बडग़ांव (जालोर) देखिए... इस दर्जी ने कैसा बनाया घोसला
पूर्व दिशा से आई टेलर बर्ड के समूह ने इन दिनों कस्बे के निकटवर्ती खेतों में पड़ाव डाल रखा है। मारवाड़ी में सूंगरी, हिंदी में दर्जी चिडिय़ा या बया और अंग्रेजी में टेलर बर्ड के नाम से जानी जाने वाली यह चिडिय़ा हर साल जून माह में पूर्व दिशा से आती हैं। इन चिडिय़ों ने बारिश के चलते अपने घोंसले बनाने शुरू कर दिए हैं। घोंसला बनाते समय मादा सूंगरी घोसले के अंदर व नर सूंगरी घोसले के बाहर रहकर तिनके पिरोती हैं। इन दिनों मादा सूंगरी ने घोसले में अंडे देना शुरू कर दिया है। अंडा देने के बाद नर चिडिय़ा का घोसले में प्रवेश वर्जित हो जाता है। वह घोंसले के बाहर रहकर अंडे की सुरक्षा करती है। बाज व चील से अंडों को बचाने के लिए ये सूंगरी दल बनाकर तेज आवाज के साथ चहचहाने लगती है। अधिकांश घोसलों का प्रवेश द्वार पूर्व दिशा में होता है। ताकि सूर्य की पहली किरण घोसले में पड़ सके। सूंगरी के घोंसले वहां अधिक होते हैं, जहां पर आसपास में लोग रहते हैं। नर सूंगरी का रंग पीला तथा मादा का सफेद व हल्का पीला होता है। क्षेत्र में टेलर बर्ड के घोंसले इन दिनों बच्चों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें