भीनमाल । बाहुबली शराब व डोडा ठेकेदार की मांद में हाथ डालने पर थानेदार लाईन हाजिर
रिपोर्ट :- माणकमल भण्डारी /भीनमाल
भीनमाल । करड़ा क्षेत्र में लम्बे वक्त के बाद आए युवा एवं उर्जावान थानेदार को आखिरकार सियासत की सूली पर चढ़ना पड़ा। उनको लाईन हाजिर कर दिया गया है। कसूर सिर्फ इतना ही था कि उन्होंने एक बाहुबली शराब व डोडा ठेकेदार की मांद में हाथ डाल दिया जो था। हल्के के ईमानदार विधायक भी लाचार दिखायी दिए। वो भी इस युवा अफसर का पक्ष रखने में नाकाम रहे। आखिरकार, बाहुबली व धनबली ठेकेदार उनका खासमखास जो था। सोचने वाली बात यह है कि आखिर सियासत में ऐसे युवा ईमानदार और नशाविरोधी अफसर की जरूरत क्यों नही है। क्या आमजन भी ऐसे कृत्यों का विरोध नही करेगा। अंजाम भयानक होगा।
जिले के पुलिस कप्तान वैसे अपनी वर्किंग शैली के लिए ख्यात है परन्तु उन्होंने भी अपने नौजवान अफसर का पक्ष नही सुनकर ड्यूटी से कन्नी काटने का प्रयास किया है। सियासत इतनी भी खौफनाक नही जो उनकी डफली को संगीत की तान पर बजायी जाए। सोचना होगा। जनता को जागना ही होगा। युद्ध की रणभेरी को बजाना ही होगा। नेताओं को भी साथ ही बजाना होगा। हुकूमत में सत्ता के नशे में चूर हुक्मरानों सहित नेताओं को कुम्भकर्णी नींद से जगाना होगा। आज एक चैनप्रकाश जाट इसकी चपेट में आया है। कल ओर कोई आएगा।
गौरतलब है कि करड़ा थानेदार चैनप्रकाश जाट ने हल्के में नशा माफिया पर नकेल कसने के लिए युवा डीएसपी विकास शर्मा के निर्देशानुसार नशे के खिलाफ एक बेहतरीन मुहिम शुरू की थी। मौजूदा वक्त में करड़ा स्मैक का हब बनता जा रहा है। हल्के के हजारों युवा स्मैक की चपेट में खुद का एवं अपने परिवार का भविष्य खराब करने पर उतारू है। ऐसे वक्त में करड़ा थानेदार ने स्मैक, डोडा सहित अवैध चंडीगढ़ी दारू के खिलाफ मुहीम शुरु की थी।
इसी क्रम में अवैध दारू की ब्रांच को दारू पहुंचाने के आरोप में ठेकेदार के व्यक्ति को माल सहित अरेस्ट करना उनको भारी पड़ी। वैसे अवैध दारू की ब्रांचेज को बंद करने का फरमान मौजूदा सरकार के स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा जिलास्तरीय बैठक में दिए गए और पुलिस द्वारा उनके आदेशों की पालना में एसपी के द्वारा सभी थानाधिकारियों को निर्देशित किया गया था। ऐसे में युवा थानेदार की गलती नजर नही आती। गलती बस एक ही कि उसने धनबली ठेकेदार पर हाथ धर दिया।
खैर। कोई बात नही, करड़ा क्षेत्र की अवाम युवा थानेदार को याद करती रहेगी, जिसने नशे के विरोध में अपनी मुहिम को शुरू किया था। नशे की चपेट में आए युवाओं के परिजनों की दुआ की बदौलत युवा तुर्क अफसर का भविष्य तो बेहतर ही होगा। पछताने का वक्त तो अब सियासत में बैठे सियासी नेताओं का है। और उनका अंजाम क्या होगा वो तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
रिपोर्ट :- माणकमल भण्डारी /भीनमाल
भीनमाल । करड़ा क्षेत्र में लम्बे वक्त के बाद आए युवा एवं उर्जावान थानेदार को आखिरकार सियासत की सूली पर चढ़ना पड़ा। उनको लाईन हाजिर कर दिया गया है। कसूर सिर्फ इतना ही था कि उन्होंने एक बाहुबली शराब व डोडा ठेकेदार की मांद में हाथ डाल दिया जो था। हल्के के ईमानदार विधायक भी लाचार दिखायी दिए। वो भी इस युवा अफसर का पक्ष रखने में नाकाम रहे। आखिरकार, बाहुबली व धनबली ठेकेदार उनका खासमखास जो था। सोचने वाली बात यह है कि आखिर सियासत में ऐसे युवा ईमानदार और नशाविरोधी अफसर की जरूरत क्यों नही है। क्या आमजन भी ऐसे कृत्यों का विरोध नही करेगा। अंजाम भयानक होगा।
जिले के पुलिस कप्तान वैसे अपनी वर्किंग शैली के लिए ख्यात है परन्तु उन्होंने भी अपने नौजवान अफसर का पक्ष नही सुनकर ड्यूटी से कन्नी काटने का प्रयास किया है। सियासत इतनी भी खौफनाक नही जो उनकी डफली को संगीत की तान पर बजायी जाए। सोचना होगा। जनता को जागना ही होगा। युद्ध की रणभेरी को बजाना ही होगा। नेताओं को भी साथ ही बजाना होगा। हुकूमत में सत्ता के नशे में चूर हुक्मरानों सहित नेताओं को कुम्भकर्णी नींद से जगाना होगा। आज एक चैनप्रकाश जाट इसकी चपेट में आया है। कल ओर कोई आएगा।
गौरतलब है कि करड़ा थानेदार चैनप्रकाश जाट ने हल्के में नशा माफिया पर नकेल कसने के लिए युवा डीएसपी विकास शर्मा के निर्देशानुसार नशे के खिलाफ एक बेहतरीन मुहिम शुरू की थी। मौजूदा वक्त में करड़ा स्मैक का हब बनता जा रहा है। हल्के के हजारों युवा स्मैक की चपेट में खुद का एवं अपने परिवार का भविष्य खराब करने पर उतारू है। ऐसे वक्त में करड़ा थानेदार ने स्मैक, डोडा सहित अवैध चंडीगढ़ी दारू के खिलाफ मुहीम शुरु की थी।
इसी क्रम में अवैध दारू की ब्रांच को दारू पहुंचाने के आरोप में ठेकेदार के व्यक्ति को माल सहित अरेस्ट करना उनको भारी पड़ी। वैसे अवैध दारू की ब्रांचेज को बंद करने का फरमान मौजूदा सरकार के स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा जिलास्तरीय बैठक में दिए गए और पुलिस द्वारा उनके आदेशों की पालना में एसपी के द्वारा सभी थानाधिकारियों को निर्देशित किया गया था। ऐसे में युवा थानेदार की गलती नजर नही आती। गलती बस एक ही कि उसने धनबली ठेकेदार पर हाथ धर दिया।
खैर। कोई बात नही, करड़ा क्षेत्र की अवाम युवा थानेदार को याद करती रहेगी, जिसने नशे के विरोध में अपनी मुहिम को शुरू किया था। नशे की चपेट में आए युवाओं के परिजनों की दुआ की बदौलत युवा तुर्क अफसर का भविष्य तो बेहतर ही होगा। पछताने का वक्त तो अब सियासत में बैठे सियासी नेताओं का है। और उनका अंजाम क्या होगा वो तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
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