रूपनगढ़।मुख्यमंत्री और बाबा रामदेव पहुंचे सलेमाबाद, 49वें पीठाधीश्वर बने श्यामशरण देव
अखिल भारतीय श्रीनिम्बार्काचार्यपीठ के युवाचार्य श्यामशरण देव का बुधवार आचार्य पदाभिषेक समारोह हुआ। वे 49वें जगद्गुरु निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर श्रीजी महाराज होंगे। इस अवसर पर राजस्थान की मुख्यमंत्री और योग गुरु बाबा रामदेव भी पहुंचे। हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में श्याम शरण देव ने आचार्य पद संभाला।
श्याम शरण देव का जन्म सलेमाबाद के गौड़ विप्र वंश इन्दौरिया में पिता वैद्य बालूमुकुन्द शर्मा के घर में माता सन्तोष देवी की कुक्षी से 9 सितम्बर 1986 को हुआ। जगद्गुरु श्रीजी महाराज के आचार्यपीठ में पीठाभिषिक्त हुए पचास वर्ष के उपलक्ष्य में स्वर्ण जयन्ती महोत्सव में 23 मई 1993 को बालक श्रीकान्त का सप्त वर्ष की अवस्था में श्रीजी महाराज व समस्त पीठ परिकर व भक्तों की भावनानुसार आचार्यपीठ के भावी उत्तराधिकारी के रूप में घोषित किया। इसके बाद श्रीकान्त युवराज श्यामशरण देव बन गए।
निम्बार्क सम्प्रदाय सिद्धान्तानुरूप बालब्रह्मचारी ही इस पद पर प्रतिष्ठित होते हैं। तब ही उन्हें दीक्षा दी जाती है। 5 मई 1995 को जगद्गुरु श्रीजी महाराज ने विरक्त वैष्णवी भगवती दीक्षा प्रदान की। युवाचार्य की प्रारंभिक शिक्षा आचार्यपीठ व वृन्दावन में हुई। वेद, दर्शन व संगीत की शिक्षा स्वंय श्रीजी महाराज ने प्रदान की।
मुख्यमंत्री ने की परिक्रमा
मुख्यमंत्री ने श्रीजी महाराज की समाधि स्थल पर परिक्रमा कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। वे सलेमाबाद में मुख्य मंच पर आचार्य श्याम शरण देव के नीचे आसन पर बैठीं। उनके साथ किशनगढ़ के विधायक भागीरथ चौधरी और अन्य भाजपाई भी साथ रहे।
श्याम शरण देव का जन्म सलेमाबाद के गौड़ विप्र वंश इन्दौरिया में पिता वैद्य बालूमुकुन्द शर्मा के घर में माता सन्तोष देवी की कुक्षी से 9 सितम्बर 1986 को हुआ। जगद्गुरु श्रीजी महाराज के आचार्यपीठ में पीठाभिषिक्त हुए पचास वर्ष के उपलक्ष्य में स्वर्ण जयन्ती महोत्सव में 23 मई 1993 को बालक श्रीकान्त का सप्त वर्ष की अवस्था में श्रीजी महाराज व समस्त पीठ परिकर व भक्तों की भावनानुसार आचार्यपीठ के भावी उत्तराधिकारी के रूप में घोषित किया। इसके बाद श्रीकान्त युवराज श्यामशरण देव बन गए।
निम्बार्क सम्प्रदाय सिद्धान्तानुरूप बालब्रह्मचारी ही इस पद पर प्रतिष्ठित होते हैं। तब ही उन्हें दीक्षा दी जाती है। 5 मई 1995 को जगद्गुरु श्रीजी महाराज ने विरक्त वैष्णवी भगवती दीक्षा प्रदान की। युवाचार्य की प्रारंभिक शिक्षा आचार्यपीठ व वृन्दावन में हुई। वेद, दर्शन व संगीत की शिक्षा स्वंय श्रीजी महाराज ने प्रदान की।
मुख्यमंत्री ने की परिक्रमा
मुख्यमंत्री ने श्रीजी महाराज की समाधि स्थल पर परिक्रमा कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। वे सलेमाबाद में मुख्य मंच पर आचार्य श्याम शरण देव के नीचे आसन पर बैठीं। उनके साथ किशनगढ़ के विधायक भागीरथ चौधरी और अन्य भाजपाई भी साथ रहे।
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