शुक्रवार, 9 सितंबर 2016

जैसलमेर मेले में भक्तों के निराले रूप



जैसलमेर मेले में भक्तों के निराले रूप 
रामदेवरा , 9 सितम्बर। बाबा रामदेवरा मेले में रामसापीर की समाधी के दर्शन हेतु श्रृद्वालुओं की आस्था़ निरंतर बढ रही है। बाबा के दर्शन करने के लिए कई स्थानों एवं कई रास्तों से बालक से वृद्धजन एवं सभी वर्गो के लोग रामदेवरा पहुंच रहे है। मेले के रंग निराले है। बालकों के मुण्डन संस्कार श्रृद्वालू समाधी परिसर में स्थित घोड़े पर सवार बाबा की मूर्ति को बार-बार नमन कर रहे है। बाबा के मंदिर सागर किनारे रिखिए समुदाय के स्त्री-पुरुष बाबा के आध्यात्मिकता के प्रतीक तंदूरे पर बाबा के लोकभजन प्रस्तुत कर श्रृद्धालु भक्तों से भेंट पा रहे है।

मेले में सब ओर से विशाल ध्वजाओं को लेकर बाबा की समाधी पर ध्वजा फहरा रहे है और कुशल मंगल के लिए उनमें से ही ध्वज अपने साथ घरों के लिए ले जा रहे है। बाबा के मंदिर पर सतरंगी ध्वजाएं ऐसी लहरा रही है जो भक्तजनों की श्रृद्धा का प्रतीक है। बाबा के मंदिर में पदयात्रियों , दण्डवत करते हुए श्रृद्धालु अपने परिवारजन यथा पत्नी ,पति ,पुत्र और अपने संबंधियों के साथ अनवरत रुप से बाबा की समाधी पर पहुंच रहे है। मेले में दण्डवत करने वाले जातरु किसी कार्य , समस्या ,बीमारी , कोई विप्पति दूर होे जाने के संकल्प पूरा करने के लिए बाबा की समाधी तक पहुंचते है।

श्रीगंगानगर से ललिता नामक की श्रृद्वालू महिला व उसके पति पवन ने बताया कि 14 दिवस पूर्व श्रीगंगानगर से पैदल यात्रा करके बाबा रामदेवरा पहुंच कर बाबा रामदेव जी के दर्शन कर भावविभौर सी हो रही थी। उसने कहा कि बाबा मेरे कुलदेवता है उन्होंने मेरी एक मन्नोती पूर्ण की। मैं यहां पहूंची तो मेरे पैर में छाले हो गये बारिश हो रही थी बाबा का ऐसा विश्वास था कि पैर ठहरने का नाम नहीं ले रहे थे। श्रृद्धालुओं का एक स्वर से कहना है कि बाबा दीन दुःखियों ,पीड़ितों की , सेवा अदृश्य रुप से आज भी कर रहे है। श्रृद्धालू कह रहे है कि बाबा की महिमा हमेशा बढती़ रहे यही हमारी प्रार्थना है।

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बाबा के मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम की धूम मची
रामदेवरा ,9 सितम्बर। रामदेवरा मेला चैक में गुरुवार को भी सांस्कृतिक कार्यक्रम में रामसापीर के भजनों की रसधार बही। हाकमखां एवं सभी लोक कलाकारों ने बाबा के भावपूर्ण भजनों को स्वर व नृत्य में माला पिरोई।

मारवाड़ लोक कला मण्डल के तत्वावधान में रात में रामदेवरा रंगमंच पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत गणपति वन्दना ’’ मेरे दाता तुम हो ’’ के गायन में हुई। ख्यातनाम लोक कलाकार हाकमखां ने बाबा रामदेव के भजन ’’ रामा कहूं के रामदेव ’’ के गायन से आराधना की। रामदेव जी के बाल रुप में वर्णन करते हुए ’’ मां मन्हें घौड़लियो मंगवा दे......’ इसी बीच बाबा के घोड़े पर सवार स्वरुप होकर मंच पर आए एक कलाकार को देख कर दर्शकगण भाव विभौर से हो उठे। बाबा के इस स्वरुप एकटक मंत्रमुग्ध होकर बाबा को निहारते रहे। दर्शकों का चेहरा खिल उठा।

सांस्कृतिक कार्यक्रम में पंजाब से आए दो भक्त राजन व वीरु ने भगवान शिव एवं मां शक्ति पार्वती का भक्ति जागरण ,वार्तालाप शिव ताण्डव का शानदार तरीके से नृत्य पेश किया इसके बाद इन कलाकारों ने बाबा रामदेव की आराधना में जोश व खरोश से यह गीत पेश किया कि ’’ बाबा तेरी नगरी में मैं दीवाना हो गया मैं मस्ताना होगया ’’...... मथरा से मैं अकेला आया पीरों के पीर तेरी भक्ति मुझे खींच लायी आदि बेहद खूबसूरती नाटकीय रुप में अपनी अनूठी प्रस्तुतीयाॅं देकर दर्शकों को तालियाॅं बजाने के लिए मजबूर सा कर दिया।

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