10 साल की रेप विक्टिम ने दिया बेटी को जन्म, पथरी का बहाना बनाकर एडमिट किया गया था
चंडीगढ़.यहां के एक हॉस्पिटल में 10 साल की रेप विक्टिम ने बेटी को जन्म दिया। गुरुवार को सर्जरी से डिलिवरी कराई गई। उसे साइकोलॉजिकल ट्रॉमा से बचाने के लिए पथरी का बहाना बताकर डिलिवरी के लिए एडमिट किया गया था। अब लड़की और नवजात की हालत खतरे से बाहर है, उन्हें स्पेशल केयर में रखा गया है। लड़की के मामा ने उसका सेक्शुअल हैरेसमेंट किया था, जिससे वो प्रेग्नेंट हो गई। 32वें हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट ने लड़की को अबॉर्शन की इजाजत देने से इनकार कर दिया था। लड़की को डिलिवरी का पता नहीं...
- जानकारी के मुताबिक, लड़की को पता नहीं है कि उसने बेटी को जन्म दिया, नवजात को उससे अलग रखा है। डिलिवरी से पहले विक्टिम से कहा गया कि उसके पेट में पथरी है, जिसे निकालने के लिए ऑपरेशन करना पड़ेगा।
- लड़की की डिलिवरी 35वें हफ्ते में कराई गई है, क्योंकि उसके पेट में पल रहे बच्चे का वजन 2.1 किलो से भी कम था। ऐसे में फुल टाइम नॉर्मल डिलिवरी के वक्त जान का खतरा रहता है।अब आगे क्या होगा?
- नवजात को कुछ दिन तक डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा। इसके बाद चाइल्ड वेलफेयर कमेटी उसकी देखरेख करेगी, क्योंकि विक्टिम की फैमिली उसे चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सुपुर्द कर चुकी है। इसलिए नवजात 2 महीने तक कमेटी के पास रहेगी।
- कमेटी के चेयरपर्सन रॉबर्ट नील ने बताया कि हम नवजात को गोद दिए जाने की पूरी जानकारी विक्टिम की फैमिली को देंगे। इसके लिए उनकी सहमति जरूरी है। बाद में इसके लिए वेबसाइट पर डिलेट डाली जाएगी।
क्या है मामला?
- चंडीगढ़ में 10 साल की लड़की से मामा ने रेप किया था। लड़की के पेट में दर्द हुआ और उसे इलाज के लिए हॉस्पिटल ले जाया गया। पता चला कि वो 3 महीने की प्रेग्नेंट थी।
- हॉस्पिटल में उसकी काउंसलिंग हुई तो पता चला कि उसके साथ मामा ने 6 से 7 बार रेप किया। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, जबकि लड़की को देखरेख के लिए हॉस्पिटल में ही रखा गया।
SC ने अबॉर्शन की इजाजत नहीं दी
- लड़की की फैमिली ने जुलाई महीने में अबॉर्शन के लिए चंडीगढ़ कोर्ट में अर्जी लगाई थी, लेकिन इसकी इजाजत नहीं मिली। बाद में फैमिली सुप्रीम कोर्ट गई, लेकिन 32 हफ्ते की प्रेग्नेंसी होने के चलते यहां भी निराशा ही हाथ लगी। बता दें कि 26 हफ्ते के बाद कोर्ट की इजाजत के बगैर अबॉर्शन गैरकानूनी है।
- पीजीआई के मेडिकल बोर्ड ने कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में कहा था कि अबॉर्शन से लड़की और उससे पेट में पल रहे बच्चे को खतरा हो सकता है। डॉक्टरों की देखरेख पर संतोष जाहिर करते हुए सीजेआई जस्टिस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने पिटीशन खारिज कर दी।
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