गुरुवार, 9 नवंबर 2017

जोधपुर । लेखक को लोक एवं शास्त्र दोनों का ज्ञान होना आवश्यक - डॉ. देवेन्द्र कुमार गौतम

जोधपुर । लेखक को लोक एवं शास्त्र दोनों का ज्ञान होना आवश्यक - डॉ. देवेन्द्र कुमार गौतम

जोधपुर । जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र कुमार सिंह गौतम ने कहा है कि लेखक को लोक एवं शास्त्र दोनों का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है। डॉ. गौतम आज अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान के तत्वावधान में विधि संकाय के पुस्तकालय हॉल में महाविद्यालयी छात्रों के लिए कथेतर गद्य विधाओं पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि साहित्य एक साधना है जिसके बिना कार्यसिद्धि संभव नहीं है। अच्छे लेखक को निष्ठावान साधक होना आवश्यक है। साहित्य लेखन में शीघ्र प्रसिद्धि अथवा शीघ्र सफलता प्राप्ति की अभिलाषा रखना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद के माध्यम से युवा पीढ़ी को लेखन के लिए समुचित प्रशिक्षण एवं मंच प्रदान किया जा रहा है। इससे समाज को अच्छे लेखक एवं अच्छे नागरिक मिलेंगे। उन्होंने छात्रों को संस्मरण लेखन विधा की विशिष्टताओं को विस्तार से बताया।



उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि श्री नरेश सुराणा ने कहा कि लेखन और स्वाध्याय दोनों में ही विराटता छिपी हुई है। ये एक दूसरे के प्रेरक हैं। अच्छे लेखन के लिए स्वाध्याय आवश्यक है। कार्यशाला के पहले दिन विद्यार्थियों को कथेतर गद्य की चार विधाओं निबंध लेखन, रेखाचित्र लेखन, संस्मरण लेखन, यात्रा वृत्तांत लेखन एवं कथा विधा की लघुकथा लेखन का प्रशिक्षण दिया गया। डॉ. रामवीरसिंह शर्मा ने विद्यार्थियों को लघु कथा लेखन की बारीकियों को समझाया तथा कहा कि जीवन के अनुभूत सत्य को काम में लिये बिना अच्छा लेखक संभव नहीं है। डॉ. श्रवण कुमार ने निबंध के विभिन्न प्रकारों की व्याख्या करते हुए अच्छे निबंध के आवश्यक तत्वों की जानकारी दी। डॉ. मोहनलाल गुप्ता ने कार्यशाला का संचालन किया तथा विद्यार्थियों को रेखाचित्र लेखन एवं यात्रा वृत्तांत लेखन की बारीकियों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि प्रत्येेक लेखक को अपनी स्वयं की भाषा गढ़नी होती है। कार्यशाला के समापन पर डॉ. शैलेन्द्र स्वामी ने अतिथि विद्वानों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर डॉ. नरेन्द्र मिश्र एवं सुषमा चौहान सहित अन्य लेखक उपस्थित थे। कार्यशाला में जोधपुर नगर में स्थित 20 शिक्षण संस्थाओं के 250 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया।

कार्यशाला के दूसरे एवं अंतिम दिन शुक्रवार 10 नवम्बर को विद्यार्थियों के लिए कथेतर गद्य विधाओं पर लेखन प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी जिसके माध्यम से नव प्रतिभाओं का मूल्यांकन कर उन्हें राज्य स्तरीय समारोह में पुरस्कृत किया जाएगा।

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