैं। इस मंदिर में आने वाले भक्‍तों और पुजारियों का कहना है कि यहां स्‍िथत प्रतिमा दिन में तीन बार रंग बदलती है। कुछ लोग केवल इसी का अनुभव करने के लिए ही पचमठा मंदिर आते हैं। दर्शनार्थियों के अनुसार प्रात: काल में प्रतिमा सफेद, दोपहर में पीली और शाम को नीली हो जाती है।मां लक्ष्मी का ये अद्भुत मंदिर गोंडवाना शासन में रानी दुर्गावती के विशेष सेवापति रहे दीवान अधार सिंह के नाम से बने अधारताल तालाब में करवाया गया था। इस मंदिर में अमावस की रात भक्तों का तांता लगता है। पचमठा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर एक जमाने में पूरे देश के तांत्रिकों के लिए साधना का विशेष केन्द्र हुआ करता था। कहा जाता है कि मंदिर के चारों तरफ श्रीयंत्र की विशेष रचना है।

1100 साल पहले बना था




मंदिर के पुजारियों का कहना है कि इसका निर्माण करीब 11 सौ साल पूर्व कराया गया था। मंदिर के अंदरूनी भाग में लगे श्रीयंत्र की अनूठी संरचना के बारे में भी हमेशा चर्चा की जाती है। साथ ही एक और खास बात इस मंदिर से जुड़ी है जिसके अनुसार आज भी सूर्य की पहली किरण मां लक्ष्मी की प्रतिमा के चरणों पर पड़ती है।









शुकवार का विशेष महत्‍व




मंदिर में हर शुक्रवार विशेष भीड़ रहती है। कहा जाता है कि सात शुकवार यहॉ पर आकर मां लक्ष्‍मी के दर्शन कर लिये जाएं तो हर मनोकामना पूरी हो जाती है। मंदिर के कपाट केवल रात को छोड़ कर हर समय खुले रहते हैं। सिर्फ दीपावली को ऐसा होता है जब पट रात में भी बंद नहीं होते।

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