सोमवार, 16 अक्तूबर 2017

बाड़मेर पेयजल संकट। मैराथन मीटिंगों से नही निकलेगा हल,शहर के मोहलो में महिलाओं की सुनो।कलेक्टर साहब।।*



बाड़मेर पेयजल संकट। मैराथन मीटिंगों से नही निकलेगा हल,शहर के मोहलो में महिलाओं की सुनो।कलेक्टर साहब।।*
बाड़मेर शहर में पेयजल के लिए त्राहि त्राहि,अधिकारी बेपरवाह*



*बाड़मेर जिला मुख्यालय पर जिला कलेक्टर प्रति सॉताः सोमवार को बिजली पानी की प्रगति की मैराथन बैठके करते है।बैठक में जलदाय विभाग के अधिकारी झूठ के पुलिंदे कलेक्टर के समक्ष रख कशीदे पढ़ते है। बड़ी बेशर्मी से जलदाय वविभाग के आला अधिकारी प्रशासनिक अधिकारियों को चैलेंज करते है कि शहर के एक भी स्थान पर पानी की समस्या होतो हम नोकरी छोड़ देंगे। इस चेलेंज पर प्रश्स्सानिक अधिकारी संतोष कर बैठते है कि सब कुछ ठीक चल रहा है।तो श्रीमान जी बाड़मेर की आम जनता की तकलीफ सुनने उनके बीच भी आइए। मोहलो में जाकर महिलाओं से पूछिये कितना पानी सप्लाई होता हैं।कितने घन्टे पानी आता है।शहर के दर्जनों मोहले है जहां एक एक महीने से पेयजल सप्लाई नही हुआ कई मोहलो में पखवाड़े तो कहीं सप्ताह में एक बार नाम मात्र सॉकय कर कागज़ी खाना पूर्ति करते है। हैरत वाली बात यह है कि जन प्रतिनिधि खास कर सत्ताधारी पार्टी के लोग चुप्पी साधे बैठे है। जनता के दुख दर्द और जरूरतों से शायद उन्हें कोई वास्ता नही।गृहणियों को पूछिये जिनका मासिक बजट पेयजल टैंकर डलवाने के बाद गड़बड़ा गया। एक टैंकर 400 से 500 रुपये वसूल करता हैं।साधारण परिवार में सप्ताह में दो टैंकर खरे आते हैं। जनता अपना रोना किसके आगे रोए।।प्रशासन के पास वक्त नही नेताओ को अभी पब्लिक की जरूरत नही। खैर नेताओ को तो जनता वक़्त पे जवाब दे देगी।जिला प्रशासन को चाहिए प्रशासनिक अधिकारियों की टीम बना कर वार्ड वाइज जलदाय विभाग का हिसाब किताब ले। राजनीतिक आकाओं की सरपरस्ती से निक्कमे और नक्कारे अधिकारी वर्षो से जमे बैठे है उन्हें अपनी सुविधा षुल्क के अलावा कोई सूझता नही। जनता के सामने विकल्प बहुत है मगर जनता धैर्यवान है।यही जनता भीलवाड़ा,भरतपुर करौली की होती तो नोकरी करना भी आता।।जलदाय विभह के अधिकारी मीटिंगों में दलील देते है निजी टैंकर जलदाय विभाग के हौज से भरे नही जाते।।सफेद झूठ बोलेते है अभी भी किसी अधिकारी को मौके पे भेज दीजिए टैंकर भरा जा रहा ह्योग।।टेंकरो वालो की बंधी इन लोगो की जेब मे जाती है तो शहर में पानी की कृत्रिम कमी पैदा की जाकर टेंकरो की मांग बढ़ा देते है। कलेक्टर साहब मीटिंगों से बाहर भी दुनिया है।जनता के बीच जाके उनके समस्याओं को सुनिए आंखों में आंसू न आ जाये तो कहिएगा।।*

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