बड़मेर पीएम फसल बीमा योजना में रबी के लिए अधिसूचना जारी
-किसान 31 दिसंबर 2017 तक फसल का बीमा करवा सकेंगे
बाड़मेर, 17 नवंबर। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत रबी फसल वर्ष 2017-18 के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है।
जिला कलक्टर शिवप्रसाद मदन नकाते ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए अधिसूचना 3 नवंबर को जारी की गई है। इसके अनुसार फसलें पटवार स्तर पर अधिसूचित की गई है। जौ फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 37249 रूपए और प्रीमियम दर 4 प्रतिशत तथा कृषक हिस्सा राशि 559 रूपए प्रति हैक्टेयर रहेगी। गेंहू फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 49509 रूपए और प्रीमियम दर 4 प्रतिशत तथा कृषक हिस्सा राशि 743 रूपए प्रति हेक्टेयर रहेगी। सरसो फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 44414 रूपए और प्रीमियम दर 7 प्रतिशत तथा कृषक हिस्सा राशि 666 रूपए प्रति हेक्टेयर रहेगी। चना फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 31317 रूपए और प्रीमियम दर 5 प्रतिशत तथा कृषक हिस्सा राशि 470 रूपए प्रति हेक्टेयर रहेगी। इसके अलावा तारामीरा फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 9891 रूपए और प्रीमियम दर 11 प्रतिशत तथा कृषक हिस्सा राशि 148 रूपए प्रति हेक्टेयर रहेगी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सभी ऋणी, गैर ऋणी एवं बटाईदार किसानों की ओर से फसलों का बीमा करवाया जा सकता है, जिसकी अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2017 है। जिन ऋणी कृषकों के फसल ऋण की सीमा 31 दिसंबर 2017 तक किसी भी वित्तीय संस्थान द्वारा अनुमोदित की गई है, का अनिवार्य आधार पर फसल बीमा संबंधित वित्तीय संस्थान द्वारा किया जाएगा। गैर ऋणी किसान 31 दिसंबर 2017 तक निकट के सहकारी बैंक, व्यवसायिक बैंक, सीएससी संबंधित बीमा कम्पनी के अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से करवाया जा सकता है।
लैंगिक संवेदनशीलता मौजूदा समय की जरूरतः नरूका
बाड़मेर, 17 नवंबर। लैंगिक संवेदनशीलता मौजूदा समय की सबसे बड़ी जरूरत है। सांस्कृतिक एवं राजनैतिक तौर पर स्त्री एवं पुरूष की भूमिकाआंे का समाजीकरण होता है। समय के साथ सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक बदलाव के साथ समुदाय एवं संस्कृतियांे मंे जेंडर भूमिकाएं बदलती रहती है। स्त्री एवं पुरूष के सामाजिक भेद उनकी सोच, भावनाआंे एवं व्यवहार का नतीजा है। महिला एवं बाल विभाग के उप निदेशक जीतेन्द्रसिंह नरूका ने शुक्रवार को जिला परिषद सभागार मंे महिला अधिकारिता विभाग की ओर से आयोजित जेंडर संवेदनशीलता, जेंडर संवेदी बजट,लिंग आधारित एवं जेंडर बजट स्टेटमेट संबंधित कार्यशाला के दौरान यह बात कही।
इस दौरान उप निदेशक जीतेन्द्रसिंह नरूका ने कहा कि हमारे इस परिवेश की सार्थकता इसी बात में है कि स्त्री और पुरूष के समन्वय से संचालित हमारे जीवन का संतुलन बना रहे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से जेंडर संवेदनशीलता को कम करने के लिए महिलाओं के लिए विशेष बजट का प्रावधान किया जा रहा है। महिला अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक प्रहलादसिंह राजपुरोहित ने जेंडर बजटिंग के बारे मंे जानकारी देते हुए कहा कि समाज में बालक एवं बालिका में भेदभाव के कारण समाज में विषमता बढ़ रही है। इसको कम करने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों के साथ-साथ सामाजिक परंपराओं में भी बदलाव लाने की आवश्यकता है। कोषाधिकारी दिनेश बारहठ ने बजट संबंधित जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान समय में आए परिवर्तन के कारण महिला-पुरुष में आई विषमताएं कम हुई है, फिर भी हमें इसके प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है। उन्हांेने कहा कि नवीन अवधारणा के अनुसार बजट का आवंटन वर्ग आधारित होने की अपेक्षा जेंडर आधरित होना अधिक महत्वपूर्ण एवं सार्थक है। ताकि सभी वर्गाें को समान रूप से विकास का लाभ मिल सके। कार्यशाला मंे प्राचार्य ललिता मेहरा जेंडर संवेदनशीलता एवं इसके असर के बारे मंे विस्तार से जानकारी दी। व्याख्याता मुकेश पचौरी ने जेंडर की अवधारणा एवं महिलाआंे से भेदभाव तथा सरकारी योजनाआंे का फायदा ग्रास रूट तक पहुंचने के बारे मंे विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान महिला एवं बाल विकास अधिकारी रविन्द्र लालस समेत विभिन्न विभागीय अधिकारी एवं विभिन्न संगठनांे के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
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