रक्षाबंधन: जेल में बंद भाईयों के लिए उमड़ा बहनों का प्यार, आसाराम के लिए भी राखी लाई बहनें
जोधपुर। रक्षाबंधन त्यौहार है भाई-बहन के अनोखे रिश्ते का... एेसा रिश्ता जिसमें प्यार के साथ-साथ तमाम भावनाएं जुड़ी हैं... भाई जहां सुरक्षा व दायित्व का कर्तव्य निभाता है तो बहन प्रेम व समर्पण का निर्वहन करती है। दोनों ने चाहे कितनी भी गलतियां की हों, इस दिन सभी कड़वाहट दूर हो जाती है। इसी का एक उदाहरण गुरुवार को रक्षाबंधन के दिन सेंट्रल जेल में नजर आया। जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद भाईयों को राखी बांधने कई बहनें यहां पहुंची।
सेंट्रल जेल के बसहर सुबह से ही बहनों का तांता लगा था, जो अपने भाई की कलाई पर राखी बांधना चाहती थीं। कतार में खड़ी बहनें अपनी बारी का इंतजार कर रही थीं। इस दौरान यहां एक महिला आसाराम को राखी बांधने के लिए भी जेल पहुंची। त्यौहार व बहनों की भीड़ को देखते हुए जेल प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे।
जेल अधीक्षक विक्रम सिंह ने बताया कि रक्षाबंधन भाई-बहनों के प्यार का प्रतीक है। इस दिन हर साल बहनें अपने भाईयों को राखी बांधने आती हैं। भाई चाहे गुनाह कर के जेल में बंद हों, लेकिन बहनों के लिए तो उनका रिश्ता पवित्र है। इसी को मद्देनजर रखते हुए हम हर साल बंदियों की बहनों को राखी बांधने का अवसर देते हैं। हालांकि इसके लिए कड़ी सुरक्षा के प्रबंध किए जाते हैं। सिंह ने बताया कि सुबह सुबह आठ से शाम पांच बजे तक बारी-बारी से समूह में बंदियों को बाहर लाकर राखी उनकी बहनों से राखी बंधवाई गई।
बहनों को इसके लिए अपना पहचान पत्र साथ लाना अनिवार्य था। साथ ही पूरी सुरक्षा जांच के बाद ही उन्हें अंदर आने दिया गया। वहीं दूसरी ओर बंदियों को कड़े सुरक्षा घेरे में बाहर लाया गया। इसी बीच यहां एक महिला आसाराम को भी राखी बांधने पहुंची। सुबह से सेंट्रल जेल के बाहर बैठी ये महिला आसाराम के लिए राखी बनाती देखी गई। इसके बाद उसने कृष्ण भगवान की मूर्ति को वो राखी बांध दी। उसने काफी देर तक आसाराम को राखी बांधने का इंतजार किया, लेकिन सुरक्षा कारणों और आसाराम की तबीयत को देखते हुए महिला को निराशा हाथ लगी।
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