शनिवार, 30 दिसंबर 2017

देवर को तड़पता देखना चाहती थी भाभी, मौत के बाद किसी ने नहीं देखी इसकी शक्ल

देवर को तड़पता देखना चाहती थी भाभी, मौत के बाद किसी ने नहीं देखी इसकी शक्ल
देवर को तड़पता देखना चाहती थी भाभी, मौत के बाद किसी ने नहीं देखी इसकी शक्ल

कुरुक्षेत्र-पिहोवा.सारसा गांव में तीन बच्चों की हत्या करने वाले आरोपी चाचा जगदीप ने गुरुवार देर शाम जेल के बाथरूम में सुसाइड कर लिया। शुक्रवार को जगदीप का पोस्टमॉर्टम करवाया गया। वहीं जगदीप का शव भी लेने से साफ इंकार कर दिया। इस बीच जगदीप की भाभी सुमन का कहना है कि जगदीप सुसाइड केस की जांच होनी चाहिए। क्योंकि अचानक जगदीप के मरने की खबर उसके गले नहीं उतर रही। सुमन का कहना है कि वह जगदीप को जेल में तड़पते हुए देखना चाहती थी। उसे शक है कि जेल में उसकी हत्या की।पत्नी से लेकर घर वालों ने भी नहीं देखी जगदीप की आखिरी बार शक्ल...

- शुक्रवार देर शाम तक शव लेने के लिए कोई नहीं पहुंचा। जगदीप के प्रति पूरे गांव में नफरत का माहौल है। परिवार भी उसकी शक्ल तक देखने को तैयार नहीं हुआ।

- हालांकि बताया जाता है कि गुरुवार रात को उसकी मौत की खबर मिलने पर एक मर्तबा मां व पत्नी रीना रो पड़ी। घर में इस वारदात के बाद से ही एक तरह से मातम का माहौल था, जो मौत की खबर से और गहरा गया।

- घरवालों ने पंचायत के फैसले से सहमति जताई। पंचायत में निर्णय लिया कि गांव में जगदीप का अंतिम संस्कार नहीं होने दिया जाएगा। संस्कार से गांव के श्मशान में उसके लिए एक इंच जमीन भी नहीं दी जाएगी।

- पंचायत में मौजूद गांववालोंने बताया कि पंचायत ने निर्णय लिया है कि उसकी मौत पर कोई शोक नहीं जताएगा। पत्नी रीना व उसके मायके वालों ने भी इसका समर्थन किया।

सोनू ने नहीं देखी शक्ल

- जगदीप के साथ ही सोनू भी जिला कारागार में बंद है। दोनों को गत चार दिसंबर को जगदीप की रिमांड अवधि खत्म होने के बाद जेल भेजा गया था।

- गुरुवार शाम को उसकी मौत के बाद जेल प्रबंधन ने सोनू को बताया। लेकिन सोनू ने साफ इंकार कर दिया कि वह उसकी शक्ल भी देखना नहीं चाहता।




दोनों पर बराबर नजर, कर गया सुसाइड

दोनों चार दिसंबर से जेल में बंद थे। हालांकि दोनों को अलग अलग बैरकों में रखा गया। जगदीप दो नंबर तो सोनू तीन नंबर ब्लाक में था।

हालांकि दिन में सभी कैदियों की तरह परिसर में ये खुले रहते थे। लेकिन सोनू ने कभी उससे बात तक नहीं की।

- जेल सुपरिटेंडेंट सुभाषचंद्र के मुताबिक जेल प्रबंधन लगातार दोनों पर नजर रखे हुए था। डर था कि कहीं दोनों आपस में न भिड़ जाएं।

- वहीं यह भी आशंका रहती थी कि दूसरे कैदी इन्हें घृणा के चलते कोई नुकसान न पहुंचा दें। गुरुवार शाम को टायलेट में जगदीप ने आत्महत्या कर ली।

तहसील पहुंच नाम कराई जमीन

- एक तरफ शुक्रवार को एलएनजेपी हॉस्पिटल में पुलिस प्रशासन जगदीप के शव का पोस्टमार्टम कराने को परिजनों व गांववालो का इंतजार कर रहा था। लेकिन गांव से कोई वहां नहीं पहुंचा।

- जबकि इसी दौरान बच्चों के दादा जीताराम लोगों के साथ सोनू की पत्नी सुमन को लेकर पिहोवा तहसील पहुंचे। जहां सुमन के नाम साढ़े तीन एकड़ जमीन नाम करा दी।

- कुछ रोज पहले पंचायत ने सुमन के नाम जमीन कराने का फैसला सुनाया था।

- जीता राम ने बताया कि कुल 11 एकड़ में से दो एकड़ जमीन पर केस चल रहा है। बकाया में से सुमन के हिस्से की जमीन उसके नाम करवा दी है। हालांकि उसकी बाकी की जमीन भी बहू के पास ही रहेगी।

पेचीदा हुआ मामला:विरेंद्र की भी मौत

- जगदीप की मौत के बाद मामला और पेचीदा हो गया। एसआईटी को जगदीप से पूछताछ करनी थी। हालांकि एसआईटी दो बार गांव पहुंच कर फैमिलीवालों और गांववालों से बातचीत कर चुकी है।

- वहीं जगदीप के रिश्तेदार हेडकांस्टेबल विरेंद्र की भी करीब एक हफ्ता पहले मौत हो चुकी है। कैथल के विरेंद्र सीआईए कुरुक्षेत्र में था।

- गांव वालों ने आरोप लगाया कि विरेंद्र जगदीप व सोनू की केस में मदद कर रहा है। एसपी ने विरेंद्र को सीआईए से हटा कर इस्माइलाबाद में एसए लगा दिया। बताया जाता है कि करीब एक हफ्ता पहले गांव दूबन, कैथल में उसकी मौत हो गई।

- पुलिस का कहना है कि उसकी मौत हृदयगति रूकने से हुई। लेकिन अब सारसा वासी उसकी मौत को भी संदिग्ध मान रहे हैं।

जगदीप कई दिनों से था गुमसुम

- वहीं जेल सूत्रों के मुताबिक जगदीप जेल में गुमसुम ही रहता था। यहां उसकी बैरक में उसका ही एक सहपाठी भी एक अन्य मामले में बंद है। उससे भी गुमसुम रहने बारे जेल प्रबंधन ने बात की थी।

- डिप्टी जेलर सुभाषचंद्र के मुताबिक उसने यही बताया था कि जगदीप गांव में भी अक्सर ऐसे ही रहता है। हालांकि वह वारदात को लेकर साथी कैदियों के सामने पश्चाताप जरूर जताता था। अक्सर कहता कि उसने दो घरों को उजाड़ दिया।

तीन बच्चों की गोली मारकर की थी हत्या

- बता दें कि 19 नवंबर को गांव सारसा पिहोवा से तीन बच्चे समीर-समर व सिमरन तीनों बच्चे संदिग्ध परिस्थितियों में घर से लापता हो गए थे। तीसरे दिन 21 नवंबर को तीनों बच्चों के शव पंचकूला के मोरनी जंगल से मिले थे। फिर पता चला कि जगदीप ने ही तीनों बच्चों की हत्या की थी।

- देर शाम कागजी कार्रवाई कर पुलिस ने जगदीप का शव पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया था। 19 नवंबर को लापता हुए बच्चों की हत्या की खबर से ना केवल सारसा बल्कि पूरा कुरुक्षेत्र सन्न रह गया था। तब जगदीप ने कबूल किया था कि हत्या बच्चों के पिता सोनू के कहने पर की थी। प्लानिंग के तहत जगदीप बच्चों को सारसा से कार में लेकर गया।

- किसी को शक ना हो, इस लिए पहले बच्चों को पैदल गांव के बाहर भेजा। फिर बाद में कार से मेला दिखाने की कह मोरनी हिल्स ले गया। वहां सुनसान एरिया में तीनों बच्चों की अलग-अलग जगह लेकर उसने गोली मार हत्या कर दी थी।

- इसके बाद उसने पुलिस को दिए बयान में बताया कि बच्चों की हत्या उसने अपने ताऊ के लड़के सोनू की जमीन व प्रॉपर्टी हड़पने के उद्देश्य से की थी।

वीडियो-ग्राफी के बीच पोस्टमार्टम

शुक्रवार को डॉ.एसएस अरोड़ा, डॉ.विमल, डॉ.नितिका भटनागर के पैनल ने पोस्टमार्टम किया। इस दौरान जेएमआईसी अरविंद्र कुमार बंसल, जेल डिप्टी सुपरिटेंडेंट सुभाषचंद्र, चौकी इंचार्ज तरसेम की देखरेख में वीडियोग्राफी के बीच पूरी कार्रवाई हुई।

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