जोधपुर तीन दिवसीय राष्ट्रीय ओडिय़ा-राजस्थानी अनुवाद कार्यशाला जोधपुर में शुरू
उद्घाटन अवसर पर साहित्य अकादेमी के राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक डॉ. अर्जुन देव चारण ने कहा कि अनुवाद दो भाषाओं की संस्कृति का मिलन करवाते है, एक संस्कृति को दूसरी संस्कृति में गोता लगाने का काम अनुवाद करवाता है। डॉ. चारण ने कहा कि अनुवाद आसान कार्य नहीं है, अनुवाद करना मुश्किल होता है, उन्होंने कहा कि उड़िया भाषा की सर्वश्रेष्ठ कहानियों का अनुवाद इस कार्यशाला के दौरान किया जाएगा। डॉ. चारण ने अनुवाद को दो भाषाओं के सेतु बनाने की संज्ञा दी।
इस अवसर पर साहित्य अकादेमी में ओड़िया परामर्श मंडल के संयोजक डॉ. गौर हरिदास ने कहा कि यह अनुवाद कार्यशाला ओड़िया परामर्श मंडल की और से जोधपुर में आयोजित की जा रही है, उन्होंने कहा कि इससे पूर्व उडिया का राजस्थानी में पर्याप्त अनुवाद नहीं हुआ है, जबकि राजस्थानी भाषा, संस्कृति अत्यंत प्राचीन एवं समृद्ध है, डॉ. गौर हरिदास ने उड़िया कहानियों के राजस्थानी अनुवाद को संस्कृति में सहभागिता से सम्मान का अनुभव करते है। उन्होंने कहा कि उड़िया लेखकों के मन में राजस्थानी लेखकों और उनके लेखन को जानने समझने की आतुरता रहती है।
अनुवाद कार्यशाला में राजस्थानी के साहित्यकार डॉ.सत्यनारायण, श्री चैनसिंह परिहार, श्री मीठेश निर्मोही, उदयपुर के अरविंद सिंह आशिया एवं डॉ. राजेन्द्र बारहठ, बीकानेर के श्री मधु आचार्य 'आशावादी' एवं राजेन्द्र जोशी दो-दो उड़िया कहानीकारों की कहानियों का राजस्थानी में अनुवाद कर रहे है। कार्यशाला में उड़िया लेखक श्री बनोज त्रिपाठी, डॉ. अरविंद राय एवं श्री दीप्ति प्रकाश महापात्र भी शिकरत कर रहें है।
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