बीकानेर ऊंटनी देने लगी चार की जगह आठ लीटर दूध
खेती-किसानी और भार ढोने में ऊंट का उपयोग घटने के साथ ही अब अनुसंधान केन्द्र गत पांच साल से ऊंटों की भार खींचने और कृषि कार्य में ताकत बढ़ाने की जगह अब ऊंटनी के दूध देने की क्षमता को बढ़ाने पर काम कर रहा है।
इसमें अनुसंधान केन्द्र को दूध देने की क्षमता में डेढ़ से दो गुणा करने में सफलता मिली है। परिणाम से उत्साहित वैज्ञानिक अब ऊंटनी के बयात (बच्चा पैदा होने) के बाद 18 से 20 महीने तक दूध देते रहने और जीवनकाल में पांच-छह से बढ़ाकर 9 बार तक बयात कराने का प्रयास है।
मंदबुद्धि का उपचार
बीकानेर के उष्ट्र केन्द्र से रोजाना 50 लीटर ऊंटनी का दूध पंजाब के फरीदकोट स्थित बाबा फरीद सेंटर जा रहा है। जहां मंदबुद्धि बच्चों को रोजाना एक-एक गिलास दूध दिया जाता है।
उष्ट्र केन्द्र प्रशासन को फरीद सेंटर से मिली रिपोर्ट भी इस दूध की उपयोगिता को साबित करती है। इसमें बताया गया है कि ऊंटनी का दूध पीने वाले बच्चों में ठीक होने की ग्रोथ रेट में साठ फीसदी तेजी आई है।
लक्ष्य बीस लीटर प्रतिदिन
बीकानेरी, जैसलमेरी और मेवाड़ी नस्ल की ऊंटनी के दूध देने की क्षमता बढ़ाने पर छह साल पहले अनुसंधान शुरू किया। केन्द्र में करीब डेढ़ सौ ऊंटनी है। पहले प्रतिदिन ऊंटनी की दूध देने की औसत क्षमता तीन से चार लीटर थी।
खान-पान, देखभाल, संतुलित आहार सहित विभिन्न पहलुओं पर काम करने से अब दूध की क्षमता आठ लीटर प्रतिदिन तक पहुंच गई है। हमारा लक्ष्य इसे बढ़ाकर 20 लीटर प्रतिदिन पहुंचाने का है।
डॉ. एनवी पाटिल, निदेशक केन्द्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र बीकानेर
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