शिक्षक जीवन भर शिक्षक रहता है - प्रो. देवनानी
शिक्षक बने समाज में बदलाव के वाहक
शिक्षा विभाग के अच्छे दिन आने हुए प्रारम्भ
अब रहेगा प्रारम्भिक शिक्षा पर फोकस
अजमेर, 21 अक्टूबर। शिक्षक जीवन भर शिक्षक रहता है। वह न तो थकता है और ना ही सेवानिवृत होता है। शिक्षक का विस्तारित अर्थ शि के अनुसार शिखर पर पहुंचाने वाला क्ष के अनुसार क्षमता बढ़ाने वाला तथा क के अनुसार कमी दूर करने वाला होता है। ये विचार शिक्षा राज्यमंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी ने शुक्रवार को पुष्कर में आयोजित राजस्थान शिक्षक संघ (सियाराम) के प्रान्तीय शैक्षिक अधिवेशन के समापन समारोह में रखें।
उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यक्ति का जीवन निर्माण करती है। छात्रा, शिक्षक, विभाग तथा सरकार मिलकर एक शैक्षिक परिवार का निर्माण करते है। इस परिवार के सम्मिलित प्रयासों से समाज में शिक्षक का सम्मान बढ़ा है। राजकीय विद्यालयों में शिक्षा का स्तर तथा गुणात्मक दृष्टि से सुधार हुआ है। इससे विद्यालयों की विश्वसनीयता में भी वृद्धि हुई है। शिक्षक का सम्मान जो पूर्व में केवल राज्य स्तर पर किया जाता था। राज्य सरकार के द्वारा इसे जिला स्तर एवं ब्लाॅक स्तर पर करने से शिक्षकों में सम्र्पण भावना में बढ़ोतरी हुई है। अध्यापकों द्वारा मन लगाकर पूर्ण क्षमता के साथ अध्यापन कार्य करवाने से राजकीय विद्यालयों में नामान्तरण में वृद्धि के साथ ही परीक्षा परिणाम में भी 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। राजकीय विद्यालयों के विद्यार्थी बोर्ड की वरियता सूची में अपना स्थान बना रहे है। उन्होंने आह्वान किया कि शिक्षक को अपने विद्यालय की मार्केटिंग ठीक उसी प्रकार करनी चाहिए जैसे हम अपने घराने की करते है। शिक्षक को अपने विद्यालय तथा साथी शिक्षकों के गुणों की चर्चा समाज में करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के अच्छे दिन आने आरम्भ हो गए है। इस क्रम में लगभग 86 हजार पदोन्नतियां की गई है। 27 अक्टूबर को लगभग 13 हजार तृतीय श्रेणी शिक्षको को द्वितीय श्रेणी में तथा जिला शिक्षा अधिकारी पद के लिए भी पदोन्नति प्रदान की जाएगी। शिक्षा विभाग में पूर्व में लगभग 52 प्रतिशत पद रिक्त थे। सरकार द्वारा पदोन्नति करने तथा नई भर्तियां करने से वर्तमान में लगभग 25 प्रतिशत पद ही रिक्त है। आगामी नवम्बर माह के अन्त तक रिक्त पदो की संख्या लगभग 11 प्रतिशत तक लाने के लिए सरकार प्रयासरत है। सरकार द्वारा 36 हजार नई भर्तियां की गई है तथा 44 हजार भर्तियां पाइप लाइन में है। तृतीय श्रेणी के लगभग 15 हजार पद आने वाले है। सरकार द्वारा अब तक माध्यमिक शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया था। इससे माध्यमिक स्तर पर शिक्षा में बेहतरीन परिणाम निकले अब प्रारम्भिक शिक्षा पर फोकस करके विद्यालयों का भौतिक एवं शैक्षिक उन्नयन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि राजकीय विद्यालयों का समय बढ़ाने से अभिभावकों द्वारा बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को निजी विद्यालयों से टीसी लेकर राजकीय विद्यालयों में भर्ती करवाया है। विद्यालय में विद्यार्थियों के आने से पूर्व व्यवस्थाओं संबंधी प्रबंधन के लिए संस्था प्रधान को विद्यालय समय से पहले आना चाहिए। इसी प्रकार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को भी पहले आकर अपना काम पूर्ण कर लेना चाहिए।
