शनिवार, 1 अक्तूबर 2016

जोधपुर सरकारी पैसे का हो रहा दुरुपयोग, आंगनवाड़ी केन्द्रों को बंद कर देना ही बेहतर: मनन चतुर्वेदी



जोधपुर
सरकारी पैसे का हो रहा दुरुपयोग, आंगनवाड़ी केन्द्रों को बंद कर देना ही बेहतर: मनन चतुर्वेदी



सरकारी पैसे का हो रहा दुरुपयोग, आंगनवाड़ी केन्द्रों को बंद कर देना ही बेहतर: मनन चतुर्वेदी
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी ने कहा कि कई आंगनवाड़ी केन्द्रों की स्थिति अच्छी नहीं है सिर्फ औपचारिक रूप से खुले हुए हैं। इनमें सुधार नहीं हो तो बंद कर देना ही बेहतर है।

सर्किट हाउस में शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए आयोग अध्यक्ष मनन ने कहा कि उन्होंने कई बार आंगनवाड़ी केन्द्रों का निरीक्षण किया तो पाया कि बच्चे नहीं है फिर भी पोषाहार पूरा उठ रहा है। एेसे आंगनवाड़ी केन्द्रों को बंद कर देना चाहिए या फिर सरकार को इन्हें सुधारने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए ताकि सरकारी पैसे का दुरुपयोग नहीं हो।




जोधपुर में किशोर गृह से बच्चे भागने के मामले में मनन का कहना है कि एक लड़का और लड़की का प्रेम प्रकरण था। इस मामले में एक लड़का किशोर गृह आया और उसी लड़के ने अपने अन्य सार्थियों के साथ मिलकर भागने की योजना बनाई। उन्होंने कहा कि अफसोस की बात तो यह है कि बड़े घरों के बच्चे भी कई बार यह कहते हैं उन्हें वापस घर नहीं जाना है। इसका मतलब है कि घर में उन्हें कोई समझने वाला नहीं है। एेसे बच्चों को सिर्फ प्यार, स्नेह और संवाद की जरूरत है। जोधपुर में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारियों और किशोरगृह, नारी निकेदन के अधिकारियों के बीच टकराव के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत बड़े स्तर पर हुई है। अधिकारियों को हिदायत दी गई भविष्य में एेसा करने आयोग सख्त कार्रवाई करेगा।



सरहदी क्षेत्र में जाएगा आयोग

मेहरानगढ़ मेले में सुरक्षा बंदोबस्त पर सन्तोष व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि दीवार के पास लड़कियां सेल्फी ले रही थी। एेसा नहीं करने के लिए पुलिस को निर्देश दिए हैं। मेडिकल सुविधा बढ़ाने के लिए भी कहा है। आयोग अध्यक्ष ने कहा कि आयोग जल्दी ही 1070 किलोमीटर सरहदी इलाके के आसपास गांव व कस्बों में जाकर वहां स्थितियां देखेगा। शुरुआत श्रीगंगानगर जिले से होगी। उन्होंने कहा बच्चे अपने घरों से भागकर आते हैं और यहां आकर भी भागते हैं।

उनसे बातचीत करने और उनकी मन की बात को समझने की जरूरत है। इसलिए हमने सभी बाल सुधार गृहों में बच्च्चों के बीच जाकर उनसे चिट्टियां लिखवाई हैं ताकि जो बात वे किसी को नहीं कह सकते वो हमें लिखकर बताएं। सुधारगृह का माहौल घर जैसा होना चाहिए ना ही जेल की भांति। उनका मन बहलाने और मुख्य धारा में लाने के लिए आने वाले दिनों में आयोग क्रिकेट, कैरम बोर्ड, चैस सहित अन्य खेलकूल प्रतियोगिताएं करवाई जाएंगी।

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