पुष्कर।गजब की आस्था-ये अपने खून की बूंदों से लिख रहे गीता और कुरान
हरियाणा निवासी पंडित कर्मवीर को ऐसी लगन लगी कि वे पिछले दस साल से श्रीमद् भागवत गीता और कुरान अपने खून से लिख रहे हैं। वे दोनों धर्मों की इन धार्मिक पुस्तकों के अब तक 555 पन्ने लिख चुके हैं।
खास बात यह है कि उन्होंने गीता का अनुवाद संस्कृत के साथ हिंदी में भी किया है। यह कार्य उनकी दिनचर्या का अंग है। इसके माध्यम से उन्होंने धार्मिक एकात्मता का अध्ययन तो किया ही, साथ ही उन्हें दोनों ग्रन्थों में मानव कल्याण का संदेश भी मिला। इसीलिए वे गीता व कुरान के उपदेशों को लेकर धर्म प्रचार पर निकले हैं।
तीर्थनगरी पुष्कर आए रोहतक जिले के निन्दाना ग्राम निवासी पं. कर्मवीर ने बताया कि 26 वर्ष की उम्र में वृन्दावन भ्रमण के दौरान संतों-पंडितों के सान्निध्य का अवसर मिला। इसी दौरान उनके मन में खून से गीता तथा कुरान लिखने की प्रेरणा जागृत हुई। वर्ष 2005 में सर्वप्रथम गीता का एक पेजअपनी अंगुली के ऊपरी हिस्से से निकाले खून से लिखने में बीत गया।
उसके बाद लगन बढ़ती गई तथा गीता के 700 श्लोक संस्कृत व हिन्दी में अनुवाद सहित 186 पेज तीन साल में अपने रक्त से लिख दिए। उसके बाद कुरान लिखना शुरू किया तथा सात वर्ष में कुरान के 369 पेज लिखे।
पिछले दस सालों में सुबह उठने के बाद खून से गीता-कुरान लिखना उनके रोजमर्रा का जुनून बनता गया। इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र दिल्ली आदि राज्यों का भ्रमण किया तथा अभी राजस्थान के दौरे पर पुष्कर यात्रा पर आए।
खून से लिखा पहला ग्रंथ
पं. कर्मवीर का दावा है कि भ्रमण के दौरान वे शंकराचार्य माधवाश्रम, सांसद आदित्यनाथ, चांदनाथ सहित कई हस्तियों से मिले। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन भारत सरकार की ओर से उनको दिए पत्र में विश्व में खून से लिखा पहला ग्रंथ होना बताया है। पुष्कर प्रवास के बाद वे दौसा के लिए रवाना हो गए।
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