ग्वादर पोर्ट पर PAK की स्पेशल फोर्स, 3 लाख Cr के कॉरिडोर के लिए चीन भी भेजेगा नेवी
इस्लामाबाद.पाकिस्तान ने ग्वादर पोर्ट की सुरक्षा के लिए टास्क फोर्स (TF-88) तैनात कर दी है। ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (JCSC) और सेना के सीनियर ऑफिसर्स की मौजूदगी में मंगलवार को पोर्ट पर TF-88 को तैनात किया गया। JCSC के चेयरमैन जुबैर महमूद हयात ने कहा कि ग्वादर पोर्ट चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) का ताज है। उन्होंने कहा कि ग्वादर पोर्ट के जरिए पाकिस्तान की इकोनॉमी तेजी से बढ़ेगी। बता दें कि 3 लाख करोड़ के इस कॉरिडोर की सिक्युरिटी के लिए चीन के नेवी शिप्स भी ग्वादर पर तैनात होंगे। ड्रोन और लेटेस्ट हथियारों से लैस है TF-88...
- जनरल जुबैर महमूद हयात ने कहा, स्पेशल सिक्युरिटी डिवीजन के साथ TF-88 ग्वादर पोर्ट की निगरानी करेगी।
- उन्होंने कहा कि, "इकोनॉमिक कॉरिडोर की निगरानी के लिए लगाई गई TF-88 ड्रोन और लेटेस्ट हथियारों से लैस है।'
- ग्वादर पोर्ट CPEC का प्रमुख हिस्सा है और ये अब पूरी तरह से खुल गया है।
- CPEC 3000 किलोमीटर लंबा है और पाकिस्तान-चीन मिलकर इस कॉरिडोर को बना रहे हैं।
सिक्युरिटी में चीन की नेवी भी
- पाकिस्तान के अखबार "द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक ग्वादर बंदरगाह और 3 लाख करोड़ की लागत से बने चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर की सिक्युरिटी में चीन अपने नेवी शिप तैनात करेगा।
- अफसर के मुताबिक, पाकिस्तान, ग्वादर पर स्पेशल स्क्वॉड्रन भी तैनात करेगा।
- "पाकिस्तान नेवी अपने स्पेशल स्क्वॉड्रन के लिए चीन और तुर्की से सुपरफास्ट शिप खरीदने के बारे में सोच रही है।'
क्या फायदा है चीन को
- CPEC अरब सागर में पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग से जोड़ेगा।
- इस कॉरिडोर से चीन तक क्रूड ऑयल की पहुंच आसान हो जाएगी। चीन इम्पोर्ट होने वाला 80% क्रूड ऑयल मलक्का की खाड़ी से शंघाई पहुंचता है।
- अभी करीब 16 हजार किमी रास्ता है, लेकिन CPEC से ये दूरी 5 हजार किमी घट जाएगी।
- चीन अरब सागर और हिंद महासागर में पैठ बनाना चाहता है।
- ग्वादर पोर्ट पर नेवी ठिकाना होने से चीन अपने बेड़े की रिपेयरिंग और मेंटेनेंस के लिए ग्वादर पोर्ट का इस्तेमाल कर सकेगा।
- इसके चलते ग्वादर चीन के नेवी मिशन के लिए काफी फायदेमंद है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें