गुरुवार, 9 नवंबर 2017

चौहटन। आचार्य भगवंत का हुआ पांडवों की तपोभूमि में भव्य नगर प्रवेश , आचार्य व उपाध्याय भगवंत का हुआ मिलन।

चौहटन। आचार्य भगवंत का हुआ पांडवों की तपोभूमि में भव्य नगर प्रवेश , आचार्य व उपाध्याय भगवंत का हुआ मिलन।


प्रवेश के साथ ही हुआ मुमुक्षु लोकेश गोलछा के दीक्षा महोत्सव का आगाज।

रिपोर्ट ​:- चंद्रप्रकाश बी.छाजेड़ / चौहटन
चौहटन। चौहटन नगर से विरात्रा जाने वाली रोड़ पर ढोक ग्राम में नवोदित लब्धिनिधान पार्श्वनाथ मणिधारी तीर्थ में आयोजित होने जा रही मुमुक्षु लोकेश गोलछा की ऐतिहासिक दीक्षा महोत्सव में निश्रा प्रदान करने हेतु पधारे जैनाचार्य जिनपीयूषसागर सूरिश्वर महाराज व साध्वी प्रगुणाश्री आदि ठाणा का मंगलवार को प्रातः पांडवों की तपोभूमि चौहटन नगरी में गाजे-बाजे व हर्षोल्लास के साथ हुआ। 


श्री लब्धिनिधान पार्श्व-मणिधारी जैन श्वेतम्बर तीर्थ के संयोजक मांगीलाल डोसी व मिडिया प्रभारी चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़ ने बताया कि आचार्य भगवंत की प्रवेश की शोभायात्रा विरात्रा चाैराहा से आरम्भ हुई तथा मुख्य बाजार से होते हुए शांतिनाथ जिनालय पहुंची जहां पर शांतिनाथ परमात्मा के दर्शन किए।

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आचार्य व उपाध्याय भगवंत का हुआ शिष्टाचार मिलन- आचार्य भगवंत जिनपीयूषसागर सूरिश्वर महाराज व उपाध्यायप्रवर मनोज्ञसागर महाराज का कई वर्षों के बाद चौहटन नगर में शिष्टाचार मिलन हुआ जिस पर भक्त मंडली ने दोनों गुरू भगवंतों के जयकारों से नगर का वातावरण गुंजायमान कर दिया। इस अवसर पर आचार्य श्री ने उपाध्याय प्रवर से दीक्षा महोत्सव में पधारने का निवेदन किया तत्पश्चात् सामैया जैन दादावाड़ी सुन्दर नगर पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हुआ। शोभायात्रा में बड़े बुजुर्ग व नन्हे बच्चे झूम-झूमकर परमात्मा एवं गुरू भगवंत की अगवानी कर रहे थे। 

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भौतिक सुख-साधन क्षणभंगूर ओर नाशवान है- जीवन-मृत्यु की बात छोड़कर के यदि हम सुख-दुःख की कल्पना करे तो भौतिक साधनों से सुविधापूर्ण जीवन में आनन्द ही आनन्द है बहुत ही सुख भरपूर है। लाड़ी, बाड़ी, गाड़ी सब अपने सन्मुख उपस्थित है। सुख का पार नहीं है, लेकिन अचानक एक दुःख का झोंका आता है तब सारा उत्साह, सारी उमंग, सारा सुख एक ही झटके में निराशा की गर्त में चला जाता है। संध्याकालीन दृश्य हमें बोध देता है हमें इस जीवन की नश्वरता का, इस जीवन की क्षणभंगूरता का। कब, क्या हो जाये, किस पर क्या बीतेगी, कौनसा समय कैसा आयेगा ये हम नहीं जानते। पानी के बुलबुले की तरह इस क्षणिक जीवन के महत्व को आप और हम समझे। इस जीवन की नाशवास स्थिति को समझकर मुमुक्षु लोकेश गोलछा अध्यात्म के रंग से रंगने को जा रहा है, अपने जीवन को साधना, सेवा, स्वाध्याय, जप-तप के अलग-अलग रंगों से सजाने के लिए तैयार हुआ है, आज इसी लक्ष्य से हम सभी इस पावन पुण्यभूमि पर आये है।

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दीक्षा संवेगरंगोेत्सव का हुआ आज आगाज- पार्श्व-आनंद मंडल के संजय मालू व मुकेश छाजेड़ ने बताया कि मुमुक्षु लोकेश गोलछा के दीक्षा निमिŸा आयोजित दीक्षा संवेग रंगोेत्सव का आज गुरू भगवंतों के प्रवेश के साथ आगाज हुआ। महोत्सव के दूसरे दिन शुक्रवार को दादावाड़ी परिसर में प्रातः 9.15 बजे दीक्षार्थी लोकेश की पाट बिठाई, 9.19 बजे दीक्षार्थी के डोरा बंधन, 9.30 बजे प्रवचन, 9.54 बजे कपड़ें रंगने का कार्यक्रम व रात्रि में भक्ति व सांस्कृति कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। मुमुक्षु लोकेश गोलछा के दीक्षा संवेग रंगोत्सव में भाग लेने के लिए देश के विभिन्न क्षेत्रों से प्रभु भक्त पधारेगें जिसका लेकर ट्रस्ट मंडल एवं उनकी सहयोगी संस्थाओं ने तैयारियों जोर-शोर से चालू कर दी है।

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