मंगलवार, 16 अगस्त 2016

राजस्थान में 'दरिंदे' पिता-पुत्र डॉक्टर की नापाक करतूत, 30 हजार में किया अजन्मी कन्या को मारने का सौदा

राजस्थान में 'दरिंदे' पिता-पुत्र डॉक्टर की नापाक करतूत, 30 हजार में किया अजन्मी कन्या को मारने का सौदा



जयपुर/ नागौर। राजस्थान में तमाम कठोर कानूनों के बावज़ूद लिंग परीक्षण के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। गर्भ में ही शिशु का लिंग परीक्षण करने का ताज़ा मामला नागौर ज़िले के मकराना में सामने आया है।
चौंकाने वाली बात ये हैं कि जो डॉक्टर लिंग परीक्षण कर रहा था उस पर दो बार पहले भी इसी तरह की कार्रवाई हो चुकी है। दोनों कार्रवाई के दौरान जो सोनोग्राफी मशीने सील की गई थी उन्हीं मशीनों को डॉक्टर ने एक कम्प्यूटर मॉनीटर से जुगाड़ के जरिए जोड़ लिया था और अपने नापाक मँसूबों को अंजाम दे रहा था।

कार्रवाई करने पहुंची जयपुर और बीकानेर टीम पर डॉक्टर पिता और उसके पुत्र ने हमला कर दिया और उनके हाथ और कंधे पर काट खाया। दोनों के खिलाफ नजदीकी थाने पर राजकार्य में बाधा डालने का भी मामला दर्ज कराया गया है।

राजस्थान में 'दरिंदे' पिता-पुत्र डॉक्टर की नापाक करतूत, 30 हजार में किया अजन्मी कन्या को मारने का सौदा
30 हजार परीक्षण और 30 हजार में ठिकाने लगाने की सुविधा!
जयपुर और बीकानेर से नागौर गई टीमों ने यह कार्रवाई की है। जयपुर से गए पीसीपीएनडीटी अफसर रघुवीर सिंह और बीकानेर से जिला समन्वयक महेन्द्र सिंह एवं एसआई विक्रम इस कार्रवाई में शामिल हुए थे। टीम को सूचना मिली थी कि मकराना में सनसिटी अस्पताल का डॉक्टर नियाज अहमद, नर्स राजी बाई अपने अस्पताल में लिंग परीक्षण करते हैं।

यहां तीस हजार रुपए परीक्षण करने के और अगर बच्चा नहीं चाहिए तो उसे ठिकाने लगाने की एवज में अतिरिक्त तीस हजार रुपए लिए जाते थे। शिकायतें मिलने के बाद पीसीपीएनडीटी सेल ने योजनाबद्ध तरीके से ट्रेप कार्रवाई को अंजाम दिया।


इस पर जयपुर से एक गर्भवती महिला को बोगस ग्राहक बनाकर डॉक्टर नियाज अहमद के अस्पताल भेजा गया। नियाज ने तीस हजार रुपए नर्स के जरिए मांगे। जैसे ही उसने रुपए मांगे पीसीपीएनडीटी टीम ने उसे धर लिया।


डॉक्टर को पकडने की सूचना बेटे इमरान को मिली तो वह भी अस्पताल आ गया। उसने और उसके पिता ने टीम पर हमला कर दिया। टीम के तीन सदस्यों के हाथ, कंधे और गर्दन पर काट लिया। बाद में दोनो के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की गई। परबतसर थाने में राजकार्य में बाधा डालने का मामला दर्ज कर लिया गया।



अपने तरह का पहला मामला, आईटी एक्सपर्ट की तलाश
टीम के सदस्यों ने बताया कि डॉक्टर पर साल 2012 और 2014 में भी कार्रवाई की गई थी। इस दौरान दो सोनोग्राफी मशीनें सील की गई थी। इन मशीनों को अस्पताल के ही एक कमरे में बंद कर दिया गया था। लेकिन डॉक्टर ने इन बंद मशीनों से ही फिर से काम शुरु कर दिया। इन मशीनों को एक आईटी एक्सपर्ट की मदद से नए मॉनीटर से जोड़ लिया गया। पुलिस आईटी एक्सपर्ट की भी तलाश करने में जुट गई है। उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी है।

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