शुक्रवार, 31 मार्च 2017

बाड़मेर मंे युगपुरूष का मंचन रविवार को -युग पुरूष मंे दिखेगा मोहनदास से महात्मा गांधी बनने का सफर



बाड़मेर मंे युगपुरूष का मंचन रविवार को


-युग पुरूष मंे दिखेगा मोहनदास से महात्मा गांधी बनने का सफर





बाड़मेर, 31 मार्च। बाड़मेर जिला मुख्यालय पर भगवान महावीर टाउन हाल मंे रविवार शाम 7.30 से 9.30 बजे तक श्रीमद राजचन्द्र मिशन धरमपुर की ओर से युगपुरूष महात्मा के महात्मा नाटक का मंचन होगा।




श्रीमद राजचन्द्र मिशन धरमपुर के सी.डी.मेहता ने बताया कि इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप मंे बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन एवं विशिष्ट अतिथि के रूप मंे नगर परिषद के सभापति लूणकरण बोथरा उपस्थित रहेंगे। यह नाटक महात्मा गांधी और उनके आध्यात्मिक मार्गदर्शक श्रीमद राजचंद्रजी के जीवन पर आधारित है। इसमें दिखाया जाएगा कि कैसे श्रीमद राजचंद्र के मार्गदर्शन में महात्मा गांधी एक आम मोहनदास करमचंद गांधी से महात्मा बने। इसलिए इस नाटक का नाम ‘युगपुरुष महात्मा के महात्मा’ दिया गया। नाटक में बताया जाएगा कि किस तरह महात्मा गांधी ने भारत तथा विश्व को सत्य और अहिंसा के सनातन सिद्धांत प्रदान किए। वहीं गुरुवर राजचंद्र ने बेरिस्टर मोहनदास गांधी में इन सिद्धांतों को प्रस्थापित करते हुए उनका आध्यात्मिक मार्गदर्शन कर उन्हें महात्मा गांधी बनाया। महात्मा गांधी की ओर से श्रीमद् राजचंद्रजी से ग्रहण किए गए सत्य एवं अहिंसा के मूल्यों का भारत के स्वतंत्रता संग्राम में प्रयोग के बारे मंे भी इस नाटक के जरिए दर्शाया जाएगा। उनके मुताबिक वर्तमान युग में भौतिक सुखों के पीछे दौड़ रहे मनुष्य को यह नाटक विचार करने के लिए प्रेरित करता है कि जीवन का ध्येय क्या होना चाहिए। मानवता ही सबसे उत्तम मूल्य है एवं मानवीय मूल्यों को अपनाकर जीवन आंतरिक रूप से अधिक समृद्ध बने, जिससे एक प्रेमयुक्त शांतिपूर्ण तथा मैत्री भाव से परिपूर्ण निर्भय समाज का निर्माण हो ऐसा संदेश दर्शकों तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।




उन्होंनेे बताया कि श्रीमद् की 140वीं जयंती वर्ष के अवसर पर मिशन के संस्थापक गुरुदेव राकेश भाई की प्रेरणा से नाटक का निर्माण किया गया था। श्रीमद राजचंद्र जी का जन्म 1867 में हुआ था। वहीं महात्मा गांधी का जन्म दो अक्टूबर 1869 में हुआ था। इस प्रकार राजचंद्र जी महात्मा गांधी से मात्र दो साल बड़े थे। वह अत्यंत प्रतिभावान संत, कवि और दार्शनिक थे। मात्र 33 वर्ष की युवा अवस्था में सन 1901 में श्रीमद राजचंद्र जी का निधन हो गया था। उनसे गांधी जी का पहला परिचय मुम्बई में सन 1891 में उस समय हुआ, जब वे बैरिस्टर बनकर इंग्लैंड से लौटे। गांधी जी ने अपनी आत्मकथा सत्य के प्रयोग में भी उनका उल्लेख किया है। इस नाटक का लेखन उत्तम गढ़हा ने और दिग्दर्शन राजेश जोशी ने किया है। संगीत निर्देशन सचिन जिगर ने दिया। यह नाटक हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती और कुछ अन्य भारतीय भाषाओं में भी तैयार किया गया है। उन्हांेने बताया कि नाटक देखने के लिए प्रवेश पत्र एवं परिचय पत्र होना जरूरी होगा।

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