जोधपुर। क्या सेलेब्रिटी होने के कारण ही उलझे सलमान? शिकार मामलों में वन विभाग का दोहरा रवैया
जोधपुर
हरिण शिकार के मामलों में वन विभाग का दोहरा रवैया सामने आ रहा है। 18 साल पुराने चिंकारा शिकार प्रकरण में जिस तरह वन विभाग के अफसरों ने तत्परता दिखाई, एेसी तत्परता आए दिन हो रहे शिकार प्रकरणों में दिखाई नहीं दे रही। जबकि अपराध की नजर से कोई आम व खास नहीं होता। अफसरों की लापरवाही कहे या ढिलाई, किसी भी केस को प्रभावी नहीं बना पाने से अधिकतर आरोपी सजा तक नहीं पहुंचे। अधिकतर मामले जुर्माना और बरी होने तक ही निपट गए।
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बॉलीवुड स्टार सलमान खान को हरिण शिकार के मामलों में 18 साल तक सेलिब्रिटी होने की वजह से ही कानूनी दांवपेंच में उलझना पड़ा। यदि सलमान खान बॉलीवुड के 'सुल्तान' नहीं होते तो शायद वन विभाग इस केस को लेकर गंभीर नहीं होता। वन विभाग ने इन 18 बरसों के दौरान 71 चिंकारों व काला हरिण के प्रकरण पर एफआर लगा कर फाइल बंद कर दी थी।
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दस साल में दर्ज हुए 406 मामले
वर्ष 2001 से 2010 तक वन्य जीव अपराध के कुल 406 मामले दर्ज हुए जिनमें 241 एेसे मामले थे, जो प्रशमन योग्य मानते हुए विभागीय स्तर पर निस्तारण कर वन्यजीव अपराधियों से 14 लाख 34 हजार जुर्माना राशि वसूल कर छोड़ दिया गया। वर्ष 2010 से अप्रेल 2015 तक कुल 342 वन्यजीव शिकार प्रकरण दर्ज किए गए। इनमें 168 मामलों को कम्पाउंड कर आरोपियों से 11 लाख 67 हजार रुपए जुर्माना राशि वसूल की गई।
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दो दशक में वन्यजीव शिकार व अपराध से जुड़े करीब 900 से अधिक मामलों में करीब 600 मामले तो कम्पाउण्ड और केवल सौ मामलों में चालान पेश किया गया। पचास से अधिक प्रकरण में शिकार के आरोपी बरी हो गए थे। वन्यजीव अपराध होने पर वनकर्मियों की ओर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज तो कर ली जाती है लेकिन सभी मुकदमों का अनुसंधान समय पर नहीं होता है।
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इसीलिए वर्ष दर वर्ष लम्बित अपराध प्रकरणों की संख्या बढ़ती जाती है। इसका दुष्पपिणाम यह होता है कि समय बीतने के साथ वन्यजीव अपराध साक्ष्य मिलने की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं। पेशी पर आने-जाने के लिए कोई भुगतान नहीं मिलने के कारण गवाह रु चि नहीं लेते हैं।
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वर्तमान में शिकार के लम्बित प्रकरण
वन्य जीव शिकार के कुल 138 मामलों में 45 मामले विभाग और 92 कोर्ट में लंबित हैं। इनमें एक साल से कम अवधि के 2, एक वर्ष से अधिक अवधि के 7, तीन वर्ष से अधिक अवधि के 37 और तीन वर्ष से अधिक पुराने मामले 46 हैं। लंबित मामलों में 35 काले हरिण व चिंकारा और 15 नील गाय व खरगोश शिकार के मामले हैं।
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