सोमवार, 27 नवंबर 2017

केरल लव जिहाद केस: सुप्रीम कोर्ट में बोली हादिया, मुझे चाहिए आजादी, जनवरी के तीसरे हफ्ते में अगली सुनवाई

केरल लव जिहाद केस: सुप्रीम कोर्ट में बोली हादिया, मुझे चाहिए आजादी, जनवरी के तीसरे हफ्ते में अगली सुनवाई

नई दिल्ली: केरल लव जिहाद केस में सुप्रीम कोर्ट में अखिला उर्फ हादिया की पेशी हुई. हादिया के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि बालिग हादिया को जिंदगी के फैसले लेने का हक है. NIA ने कहा कि हादिया को सम्मोहित किया गया है. हादिया के पिता ने कहा कि जान को खतरा है, बंद कमरे में सुनवाई कीजिए.

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# सुप्रीम कोर्ट का आदेश : हादिया की वापस सेलम के होम्योपैथी कॉलेज भेजा. अपनी इंटर्नशिप पूरी करेगी. अगली सुनवाई जनवरी के तीसरे हफ्ते में। पति के पास जाने पर अभी कोई आदेश नहीं

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या इस तरह के कभी हालात हो सकते हैं कि जब कोई बालिग भी जो फैसला ले रहा हो वह फैसला लेते वक्त अपना दिमाग का इस्तेमाल ना कर पा रहा हो.

# हादिया केस में सुप्रीम कोर्ट के जज ने टिप्पणी करते हुए कहा हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप के मामले में भी ऐसा हुआ है लेकिन कुछ एक मामले ऐसे भी होते हैं जहां पर एक बालिग व्यक्ति भी सोच समझ कर फैसला लेने में सक्षम नहीं होता.

# हादिया के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इसको धार्मिक रंग नही दिया जाना चाहिए. ये हादिया की ज़िंदगी है उसको फैसला लेने का अधिकार है. अगर ये भी मान भी लिया जाए कि हादिया ने जिस से निकाह किया वह गलत इंसान है लेकिन फिर भी अगर वह उसके साथ रहना चाहती है कि उसकी मर्जी है.

# सुप्रीम कोर्ट ने हादिया के पिता के वकील से पूछा कि आप क्या चाहते हैं कि पहले हम इस मामले में हादिया से बात करें और फिर यह जो बातें कही गई है कि वह किसी तरह के दबाव में है या फिर किसी साजिश के तहत किसी तरीके से उसको फंसाया गया है उस बात पर गौर करें. या फिर आप चाहते हैं कि पहले हम बाकी पहलुओं पर गौर करें और हादिया से बात बाद में करें.

# कपिल सिब्बल ने कहा कि यहां पर यह मुद्दा नहीं है कि वह बालिग है और और क्या वह किसी दबाव में है या नहीं. यहां मुद्दा यह है कि क्या उसको इस तरह से हिरासत में रखा जाना चाहिए?

# केरल लव जिहाद केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ये साबित भी हो गया कि ब्रेनवॉश करके हादिया की शादी हुई तब भी सवाल ये कि क्या हम ऐसे मामले में भी हस्तक्षेप कर सकते हैं?





#कॉलेज के डीन हदिया के रहने के दौरान किसी तरह की दिक्कत होने पर कोर्ट को जानकारी देंगे. अगर सुरक्षा की ज़रूरत हो तो तमिलनाडू सरकार देखेगी. सेलम तक जाने का खर्च केरल सरकार उठाएगी. सादी वर्दी में पुलिसवाले साथ जाएंगे. 11 महीने की इंटर्नशिप कार्यक्रम पूरा करेगी.

# हादिया ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह अपने पति से मिलना चाहती है

# हादिया ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पिछले 11 महीने काफी शोषण वाले रहे, फिलहाल मैं कैलीकट में अपने दोस्त के घर जाना चाहती हूं जहां मैं जाकर थोड़ा आराम कर सकूं




# सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आपके भविष्य के प्लान क्या है, हादिया ने कहा कि मुझे आजादी चाहिए

पिता के आरोप क्या हैं?
हदिया के पिता के एम अशोकन का कहना है कि उसका ब्रेन वाश कर दिया गया है. वो कट्टर ताकतों के इतने असर में है कि उसका अपने दिमाग पर काबू नहीं. कट्टर ताकतों का पूरा तंत्र केरल में काम कर रहा है, जो ISIS के लिए नियुक्ति करने के मकसद से धर्म परिवर्तन कराता है.

क्या है पूरा मामला?
केरल के वाइकोम की रहने वाली अखिला तमिलनाडू के सलेम में होम्योपैथी की पढ़ाई कर रही थी. इसके पिता के एम अशोकन का आरोप है कि हॉस्टल में उसके साथ रहने वाली 2 मुस्लिम लड़कियों ने उसे धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया. अखिला ने इस्लाम कबूल कर अपना नाम हादिया रख लिया. जनवरी 2016 में वो अपने परिवार से अलग हो गई.

हादिया के पिता ने दिसंबर 2016 में केरल हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की. उन्होंने दावा किया कि उनकी बेटी गलत हाथों में पड़ गई है. उसे IS का सदस्य बना कर सीरिया भेजा जा सकता है. उन्होंने बेटी को अपने पास वापस भेजने की मांग की.

हाई कोर्ट ने हादिया को कोर्ट में पेश होने को कहा. 19 दिसंबर को वो शफीन जहां के साथ कोर्ट में पेश हुई और बताया कि दोनों ने कुछ दिन पहले निकाह किया है. दोनों पक्ष के वकीलों की दलील के बाद कोर्ट ने शादी के हालात को शक भरा माना. हादिया को उसके पिता के पास भेज दिया गया.

हाई कोर्ट ने शादी की परिस्थितियों को भी देखा. कोर्ट ने पाया कि अशोकन की नयी याचिका के बाद जल्दबाज़ी में शादी करवाई गई. ये साफ हुआ कि हादिया को अपने पति के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. पति और हादिया का धर्म परिवर्तन कराने वाली महिला की संदिग्ध और आपराधिक गतिविधियों की बात भी कोर्ट के सामने आई.

इसके अलावा कोर्ट ने हादिया की मानसिक स्थिति जानने की भी कोशिश की. सुनवाई कर रहे दोनों जज उससे व्यक्तिगत रूप से मिले. जजों का निष्कर्ष था कि उसका दिमाग अपने काबू में नहीं है. उस पर कट्टरपंथ का इतना असर है कि वो सही-ग़लत सोचने की स्थिति में नहीं है.

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