शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

प्रेमी से मिलने फ्लाइट से आती थी GF, पोल खुली तो हुआ खौफनाक अंत

प्रेमी से मिलने फ्लाइट से आती थी GF, पोल खुली तो हुआ खौफनाक अंत


भोपाल. राजधानी के हाईप्रोफाइल आकांक्षा शर्मा केस में पुलिस अब तक हत्या के पीछे की असल वजह तलाश रही थी। लेकिन, हत्यारे के किए ताजा बयान के मुताबिक, वह अपनी गर्लफ्रेंड आकांक्षा से पिछले सात साल से लगातार झूठ बोलकर उस धोखा दे रहा था। इसके बाद अचानक लड़की के सामने उसकी पाेल खुल गई तो उसका मुंह बंद करने जान ले ली।प्रेमी से मिलने फ्लाइट से आती थी गर्लफ्रेंड...

reality exposed in front of girlfriend



- बांकुरा पुलिस ने बताया कि वह कहता था कि मुझे केवल चार दिन की छुट्टी मिली है। दो दिन तो अमेरिका आने-जाने में निकल जाएंगे। बचे दो दिन मैं तुम्हारे साथ चाहता हूं।

- इसलिए वह फ्लाइट से भोपाल आ जाती थी। फिर उसे कहता था कि मेरी फ्लाइट तुम्हारे बाद है।

- जैसे ही आकांक्षा रवाना होती थी, वह टैक्सी से घर लौट आता। जून 2016 में आकांक्षा उसके साथ आई तो एक-दो दिन में ही उसकी पोल खुल गई।

- किसी दूसरे लड़के से रिश्तों की बात के बहाने उदयन उससे झगड़ने लगा और अाखिरकार उसने आकांक्षा की गला दबाकर जान ले ली।

लड़की MSC और ब्वॉयफ्रेंड कॉलेज पासआउट

- भोपाल में उदयन की पैदाइश 24 अप्रैल 1984 की है। वह बचपन से ही गलत संगत में पड़ गया था। केजी-1 से 10वीं तक की पढ़ाई उसने भोपाल में की। 11वीं और12वीं रायपुर से।

- बीई (सीएस ब्रांच) के लिए रूमता कॉलेज, भिलाई में दाखिला लिया। तीसरे साल में फेल हो गया।

- पश्चिम बंगाल के बांकुरा की रहने वाली आकांक्षा जयपुर के पास वनस्थली में पढ़ी। उसने एमएससी इलेक्ट्रॉनिक्स में किया।

- दिल्ली में रही। 2007 से उदयन के सम्पर्क में आई। जून 2016 में भोपाल आने के पहले कई बार फ्लाइट से उससे मिलने यहां आती रही।

ऐसे लगाया था लाश को ठिकाने

- पुलिस पूछताछ में उदयन ने बताया कि आकांक्षा का गला घोंटने के बाद वह लाश को ठिकाने लगाने का इंतजार करता रहा।

- कुछ समझ नहीं आया तो लाश फ्रिज में रख दी। दो दिनों तक वह फ्रिज के पास ही बैठा रहा। वह इंतजार में था कि जब पड़ोसी घूमने जाएंगे तो लाश को ठिकाने लगा देगा।

- एक दिन मौका मिला। पड़ोसी के घर में ताला देख उसने तुरंत रवि नाम के लड़के से 8 बोरी सीमेंट और रेत देने और माल बनाने को कहा।

- आकांक्षा की लाश उसने पहले फ्रिज से निकालकर प्लास्टिक की पन्नी में भरी। उसके बाद उसे लकड़ी और लोहे की पेटी में भर दिया। इसके बाद भी जब बदबू आई तो चबूतरा बना दिया।

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