बाड़मेर कुकुरमुत्तों की तरह कहाँ से आ गई संस्थाएं।प्रमुख सचिव के दौरे में लगाए फर्जी बेनर*
*बाड़मेर प्रमुख शासन सचिव वीनू गुप्ता के दौरे में राजकीय अस्पताल के निरीक्षण के एन वक्त पहले मेडिकल हेल्थ मुद्दे पे कागजो में काम कर रही कुछ संस्थाओंो के बेनर्स लगे।जबकि इन संस्थाओं को कभी अस्पताल में काम करते नही देखा।मगर शासन सचिव से नम्बर बढ़ाने की होड़ में रातों रात बेनर्स तैयार करवा कर उन स्थानों पे लगवा दिए जहां जहां सचिव को जान था। मजे की बात प्रनुख चिकित्सा अधिकारी ने इनको पोस्टर बेनर लगाने से रोक नही सके।।अस्पताल परिसर में कभी कोई संस्तान कार्य करते नही दिखी।कुछ संस्थाओं ने अपनी दुकानदारी जमाने के लिए वीनू गुप्ता की नजरों ने खुद को कार्य वाले साबित करना चाहते थे। इन संगठनों का कोई मोरल नही है।दिखावा करके पैसा ऐंठन एक मात्र उद्देश्य है एक संगठन ने तो लाइफ लाइन एक्सप्रेस के उद्घाटन का प्रेस नोट ऐसे खुद ने जारी किया जेसे प्रमुझ शासन सचिव का कार्यक्रम इस संगठन ने ही करवाया।।मजे की बात बहती गंगा में इस संगठन ने हाथ धोने का असफल प्रयास किये।।छपास रोग से ग्रसित संगठन प्रशासन पर हावी है।।कलेक्टर सहित जन प्रतिनिधि और अधिकारीअस्पताल के इतने निरीक्षण करते है कभी किसी स्वयं सेवी संगठन को काम करते देखा।।फिर योजनाओं के या जागरूकता के बैनर लगाने होते तो पहले ही लगा देते सचिव के दौरे पे ही क्यों याद आये।।
*बाड़मेर प्रमुख शासन सचिव वीनू गुप्ता के दौरे में राजकीय अस्पताल के निरीक्षण के एन वक्त पहले मेडिकल हेल्थ मुद्दे पे कागजो में काम कर रही कुछ संस्थाओंो के बेनर्स लगे।जबकि इन संस्थाओं को कभी अस्पताल में काम करते नही देखा।मगर शासन सचिव से नम्बर बढ़ाने की होड़ में रातों रात बेनर्स तैयार करवा कर उन स्थानों पे लगवा दिए जहां जहां सचिव को जान था। मजे की बात प्रनुख चिकित्सा अधिकारी ने इनको पोस्टर बेनर लगाने से रोक नही सके।।अस्पताल परिसर में कभी कोई संस्तान कार्य करते नही दिखी।कुछ संस्थाओं ने अपनी दुकानदारी जमाने के लिए वीनू गुप्ता की नजरों ने खुद को कार्य वाले साबित करना चाहते थे। इन संगठनों का कोई मोरल नही है।दिखावा करके पैसा ऐंठन एक मात्र उद्देश्य है एक संगठन ने तो लाइफ लाइन एक्सप्रेस के उद्घाटन का प्रेस नोट ऐसे खुद ने जारी किया जेसे प्रमुझ शासन सचिव का कार्यक्रम इस संगठन ने ही करवाया।।मजे की बात बहती गंगा में इस संगठन ने हाथ धोने का असफल प्रयास किये।।छपास रोग से ग्रसित संगठन प्रशासन पर हावी है।।कलेक्टर सहित जन प्रतिनिधि और अधिकारीअस्पताल के इतने निरीक्षण करते है कभी किसी स्वयं सेवी संगठन को काम करते देखा।।फिर योजनाओं के या जागरूकता के बैनर लगाने होते तो पहले ही लगा देते सचिव के दौरे पे ही क्यों याद आये।।
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