बुधवार, 23 नवंबर 2016

दौरों के प्रति लापरवाह रहे प्रभारी मंत्रियों सचिवों से सीएम खफा राजहंस, मुकेश, कुंजीलाल को डांट देथा, रांका और रजत को शाबाशी

दौरों के प्रति लापरवाह रहे प्रभारी मंत्रियों सचिवों से सीएम खफा

राजहंस, मुकेश, कुंजीलाल को डांट देथा, रांका और रजत को शाबाशी



जयपुर | सीएमओमें मंगलवार को 11 घंटे चली मैराथन मंत्री-प्रभारी सचिवों की बैठक में मुख्यमंत्री अच्छे मूड में थी। लेकिन छह आईएएस को फिर भी कमजोर कार्य के लिए डांट पड़ गई। पशुपालन विभाग के सचिव कुंजीलाल पर सीएम लंबे समय नाराज रही और उनको खूब डांटा। बोली...राजस्थान पशु बाहुल्य प्रदेश है। करोड़ों पशु हैं। आईएएस हो इतनी भी जानकारी नहीं रखते हो। ऐसी योजना बनाते हो, जिससे केवल दो-तीन पशु लाभान्वित हो। ये क्या काम है...? इसी तरह जिलों के दौरों में कमजोर परफॉर्मेंस पर यूडीएच के प्रमुख सचिव मुकेश शर्मा और यूनिवर्सिटी कॉलेजों के प्रकरणों में राजहंस उपाध्याय और मंत्री कालीचरण सराफ को भी सीएम ने खूब सुनाई। इस बीच अच्छी परफॉर्मेंस भी कुछ आईएएस की रही। उनको सीएम ने शाबाशी दी। डूंगरपुर के प्रभारी आईएएस भवानीसिंह देथा, सिरोही के प्रभारी सचिव कुलदीप रांका और भीलवाड़ा के प्रभारी सचिव रजत मिश्रा को बेहतरीन कार्यों और जिलों की योजनाओं, बजट घोषणाओं की पालना पर सीएम ने सराहा। मंत्रियों में यूडीएच मंत्री राजपालसिंह शेखावत और किरण माहेश्वरी को लेकर सीएम ने काफी बातें कही। मैराथन बैठक में जिलों की परफॉर्मेंस में बांसवाड़ा के प्रभारी सचिव सुदर्शन सेठी सीएम की नजर में गए। उनको सीएम ने कहा आपको योजनाओं की जानकारी भी नहीं है क्या काम किया जिले में? यही हाल आनंद कुमार का रहा। उनसे कुछ सवाल पूछे गए तो वे योजनाओं को धीरे-धीरे देखकर पढ़ने लगे। इससे सीएम नाराज हो गई। उन्होंने कहा देखकर पढ़ने से भी कोई डिटेल नहीं बता पा रहे हो, यही है आपका काम। आईएएस राजीव ठाकुर और एमएस काला को भी कमजोर कार्यों के लिए सुनना पड़ा।

सीएम ने माइनिंग पॉलिसी की देरी पर सचिव अपर्णा अरोड़ा को भी काम में तेजी लाने को कहा। उन्होंने मंत्री-सचिवों से कहा- गाड़ी ले कर जिले में घूमना ही नहीं है, हर योजना से जुड़ो और परफॉर्मेंस सुधारो। जिले का हर हाल में एक बार दौरा करें। साल में कम से कम एक बार पूरे जिले का दौरा हों। योजनाओं की क्रियान्विति की जिम्मेदारी ऊपर के स्तर तक भी तय होनी चाहिए। इसे सिर्फ निचले स्तर के अधिकारियों के भरोसे नहीं छोड़ा जाना चाहिए।

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