जयपुर जन्माष्टमी पर 75 साल बाद विशेष योग, छह ग्रहों के केंद्रीय व त्रिकोण योग में जन्मेंगे कन्हैया
ज्योतिषियों की माने तो 75 साल बाद ऐसा दुर्लभ योग बन रहा है। इसके बाद वर्ष 2040 में यह संयोग बनेगा। केंद्रीय व त्रिकोण योग के अलावा सूर्य स्वराशि सिंह व मंगल अपनी राशि वृश्चिक होंगे। साथ ही बुध व चंद्रमा उच्च राशि में रहेंगे। हजारों वर्ष पूर्व भगवान कृष्ण के जन्म पर भी इसी प्रकार का योग बना था।
पंडित बंशीधर ज्योतिष पंचांग के निर्माता पंडित दामोदर प्रसाद शर्मा के अनुसार भगवान कृष्ण के जन्म के समय सूर्य, चंद्रमा, मंगल, शनि, राहु व केतु कुंड़ली के केंद्रीय भाव में रहेंगे। वहीं बुध, गुरु व शुक्र मिलकर त्रिकोण योग बनाएंगे। उन्होंने बताया कि यह योग आमजन के लिए श्रेष्ठकारक व समृद्धिकारक रहेगा। साथ ही रुके हुए कार्यों में निरन्तरता आएगी। सरकार, जनता के हित में अधिक कार्य करेगी।
पंचामृत में मिलेगा ग्रहों के योग का प्रसाद
ग्रहों के इस विशेष योग का प्रसाद कृष्ण भक्तों को पंजीरी व पंचामृत के माध्यम से मिलेगा। पंडित दामोदर ने बताया कि पंजीरी में बुध व गुरु का समावेश होता है। इन दोनों ग्रहों के त्रिकोण योग का लाभ लोगों को प्रसाद के रूप में प्राप्त होगा। वहीं, पंचामृत में लौकिक और परलौकिक प्रभावों को संतुलित बनाने की अहम भूमिका रहती है। सारे ग्रहों की स्थिति अनुकूल होने से दोनों लोक में यह प्रभावी रहेगा। पंजीरी व पंचामृत के प्रसाद से लोगों के कार्य में सिद्धि व सफलता मिलेगी।
बृहस्पति 11 को करेंगे कन्या राशि में प्रवेश
देवताओं के गुरु बृहस्पति 11 अगस्त को रात्रि 9.46 बजे सिंह राशि को छोड़कर व्यापारिक ग्रह बुध की राशि कन्या में जा रहे हैं। यहां 12 सितम्बर 2017 तक रहेंगे। सिंह राशि में यह 29 जनवरी 2016 से राहु से युति बनाकर गुरु चाण्डाल योग का निर्माण भी कर रहे थे। यह देश, राज्य और व्यापार जगत के लिए अच्छा नहीं था। अब कन्या राशि में प्रवेश व्यापारियों के लिए उन्नतिदायक व लाभकारी सिद्ध होगा। वहीं मुद्रा स्फीति की दर बढऩे और रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत होकर देश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकता है। ज्योतिषियों ने बताया कि बृहस्पति 12 वर्ष बाद कन्या राशि में आ रहे हैं। एेसा माना जाता है कि कन्या में बृहस्पति के प्रवेश से सभी के अच्छे दिन फिर से आएंगे। बृहस्पति ग्रह शिक्षा जगत में आमूलचूल परिवर्तन कर शिक्षकों और विद्यार्थियों का उत्थान करेंगे। विद्वानों, संतों का सम्मान भी बढ़ाएंगे। धर्म के प्रति आम जनता की रुचि बढ़ेगी और धार्मिक कार्य खूब होंगे। रोजगार के अवसर भी बढऩे की संभावना है।
राशिगत प्रभाव
शुभ : वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, मकर, मीन,
अशुभ: मिथुन, कुंभ, तुला
सामान्य: मेष, कर्क वृश्चिक
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