प्रो. देवनानी ने कहा कि विद्यार्थियो को भविष्य का देशभक्त नागरिक निर्माण करने मे ंपाठ्यक्रम का अहम योगदान रहता है। राज्य सरकार द्वारा इस विचार के साथ पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है। लगभग 200 वीरों एवं विरांगनाओं के माध्यम से सामाजिक समरसता एवं देशभक्ति के विचारों से परिपूर्ण पीढ़ि तैयार हो सकेगी। पाठ्यक्रम में नई पीढ़ि को लोतत्रंात के प्रति जागरूक करने के लिए आपातकाल के पाठ को भी जोड़ा गया है। विद्यार्थियों में आपातकालीन परिस्थितियों में स्वयं तथा समाज की रक्षा की भावना तथा आदत विकसित करने के लिए नागरिक सुरक्षा का पाठ भी सम्मिलित किया गया है। विद्यार्थियों को मातृभूमि से जुड़ाव पैदा करने के लिए कक्षा एक से पांच तक तीन चैथाई पाठ्यक्रम राजस्थान तथा 25 प्रतिशत पाठ्यक्रम भारत पर केन्द्रीत रखा गया है। इसके पश्चात कक्षा आठवीं तक राज्य एवं देश के लिए आधा-आधा पाठ्यक्रम निर्धारित किया गया है। आठवीं के पश्चात आगे की कक्षाओं में विश्व के बारे में अध्ययन करवाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि शिक्षक को शिक्षा के माध्यम से समाज में बदलाव का वाहक बनना चाहिए। शिक्षक विद्यार्थी का जीवन निर्माण करते समय आईक्यू के साथ-साथ इमोशनली (ई क्यू) तथा स्प्रीच्यूली (एस क्यू) पर भी ध्यान केन्द्रीत करना चाहिए। शिक्षक के व्यवहार में मर्यादा परिलक्षित होने से समाज में एक आदर्श व्यक्तित्व के रोल माॅडल स्थापित हो सकेंगे।
संसदीय सचिव श्री सुरेश सिंह रावत ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षकों को कत्र्वय परायणता के साथ अध्यापन कार्य करवाना चाहिए। छात्रा भविष्य के नागरिक होने साथ ही विद्यालय रूपी मन्दिर के देवता है।
जिला प्रमुख सुश्री वंदना नोगिया ने कहा कि शिक्षक प्राचीनकाल से ही समाज के लिए आदरणीय रहे है। नए पाठ्यक्रम से विद्यार्थियों में भारतीय संस्कारों का निर्माण होगा। महापुरूषों की जीवनी पढ़ने से भारतीय संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। पदोन्नतियों में पारदर्शीता से शिक्षक का सम्मान बढ़ा है।
शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सीताराम शर्मा ने कहा कि सरकार और संगठन आपसी सहयोग से विकास की नई दिशाए तय करते है। शिक्षा विभाग में क्रान्ति आने से विद्यालयों का वातावरण अच्छा हुआ है। शिक्षा में गुणात्तमक सुधार के कारण परिणाम मे वृद्धि हुई है। उन्होंने शिक्षक हितों से संबंधित विभिन्न मांगे रखी तथा सुझाव दिए कि समस्त सरकारी कर्मचारियों एवं अधिकारियों के बच्चों का राजकीय विद्यालयों में पढ़ना अनिवार्य होना चाहिए तथा सीपीएफ के स्थान पर जीपीएफ को पुनः आरम्भ करना चाहिए।
इस अवसर पर सम्मेलन के संयोजक शक्ति सिंह गौड़, प्रदेश महामंत्राी विजेन्द्र शर्मा तथा बड़ी संख्या में शिक्षक उपस्थित थे।
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