बाड़मेर तो पुलिस पे भरोसा और ख़ौफ़ खत्म हो गया।पुलिस ही कटघरे में खड़ी तो अपराधियो को क्या कहे।*
*बाड़मेर शांत आबोहवा का मेरा बाड़मेर शहर अपराधियो का घर हो गया।बाड़मेर में बलात्कार,अपहरण,सामूहिक आत्महत्या,हत्या,लूट,डकैती,जैसी घटनाएं रोजमर्रा की बात हो गई।।पिछले एक सप्ताह में तीन घटनाओं से सर शर्म से झुक गया।बाड़मेर में इंसानियत का जनाजा निकल गया।एक छह वर्षीय मासूम बालिका के साथ उसके ही स्कूल में दुष्कर्म होता हैं ।ऐसी घटना से आमजन में आक्रोश स्वाभाविक हैं।मेट्रो सिटी के तर्ज पर अपराध निरंतर बढ़ते जा रहे हैं।लगता है बाड़मेर में खाकी का भरोसा और ख़ौफ़ खत्म हो गया।हो भी क्यों नही पुलिस की गलती से बलात्कार पीड़ित आत्महत्या कर लेती हैं।कारण की बार बार न्याय की गुहार के बाद भी बाहुबली अपराधी मजे से खुले में घूम रहे थे।पुलिस की लापरवाही के कारण अपराधी पीड़ित परिवार को राजीनामे के लिए धमकिया दे रहे थे।ईन धमकियों के कारण पीड़ित ने न्याय की उम्मीद छोड़ मौत को गले लगा लिया।पीड़ित के जान देते ही अपराधी भी पुलिस की पकड़ में आ गए।पुलिस अधीक्षक को लापरवाह पुलिसकर्मियों और अधिकारियों पर संख्त कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिये।पीड़ित को आतमहतया के लिए किसने उकसाया बड़ा सवाल हैं। तीसरा केस ऐसा हम जैसे लोग पुलिस का दम भरते है सर शर्म से झुक गया।महिला थाने का थाना अधिकारी अपनी उम्र का लिहाज किये बिना परिवादी से आरोपियो को गिरफ्तार करने के लिए उसकी अस्मत मांगता हैं।इससे बड़ी शर्मनाक घटना हो नही सकती।महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए अधिकारी नियुक्त किया वही अधिकारी अपने सारे कर्तव्य भूल नीच हरकत पर उतर आए।।पुलिस पर आम ज कैसे भरोसा करे।बालिका के साथ दुष्कर्म की घटना ने बाड़मेर को नही राजस्थान भर के अभिभावकों को हिला के रख दिया जिनकी बेटिया स्कूल जाती हैं।।जब विद्या के मंदिर में ही बेटिया सुरक्षित नही रहेगी तो कहां। आखिर किस पे भरोसा कर।बात हादसे की नही बात पुलिस पर भरोसे की हैं। आखिर ऐसा क्यों हो रहा हैं। पुलिस के साथ हमेशा खड़े रहे।विरोधी आज मुंह चिढा रहे है कि इसी पुलिस पर नाज़ करते थे।।बाड़मेर जेसे शहर में ऐसी घटनाओं की पुनर्वारिटी न हो।बालिका दुष्कर्म मामले स्टेट इश्यू बनेगा आने वाले समय मे।।पुलिस आमजन का भरोसा जीते और और अपराधियो में ख़ौफ़ पैदा करे।।जब से पुलिस के सामने बैठ कर अपराधी ठारके से कुर्सी पे बैठ चाय की चुस्कियां लेने लगे है पुलिस का ख़ौफ़ जाता रहा।।आज के समाचार पत्रों में पुलिस विरोधी एक दर्जन खबरे है।जो सारी कहानी बयां करते है।।
*बाड़मेर शांत आबोहवा का मेरा बाड़मेर शहर अपराधियो का घर हो गया।बाड़मेर में बलात्कार,अपहरण,सामूहिक आत्महत्या,हत्या,लूट,डकैती,जैसी घटनाएं रोजमर्रा की बात हो गई।।पिछले एक सप्ताह में तीन घटनाओं से सर शर्म से झुक गया।बाड़मेर में इंसानियत का जनाजा निकल गया।एक छह वर्षीय मासूम बालिका के साथ उसके ही स्कूल में दुष्कर्म होता हैं ।ऐसी घटना से आमजन में आक्रोश स्वाभाविक हैं।मेट्रो सिटी के तर्ज पर अपराध निरंतर बढ़ते जा रहे हैं।लगता है बाड़मेर में खाकी का भरोसा और ख़ौफ़ खत्म हो गया।हो भी क्यों नही पुलिस की गलती से बलात्कार पीड़ित आत्महत्या कर लेती हैं।कारण की बार बार न्याय की गुहार के बाद भी बाहुबली अपराधी मजे से खुले में घूम रहे थे।पुलिस की लापरवाही के कारण अपराधी पीड़ित परिवार को राजीनामे के लिए धमकिया दे रहे थे।ईन धमकियों के कारण पीड़ित ने न्याय की उम्मीद छोड़ मौत को गले लगा लिया।पीड़ित के जान देते ही अपराधी भी पुलिस की पकड़ में आ गए।पुलिस अधीक्षक को लापरवाह पुलिसकर्मियों और अधिकारियों पर संख्त कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिये।पीड़ित को आतमहतया के लिए किसने उकसाया बड़ा सवाल हैं। तीसरा केस ऐसा हम जैसे लोग पुलिस का दम भरते है सर शर्म से झुक गया।महिला थाने का थाना अधिकारी अपनी उम्र का लिहाज किये बिना परिवादी से आरोपियो को गिरफ्तार करने के लिए उसकी अस्मत मांगता हैं।इससे बड़ी शर्मनाक घटना हो नही सकती।महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए अधिकारी नियुक्त किया वही अधिकारी अपने सारे कर्तव्य भूल नीच हरकत पर उतर आए।।पुलिस पर आम ज कैसे भरोसा करे।बालिका के साथ दुष्कर्म की घटना ने बाड़मेर को नही राजस्थान भर के अभिभावकों को हिला के रख दिया जिनकी बेटिया स्कूल जाती हैं।।जब विद्या के मंदिर में ही बेटिया सुरक्षित नही रहेगी तो कहां। आखिर किस पे भरोसा कर।बात हादसे की नही बात पुलिस पर भरोसे की हैं। आखिर ऐसा क्यों हो रहा हैं। पुलिस के साथ हमेशा खड़े रहे।विरोधी आज मुंह चिढा रहे है कि इसी पुलिस पर नाज़ करते थे।।बाड़मेर जेसे शहर में ऐसी घटनाओं की पुनर्वारिटी न हो।बालिका दुष्कर्म मामले स्टेट इश्यू बनेगा आने वाले समय मे।।पुलिस आमजन का भरोसा जीते और और अपराधियो में ख़ौफ़ पैदा करे।।जब से पुलिस के सामने बैठ कर अपराधी ठारके से कुर्सी पे बैठ चाय की चुस्कियां लेने लगे है पुलिस का ख़ौफ़ जाता रहा।।आज के समाचार पत्रों में पुलिस विरोधी एक दर्जन खबरे है।जो सारी कहानी बयां करते है।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें