बाड़मेर जिला जेल की जमीन से अतिक्रमण हटाने के आदेश
-जिला कलक्टर को सुनवाई का अवसर देकर कार्रवाई करने को कहा
जोेधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बाड़मेर जिला कलक्टर को जिला जेल की भूमि पर किए गए अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए हैं।
जोधपुर के केंद्रीय कारागार में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कैदी भंवरलाल ने राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखते हुए बाड़मेर की जिला जेल की भूमि पर किए गए अतिक्रमण हटाने की गुहार लगाई थी। पत्र में भंवरलाल ने लिखा था कि वह सात साल की सजा काट चुका है और नियमानुसार ओपन जेल में रहने का पात्र है, लेकिन बाड़मेर जिला जेल की भूमि पर अतिक्रमण होने से उसे वहां शिफ्ट नहीं किया जा रहा। मुख्य न्यायाधीश ने इस पत्र को ही जनहित याचिका के रूप में दर्ज करते हुए एडवोकेट दिनेश बोथरा को न्याय मित्र नियुक्त किया था। न्याय मित्र ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बाड़मेर जेल को राज्य सरकार ने वर्ष 1967 में 32 बीघा भूमि आवंटित की थी, जिसकी चारदीवारी नहीं होने से वर्ष 1980 के बाद कई लोग आवंटित भूमि पर अतिक्रमण करते चले गए। वर्तमान मंे जेल की भूमि पर 29 लोगों ने 8 बीघा से ज्यादा भूमि पर अतिक्रमण कर रखा है।
इस जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अप्रार्थीगणों के अधिवक्ताओं ने दलील दी कि जेल की जिस भूमि पर अतिक्रमण की बात कही जा रही है, कई लोगों के पास उस भूमि के पट्टे हैं और कुछ के पक्ष में जिला न्यायालय की डिक्री भी है। सभी पक्षों की सुनवाई के बाद वरिष्ठ न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायाधीश कैलाश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने बाड़मेर जिला कलक्टर को राजस्व रिकाॅर्ड के अनुसार अतिक्रमण करने वालों को सुनवाई का अवसर देते हुए विधिक प्रक्रिया से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए हैं।
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