बाड़मेर।‘‘ सवा लाख नवकार महामंत्र की आराधना साधना भवन में ‘‘ - मुनि कमलप्रभसागर
बाड़मेर। स्थानीय जैनाचार्य श्री गुणसागरसूरि साधना भवन में शनिवार सुबह 8ः30 बजे सवा लाख नवकार महामंत्र की साधना प्रारंभ होगी। परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री कलाप्रभसागर सूरिष्वर के परम षिष्य मारवाड़ रत्न मुनिराज श्री कमलप्रभसागर ने साधना भवन में धर्मप्रेमी बंधुओं को प्रतिबोधित करते हुए अपने प्रवचन में कहा कि प्रत्येक कार्य मन की विषुद्ध एवं निर्मल भावना से होता है। लगाव से किया गया कार्य शत प्रतिषत सफल बनता हैं। सत्कर्म करने की प्रेरणा देते हुए मुनिराज ने आगे बताया कि सत्प्रवृत्ति छोटी-बडी कोई भी हो पर भावनात्मक विचारों से करनी चाहिए जबरदस्ती या ऊपरी मन से की गयी प्रवृत्ति समय सम्पत्ति एवं शक्ति का नाष करने वाली बनती है।
संघ के अध्यक्ष हनुमानदास बोहरा ने बताया कि प्रवचन सत्संग मंे सैंकड़ों की संख्या में श्रोतागण लाभान्वित हो रहे है। चातुर्मास संयोजक वेदमल बोहरा ने सभी से नवकार महामंत्र की साधना में पधारने का अनुरोध करते हुए इस कार्यक्रम को सफल बनाने की बात कही।
नवकार महामंव की आराधना मंे पधारने वाले सभी श्रद्धालु अपने साथ 108 अखंड अक्षत(चावल), फल, नैवेद्य लेकर पधारेंगे। प्रति नवकार प्रत्येक व्यक्ति अक्षत से बधायेंगे। लगभग 2 से 3 घंटे चलने वाली यह आराधना की विषेष जानकारी देते हुए मुनिराज श्री ने कहा कि ध्यान का यह जीवंत कार्यक्रम है। जीवन में यदि ध्यान की प्रक्रिया आत्मसात हो जाये तो धीरता, सहन शक्तित का विकाष होता है। इस आराधना के अवसर मेें सभी जैन धर्मप्रेमी शरीक होकर आत्मानंद का अनुभव करें।
बाड़मेर। स्थानीय जैनाचार्य श्री गुणसागरसूरि साधना भवन में शनिवार सुबह 8ः30 बजे सवा लाख नवकार महामंत्र की साधना प्रारंभ होगी। परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री कलाप्रभसागर सूरिष्वर के परम षिष्य मारवाड़ रत्न मुनिराज श्री कमलप्रभसागर ने साधना भवन में धर्मप्रेमी बंधुओं को प्रतिबोधित करते हुए अपने प्रवचन में कहा कि प्रत्येक कार्य मन की विषुद्ध एवं निर्मल भावना से होता है। लगाव से किया गया कार्य शत प्रतिषत सफल बनता हैं। सत्कर्म करने की प्रेरणा देते हुए मुनिराज ने आगे बताया कि सत्प्रवृत्ति छोटी-बडी कोई भी हो पर भावनात्मक विचारों से करनी चाहिए जबरदस्ती या ऊपरी मन से की गयी प्रवृत्ति समय सम्पत्ति एवं शक्ति का नाष करने वाली बनती है।
संघ के अध्यक्ष हनुमानदास बोहरा ने बताया कि प्रवचन सत्संग मंे सैंकड़ों की संख्या में श्रोतागण लाभान्वित हो रहे है। चातुर्मास संयोजक वेदमल बोहरा ने सभी से नवकार महामंत्र की साधना में पधारने का अनुरोध करते हुए इस कार्यक्रम को सफल बनाने की बात कही।
नवकार महामंव की आराधना मंे पधारने वाले सभी श्रद्धालु अपने साथ 108 अखंड अक्षत(चावल), फल, नैवेद्य लेकर पधारेंगे। प्रति नवकार प्रत्येक व्यक्ति अक्षत से बधायेंगे। लगभग 2 से 3 घंटे चलने वाली यह आराधना की विषेष जानकारी देते हुए मुनिराज श्री ने कहा कि ध्यान का यह जीवंत कार्यक्रम है। जीवन में यदि ध्यान की प्रक्रिया आत्मसात हो जाये तो धीरता, सहन शक्तित का विकाष होता है। इस आराधना के अवसर मेें सभी जैन धर्मप्रेमी शरीक होकर आत्मानंद का अनुभव करें।
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