नहीं होगी नागौर की प्रसिद्ध तांगा दौड़, हाईकोर्ट ने खारिज की राज्य सरकार की याचिका
- राजस्थान हाईकोर्ट की तरफ से गत वर्ष छह जनवरी को नागौर सहित पूरे प्रदेश में तांगा दौड़ पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद से नागौर के लोग लगातार राज्य सरकार पर दबाव बना रहे थे।
- लोगों के दबाव में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्रतिबंध को हटाने का आग्रह किया। राज्य सरकार ने अपनी तरफ से पैरवी करने के लिए विशेष रूप से तमिलनाडू में जलीकट्टू रेस मामले में केन्द्र की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने वाले केंद्र के एडिशनल सोलिसिटर जनरल पीएस नरसिम्हा को नियुक्त किया गया था।
- न्यायाधीश गोविन्द माथुर और न्यायाधीश निर्मलजीत कौर की खंडपीठ के समक्ष नरसिम्हा ने कहा कि नागौर जिले के जिन चार गांवों में यह तांगा रेस आयोजित की जाती रही है, वहां की ग्राम पंचायतों ने तांगा रेस कच्ची सडक़ पर करवाने का जिला पशु कल्याण कमेटी को शपथ पत्र दिए हैं।
- शपथ पत्रों आधार पर जिला कलक्टर ने तांगा रेस की अनुमति दिए जाने की अनुशंसा स्टेट बोर्ड से की थी। उन्होंने बताया कि स्टेट बोर्ड ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए प्रस्ताव नेशनल बोर्ड को भेजा था।
- नेशनल बोर्ड ने स्टेट बोर्ड की अनुशंसा के अनुरूप हाईकोर्ट से अनुमति प्राप्त करने को कहा है, इसलिए तांगा रेस की अनुमति दी जाए।
- इसका विरोध करते हुए पूर्व में दायर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता महावीर विश्नोई ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा तांगा रेस पर बैन लगाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी विचाराधीन है।
- इस एसएलपी में राज्य सरकार ने हाल ही अपना जवाब पेश किया है, जिसमें सरकार ने तांगा रेस से घोड़ों के साथ क्रूरता होने की बात स्वीकार की है।
- उन्होंने कहा कि सरकार खुद मान रही है कि तांगा रेस पशु क्रूरता की श्रेणी में आती है। सुनवाई के बाद जस्टिस गोविन्द माथुर तथा जस्टिस निर्मलजीत कौर की खंडपीठ ने सरकार की याचिका खारिज कर दी।
- उल्लेखनीय है कि नागौर की तांगा दौड़ बहुत प्रसिद्द रही है। जिले में चार स्थान पर होने वाली इस दौड़ को देखने बड़ी संख्या में लोग उमड़ते रहे है। सबसे अधिक आकर्षण खरनाल मेले में होने वाली तांगा दौड़ का रहता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें