बुधवार, 23 नवंबर 2016

सांसद देवजी पटेल ने संसद में रखा विदेषी नस्ल की गायों पर प्रतिबंध का मुद्दा


सांसद देवजी पटेल ने संसद में रखा विदेषी नस्ल की गायों पर प्रतिबंध का मुद्दा

नई दिल्ली, 23 नवम्बर 2016 बुधवार।


जालोर-सिरोही सांसद देवजी पटेल ने सोलहवीं लोकसभा के शीतकालीन सत्र में विदेशी नस्ल की गायों पर प्रतिबंध लगाने का मुद्दा उठाया।


-सिरोही सांसद देवजी पटेल ने लोकसभा में कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री सुदर्शन भगत से प्रश्न करते हुए कहा कि क्या जरसी और होल्सटीन नसलों की गायों का अनुपचारित दूध यूरोप में उपयोग हेतु अचछा नहीं समझा जाता क्योकि उसमें कैसोमर्फिन नामक एक रसायन मौजूद होता है जो एक प्रकार का धीमा जहर है तथा उच्च रक्तचाप सहित विभिन्न रोगों का कारण है, यदि हां, तो क्या सरकार विदेशी नस्ल की बायों के दूध को बाजार में विक्रय हेतु जारी करने से पुर्व इसे उपचारित करने की कोई योजना बना रही है यदि हां तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और क्या सरकार का विदेशी नस्ल की गायों पर प्रतिबंध लगाने का विचार है और यदि हां तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है।

कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री सुदर्शन भगत ने सांसद पटेल के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा यूरोप में जर्सी और हाॅलस्टीन नस्लों की गाय के असंसाधित दुध में केसियोमाॅर्फिन की उपस्थिति की वजह से उपयोग के कारण उक्त रक्त दबाव समेंत रोगों के बारे में कोई प्रमाणिक सूचना उपलब्ध नहीे है। हालांकि विदेशी नस्ल की गायों के एक दुध में शामिल बी केसिपोमाॅर्फिन के निहितार्थ के अध्ययन के सबंध में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने राष्ट्रीय कृषि विज्ञान कोष (एनएएसएफ) आईसीएआर द्वारा वित्तपोषित परियोजना भारतीय गायों में बीटा केसीन रुपों का वर्णन और ए1 ए एल दूध के संभावित स्वास्थ्य निहितार्थ को प्रारंभ किया है जो राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत ए एल दूध के प्रसंस्करण और विपणन के लिए निधियां जारी की गई है।

साथ ही कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री सुदर्शन भगत ने बताया कि राष्ट्रीय बोवाईन प्रजनन और डेयरी विकास कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय गोकुल मिशन नामक पहल को देशी नसलों के विकास और संवðन के लिए और देशी नस्लों के कोषके रुप में दो राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्रों की स्थापना तथा राष्ट्रीय डेयरी योजना के तहत 12 देशी नसलों गोपशु की गिर साहीवाल, रेड सिंधी,थारपरकर हरियाना और राठी नसलें तथा भैंस की मेहसाणा, मुर्राह जाफराबादी,पंधारपुरी,बन्नी और नीली रवि नस्लें के विकास और संवद्र्वन पर ध्यान केन्द्रित करेगाा।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें