बाड़मेर। मासूम सीख रहे कबाड़ से सुनहरे जुगाड़
बाड़मेर। गर्मियों की छुट्टियों में इन दिनों जिले के बालिका हाई सैकंडरी स्कूल में शिक्षक कबाड़ से जुगाड़ बनाने का तरीका सीखा रहे हैं, ताकि बच्चों को भी घर में रखे बेकार सामनों का सदुपयोग करना सीखा सके। बच्चो में भी कबाड़ से जुगाड़ के नव अभिनवो को लेकर काफी उत्साह नजर आ रहा है। स्ट्रा पाइप, बोतल, रबर, बैलून, खराब इंजेक्शन, टूथ पिक, स्पोक, आईस्क्रीम स्टिक, कांच की बाल्टी, पेन, पेन्सिल, तार, चुम्बक, डीसी मोटर जैसे कबाड़ से कई सारे उपकरण बनाने के तरीको से मासूम इन दिनों रूबरू होते नजर आ रहे है। स्थानीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में चल रहे भारत स्काउट गाइड के ग्रीष्मकालीन अभिरुचि प्रशिक्षण शिविर में आर्ट एंड क्राफ्ट फेकल्टी में बच्चो का हुनर कबाड़ के आधार पर सिर चढ़कर बोलता नजर आ रहा है। बच्चे भी गर्मियों की छुट्टियों में इस तरह के नव प्रशिक्षणों से काफी खुश नजर आ रहे है। हमारे घरों व आस-पास कई ऐसे कबाड़ हैं जिसको हम फेंक देते हैं उसका उपयोग भी नहीं करते, पर इन कबाड़ों से भी कई सारे उपकरण बनाए जा सकते हैं। कबाड़ से खेल-खेल में भी विज्ञान को समझ सकते हैं। कबाड़ से घरेलू साज-सज्जा के समान को तैयार करने का जोश और जनून यहाँ हर बच्चे के हाथों से निखरता नजर आता है। स्थानीय गल्र्स स्कूल में 15 बच्चों के साथ अनुपयोगी वस्तुओं से साज-सज्जा का सामान बनाने का शुरू हुआ सिलसिला अब 50 से अधिक विधार्थियों तक पहुच चुका है। बेकार चीजों से साज-सज्जा का सामान बनाना सिखाने वाली शिक्षिका सविता के मुताबित स्थानीय बच्चों के साथ ही जिले से बाहर पढ़ने वाले बच्चे भी यहां पहुंचकर समय का सदुपयोग कर रहे हैं। सविता के मुताबित आज बच्चे जिस काम का अवकाश के दिन कर रहे हैं वह रोजगार का जरिया भी बनाया जा सकता है। मेहनत से हुनर में निखार होता है लेकिन यह हुनर कबाड़ पर चले तो इसके मायने ही बदल जाते है, ऐसे ही बदलते मायने इन दिनों स्थानीय गल्र्स सीनियर सैकेंडरी स्कूल में मासूमों के हाथों से बनते और निखरते नजर आ रहे हैं। वहीं इस शिविर में खगेन्द्र, अरूणा सोलंकी, गायत्री चैधरी, कमला, जागृति सोलंकी, आशा डांगरा, भावना व्यास, दीपिका व्यास, विजेन्द्र गोदारा, मदनलाल माली, शेराराम, धर्मवीर सहित कई दक्ष प्रशिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
बाड़मेर। गर्मियों की छुट्टियों में इन दिनों जिले के बालिका हाई सैकंडरी स्कूल में शिक्षक कबाड़ से जुगाड़ बनाने का तरीका सीखा रहे हैं, ताकि बच्चों को भी घर में रखे बेकार सामनों का सदुपयोग करना सीखा सके। बच्चो में भी कबाड़ से जुगाड़ के नव अभिनवो को लेकर काफी उत्साह नजर आ रहा है। स्ट्रा पाइप, बोतल, रबर, बैलून, खराब इंजेक्शन, टूथ पिक, स्पोक, आईस्क्रीम स्टिक, कांच की बाल्टी, पेन, पेन्सिल, तार, चुम्बक, डीसी मोटर जैसे कबाड़ से कई सारे उपकरण बनाने के तरीको से मासूम इन दिनों रूबरू होते नजर आ रहे है। स्थानीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में चल रहे भारत स्काउट गाइड के ग्रीष्मकालीन अभिरुचि प्रशिक्षण शिविर में आर्ट एंड क्राफ्ट फेकल्टी में बच्चो का हुनर कबाड़ के आधार पर सिर चढ़कर बोलता नजर आ रहा है। बच्चे भी गर्मियों की छुट्टियों में इस तरह के नव प्रशिक्षणों से काफी खुश नजर आ रहे है। हमारे घरों व आस-पास कई ऐसे कबाड़ हैं जिसको हम फेंक देते हैं उसका उपयोग भी नहीं करते, पर इन कबाड़ों से भी कई सारे उपकरण बनाए जा सकते हैं। कबाड़ से खेल-खेल में भी विज्ञान को समझ सकते हैं। कबाड़ से घरेलू साज-सज्जा के समान को तैयार करने का जोश और जनून यहाँ हर बच्चे के हाथों से निखरता नजर आता है। स्थानीय गल्र्स स्कूल में 15 बच्चों के साथ अनुपयोगी वस्तुओं से साज-सज्जा का सामान बनाने का शुरू हुआ सिलसिला अब 50 से अधिक विधार्थियों तक पहुच चुका है। बेकार चीजों से साज-सज्जा का सामान बनाना सिखाने वाली शिक्षिका सविता के मुताबित स्थानीय बच्चों के साथ ही जिले से बाहर पढ़ने वाले बच्चे भी यहां पहुंचकर समय का सदुपयोग कर रहे हैं। सविता के मुताबित आज बच्चे जिस काम का अवकाश के दिन कर रहे हैं वह रोजगार का जरिया भी बनाया जा सकता है। मेहनत से हुनर में निखार होता है लेकिन यह हुनर कबाड़ पर चले तो इसके मायने ही बदल जाते है, ऐसे ही बदलते मायने इन दिनों स्थानीय गल्र्स सीनियर सैकेंडरी स्कूल में मासूमों के हाथों से बनते और निखरते नजर आ रहे हैं। वहीं इस शिविर में खगेन्द्र, अरूणा सोलंकी, गायत्री चैधरी, कमला, जागृति सोलंकी, आशा डांगरा, भावना व्यास, दीपिका व्यास, विजेन्द्र गोदारा, मदनलाल माली, शेराराम, धर्मवीर सहित कई दक्ष प्रशिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
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