शनिवार, 30 जुलाई 2016

मोदी राज में पत्रकारिता मुश्किल जॉब हुआ, भाजपा—आरएसएस समर्थक पत्रकारों को सरेआम गालियां देते हैं : शेखर गुप्ता

मोदी राज में पत्रकारिता मुश्किल जॉब हुआ, भाजपा-आरएसएस समर्थक पत्रकारों को सरेआम गालियां देते हैं : शेखर गुप्ता



जयपुर। वरिष्ठ पत्रकार और इंडियन एक्सप्रेस के पूर्व संपादक शेखर गुप्ता ने कहा कि मोदी राज में पत्रकारिता बहुत मुश्किल जॉब हो गया है। भाजपा और मोदी के समर्थकों ने मीडिया को निशाना बनाना शुरू किया। हालांकि मीडिया को निशाना बनाने का सिलसिला अन्ना आंदोलन के समय से ही शुरू हो गया था, लेकिन केंंद्र मेंं भाजपा की सरकार बनने के बाद तो यह सिलसिला और बढ़ गया। शेखर गुप्ता शुक्रवार को यहां दिल्ली रोड स्थित एक होटल में तीन दिवसीय टॉक जर्नलिज्म सेमीनार में बोल रहे थे।


उन्होंने कहा कि जो भाजपा या सरकार के समर्थन में नहीं लिखे उसके लिए प्रेस्टीट्यूट और प्रेश्या जैसे शब्दों का इस्तेमाल शुरु कर दिया गया, दल्ले तक कहा गया। जो उनके साथ हैं वे राज्यसभा में बैठे हैं, जो साथ नहीं है वे प्रेस्टिीट्यूट हैं, यह माहौल बना दिया है। भाजपा—आरएसएस के समर्थक मीडिया को खुलेआम गालियां दे रहे हैं, कोई टफ सवाल पूछ लेता है, वह प्रेस्टिीट्यूट करार दे दिया जाता है।


मोदी राज में कोई बड़ा स्कूप नहीं निकला, सूचनाओं पर पहरा सा बैठा दिया :गुप्ता ने कहा कि मोदी राज के दो साल में सरकार से कोई बड़ा स्कूप निकलकर नहीं आया। दो साल में सरकार से कोई बड़ी सूचना लीक होकर खबर नहीं बनी। स्मृति इरानी को एचआरडी से हटाया जाएगा, इसकी किसी को कानों—कान खबर नहीं लगी। यहां तक कि सचिवों के तबादलों तक में कोई खबर नहीं लगती। सूचनाओं पर एक तीह से पहरा बैठा दिया गया हैै।


राजनेताओं में पत्रकारों को दूर रखने भावना घर कर गई :शेखर गुप्ता ने कहा कि दूसरी बड़ी समस्या यह हो गई है कि बड़े राजनेता अब मीडिया को इंटरव्यू देने से कतराते हैं। ममता बनर्जी, जयललिता, महबूबा मुफ्ती जैसी मुख्यमंत्री भी इंटरव्यू नहीं देते। राजनेता अब पत्रकारों के लिए अनएक्सेसेबल हो गए हैं। पत्रकारों को दूर रखो, राजनेताओं में अब यह भावना घर कर गई है।


जनता में पत्रकारों का पर्सेपशन यह बन गया कि पत्रकार वह जो सारे काम करा सके :शेखर गुप्ता ने कहा कि पत्रकारों के बारे में जनता में आम धारणा यह बन गई है कि है कि पत्रकार वह जो सारे काम करवा सकता है। वह कोल माइंस का लाइसेंस दिलवा सके, जमीन दिलवा सके, पत्रकार वह जो राज्यसभा की सीट फिक्स करवा सके।


सुबह सात बजे फोन आया, अमरसिंह से कहकर प्लॉट दिलवा दीजिए, मैंने कहा, तो फिर खुद ही ले लूंगा :शेखर गुप्ता ने पत्रकारों से लोग किस तरह की उम्मीदें रखने लगे हैं। इसके बारे में एक किस्सा सुनाया। गुप्ता ने कहा कि कई साल पुरानी बात है, जब मुलायम सिंह यूपी के सीएम थे और अमर सिंह पावरफुल थे। एक दिन सुबह सात बजे यूरोप के किसी देा से एक सज्जन का फोन आया, जिसने बताया कि उसने मुझे रेस्टोरेंट में खाना खिलाया था। उसने कहा कि वह भारत आना चाहता है, मैंने कहा कि मैं क्या कर सकता हूं। उस सज्जन ने कहा कि आप अमर सिंह से कहकर मुझे एक नोएडा में इंडस्ट्रियल प्लॉट दिलवा दीजिए ताकि वहां एक फैक्ट्री लगा लूंं, क्योंकि मैंने आपको अमर सिंह का इंटरव्यू करते देखा है, वह आपकी बात मान जाएंगे। मैंने मना किया तो बोला कि चलिए इंडस्ट्रीयल न सही आवासीय प्लॉट दिलवा दीजिए, ताकि मकान ही बना लूंं। गुप्ता ने कहा कि मैंने उस सज्जन को साफ कह दिया कि जब मेरी इतनी ही चलती तो मैं मेरे लिए या अपने परिजनों के लिए ही मांग लूंगा आपको क्यों दिलाउंगा।


आज के स्टूडियो में बैठे स्टार पत्रकारों ने कब खबर ब्रक की, ये पत्रकार नहीं फिल्म स्टार हैं :गुप्ता ने कुछ मशहूर एंकरों पर चुटकी लेते हुए कहा कि आज स्टार पत्रकार वह है, जो सबसे ज्यादा दिखता है लेकिन इन्होंने कभी कोई खबर ब्रेक नहीं की। इन बड़े एंकरों ने पिछले 10—15 साल में कब कोई बड़ी खबर ब्रेक की। ये स्टार एंकर पत्रकार नहीं फिल्म स्टार है। स्टार बने ये 16—17 एंकर फील्ड में काम नहीं कर रहे।

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