शनिवार, 2 सितंबर 2017

**बाड़मेर कलेक्टर परिसर के सौ मीटर दायरे में स्वच्छता अभियान की उड़ती धज्जियां।खुले में जाते है शौच।*

**बाड़मेर  कलेक्टर परिसर के सौ मीटर दायरे में स्वच्छता अभियान की उड़ती धज्जियां।खुले में जाते है शौच।*

*बाड़मेर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छता अभियान बाड़मेर जिले में दम तोड़ रहा है शहर के हालात सब कुछ बयान कर रहे है।शहर की बात छोड़े।जिला कलेक्टर परिसर के ठीक सामने स्वच्छता अभियान कैसे दम तोड़ रहा है यह सब देख रहे।कलेक्टर परिसर के ठीक सामने 100 मीटर के दायरे में रेल वे पटरियो के पार कच्ची बस्ती नेहरू नगर के बाशिंदे आज भी खुले में शौच जाते हैं।बेरोक टोक कोई रोकने वाला नही कोई समझाईस करने वाला नही।चूंकि शहर को ओ डी एफ करने के प्रयास तत्कालीन आयुक्त श्रवण विश्नोई के बाड़मेर से जाते हिदम तोड़ने लग गए।नेहरू नगर जैसी कई बस्तियां है जंहा के बाशिंदे आज भी खुले में शौच जाते हैं।ग्रामीण इलाकों को छोड़ दे।शहर में जब विकास की बात करते है तो नेहरू नगर की लोगो के खुले में शौच जाने की तस्वीर उभर कर सामने आती है ।केंद्र सरकार ने स्वच्छता के प्रति जागरूकता कार्यक्रमो के लिए करोड़ो का बजट जारी किया है जिस पर कुछ लोग सांप की भांति कुंडली मार बैठ गए।कागजो में पंचायतों को खुले में शौच जाने से मुक्त जरूर कर रहे।धरातल पे हकीकत सबके सामने हैं।जब कलेक्टर परिसर के ठीक सामने खुले में शौच जाने वालों को रोका नही जा रहा तो जिले की बात करना बेमानी हैं।।नगर परिषद ने तो अपनी धूड़ उड़ा रखी हैं।बिना धणी धोरी के परिषद के हालात आपात स्थिति जैसे हो गए।किसी को दोष देने की बजाय दोष जनता को जाता है जिन्होंने ऐसे लोगो पर भरोसा कर  शहर की कमान सौंपी जिससे लगता है बंदर के हाथ मे उस्तरा दे दिया।हालात आपात स्थति से बुरे हैं शहर की सुध लेने वाला कोई नही।जन प्रतिनिधियों को अपनी ठेकेदारी से फुरसत नही।सरकारी योजनाओं पर पानी फिर गया।।स्वच्छता को लेकर जो प्रयास हुए उस पर कोई कायम नही रहे।कहने को नेहरू नगर में सुलभ शौचालय बना दिये मगर उसके उयोग पर कुंडली लगा दी।नये आयुक्त बाड़मेर रहना नही चाहते।छुटियाँ  लेकर ट्रांसफर की जुगाड़ में लगे है।पार्षद सभापति के खिलाफ मोर्चा खोल के बैठे है ।करे भी क्या जनहितार्थ कोई कार्य नही हो रहा।शहर सड़ांध मार रहा।जगह जगह पानी के रेलें बाह रहे है सब देखके अनजान बन रहे।सीवरेज सिस्टम पूरी तरह नकारा हो गया।कोर्ट ने भी गाल बजा दिए।जिन सरकारी मशीनरी को न्यायालय भी सुधार नही पाए ।उनको तो भगवान भी नही सुधार सकता।जिमेदारी नागरिकों की है।*

*अलबत्ता जिला कलेक्टर शिव प्रसाद नकाते से जो उम्मीदे बाड़मेर की जनता ने की फिलहाल पूरी होती नजर नही आ रही।अधिकारी बेलगाम है।कलेक्टर इन पर शिकंजा नही कसेंगे शहर के हालात बद से बदतर होते जाएंगे।*

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