शुक्रवार, 3 जून 2016

बाड़मेर, आपदा प्रबंधन की समस्त तैयारियां करने के निर्देश



बाड़मेर, आपदा प्रबंधन की समस्त तैयारियां करने के निर्देश

बाड़मेर, 03 जून। राज्य सरकार ने एक परिपत्र जारी कर वर्ष 2016 में सक्रिय होने जा रहे दक्षिण-पश्चिम मानसून के मददेनजर जल भराव एवं बाढ़ की संभावना को देखते हुए जिला कलक्टरां एवं संबंधित विभागां को सुरक्षात्मक उपाय करने के निर्देश दिए है। जिला कलक्टर सुधीर शर्मा ने समस्त विभागीय अधिकारियां को निर्देश जारी कर आपदा प्रबंधन की तैयारियां सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है। इसकी समीक्षा 8 जून को जिला मुख्यालय पर होने वाली बैठक के दौरान की जाएगी।

जिला कलक्टर सुधीर शर्मा ने बताया कि आपदा प्रबंधन एवं सहायता विभाग के निर्देशानुसार मौसम विभाग एक स्थायी नियंत्रण कक्ष स्थापित करेगा। जहां से मानसून गतिविधियों की नियमित दैनिक जानकारी जिला कलेक्टर, आपदा प्रबंधन एवं सहायता विभाग को उपलब्ध कराने के साथ डी.आर.एस.एस. को पूर्णतः कार्यशील रखा जाएगा। वर्षा की सूचना भी नियमित रूप से मौसम विभाग को उपलब्ध कराने के साथ बाढ़ की आशंका संबंधित चेतावनी जारी करने के लिए राज्य स्तरीय आपदा नियंत्रण कक्ष में तुरन्त सूचना भेजेंगे। निर्देशां के अनुसार बाढ़ नियंत्रण के लिए सिंचाई विभाग 15 जून से बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित करेगा तथा बाढ़ या जल भराव की संभावना में जिले के संवेदनशील एवं संकटग्रस्त क्षेत्रों का सामना करने के लिए कार्ययोजना बनाएगा। इसी तरह उपलब्ध वायरलैस सैटों को कार्यशील रखेंगे तथा नावों, रक्षा पेटियों, रस्सों, मशालों एवं टॉर्चों की व्यवस्था कराएंगे। जिला कलक्टर के मुताबिक निर्देश दिए गए हैं कि जिला अधिकारी मानसून के समय बिना उनकी अनुमति के मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे और विभागीय वांछित सामग्री व उपकरणों के साथ सम्पर्क में रहेंगे। सभी संबंधित अधिकारियों की सूचनाएं जिला कलेक्टरों के पास उपलब्ध रहेगी। अतिरिक्त जिला कलक्टर ओ.पी.बिश्नोई ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार कार्रवाई सुनिश्चित करते हुए संबंधित अधिकारियां को पालना रिपोर्ट के साथ उपस्थित होने के निर्देश दिए गए है।

उपलब्ध संसाधनां को चिन्हित करने के निर्देशः प्रत्येक जिले में उपलब्ध संसाधनों को चिन्हित कर उनकी आवश्यकता होने पर अन्य जिलों में भेजने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए है। इसी तरह स्वयंसेवी संगठनां की पहचान कर उनके पास उपलब्ध संसाधन, सामग्री का उपयोग आपदा की स्थिति में करने की व्यवस्था कराने को कहा गया है। वर्षाकाल में नदियों, नहरों, बांधों, तालाबों आदि पर निरंतर भ्रमण करते हुए आने वाले संकट के विषय में अग्रिम चेतावनी देंगे। बांध के गेट खोलने वाले तथा तकनीकी रूप से दक्ष कर्मचारियों की सूची बनाकर अपने कार्यस्थल पर तैनात रहने के लिए पाबंद करेंगे और नावें, रस्से एवं अन्य उपकरण आदि की बाढ़ संभावित केन्द्रों पर उपलब्धता को सुनिश्चित करेंगे। संभावित संकट की सूचनाएं तत्काल राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष एवं संबंधित विभागों को नियमित रूप से भिजवायेंगे तथा मुख्यालय पर हर समय जिम्मेदार अधिकारी की उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी।

पंप सेटों एवं पेयजल की व्यवस्थाः जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग वर्षाकाल में नियंत्रण कक्ष स्थापित कर निचले क्षेत्रों से पानी निकालने के लिए पम्पसैटों की व्यवस्था सुनिश्चित करेगा तथा जहां बाढ़ की ज्यादा संभावना है वहां बड़ी मात्रा में पम्पसैटों की व्यवस्था रखेंगे। इसके साथ ही पेयजल की व्यवस्था एवं पेयजल स्रोतों के क्लोरीफिकेशन की पर्याप्त व्यवस्था हो ताकि दूषित पेयजल जनित बीमारियां न फैल पायें।

खाद्य सामग्री की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित होः खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग वर्षाकाल में नियंत्रण कक्ष स्थापित कर उचित मूल्य की दुकानों पर गेहूं, केरोसिन एवं अन्य खाद्य सामग्री के भंडारण तथा उसके वितरण की व्यवस्था, वितरण के स्थान का उल्लेख आदि सूचनाएं जिला रसद अधिकारी पारदर्शिता के साथ उपलब्ध कराएंगे। बाढ़ की स्थिति में स्वैच्छिक संगठन भी पीड़ित व्यक्तियों तक समय रहते पहुंचे, यह सुनिश्चित किया जाए।

सड़कों की मरम्मत एवं नालों की सफाईः निर्देशां के अनुसार स्थानीय निकाय वर्षा काल में नियंत्रण कक्ष स्थापित कर शहर की सड़कों की मरम्मत एवं नालों की सफाई की व्यवस्था 15 जून से पहले करें। निचले स्तर से प्रभावित व्यक्तियों, बस्तियों को ऊंचे क्षेत्रों में अस्थायी रूप से रहने हेतु वहां स्थित धर्मशाला, सार्वजनिक स्थलां आदि को चिन्हित किया जाए। बाढ़, वर्षा के एकत्रित पानी को निकालने के लिए कम सैटों का प्रबन्ध करना, मृत पशुओं, मलबा, कचरा आदि को हटाने एवं सुरक्षात्मक उपाय की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे।

चिकित्सा विभाग नियंत्रण कक्ष स्थापित करेंः चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को वर्षा काल में नियंत्रण कक्ष स्थापित कर जीवन रक्षक दवाइयां, बाढ़ के समय आवश्यकतानुसार मोबाइल चिकित्सा दल के गठन की व्यवस्था करने को कहा गया है। बाढ़ के दौरान तथा उसके उपरान्त फैलने वाली बीमारियों जैसे हैजा, पीलिया, मलेरिया, त्वचा सम्बन्धी, फूड पॉइजनिंग आदि के इलाज के लिए पर्याप्त मात्रा में दवाईयां उपलब्ध रखने के निर्देश दिए गए है। इसी तरह पशुपालन विभाग बाढ़ के दौरान पशुओं में फैलने वाली बिमारियों के इलाज के लिए पर्याप्त दवाईयां, चारे, पशु आहार की व्यवस्था एवं मृत पशुओं का सुरक्षित निस्तरण करने का स्थान भी सुनिश्चित करेंगे।

जिला स्तरीय टोल फ्री नम्बर-1077ः भारत संचार निगम लिमिटेड सभी जिलों में जिला स्तरीय नियंत्रण कक्ष के टोल फ्री नम्बर-1077 को निरन्तर दुरस्त रखेंगे, आवश्यकता होने पर मोबाइल टावर्स स्थापित करने का प्रबन्ध करेंगे तथा संचार व्यवस्था अबाधित रखेंगे। डाक एवं तार विभाग जल भराव व बाढ़ के दौरान पोस्टल व्यवस्था के लिए विशेष व्यवस्था करेंगे।

होम गार्ड एवं आरएसी की कम्पनियां तैयार रखने के निर्देशः पुलिस विभाग वर्षाकाल में नियंत्रण कक्ष स्थापित कर होमगार्ड एवं आरएसी की प्रशिक्षित एवं अन्य कम्पनियां तैयार रखेगा। पर्याप्त मात्रा में तैराक एवं नावों की व्यवस्था तथा गोताखोरों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। आवश्यकतानुसार गोताखोरों को प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि गोताखोरों की कमी नहीं पड़े तथा कन्टीजेंसी प्लान तैयार कर आपदा प्रबन्ध एवं सहायता विभाग को भिजवाने के निर्देश दिए गए है। प्रदेश में जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर, बीकानेर, अजमेर, पाली, झालावाड़ एवं भरतपुर युनिट में कार्यरत 745 आपदा मोचन के कार्मिक आपदा के समय विशेष सेवाएं प्रदान करेंगे। विषम परिस्थितियों में राष्ट्रीय आपदा विमोचन बल की सेवाएं भी प्राप्त की जा सकती है। विद्युत वितरण निगम नियंत्रण कक्ष स्थपित कर बाढ़ की स्थिति होने पर विद्युत व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए आवश्यक उपकरण पोल, कन्डक्टर आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे, ढीले तारों को कसना एवं कनेक्शनों को टाईट करने का कार्य भी करेंगे।

जिला आपदा प्रबन्धन प्रकोष्ठ रहेगा कार्यरतः परिपत्र के मुताबिक सभी जिला कलेक्टर अपने जिलों का आपदा प्रबन्धन एक्शन प्लान रिव्यू करेंगे, जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण की बैठकें लेंगे तथा सैना तथा वायुसेना के साथ सामजस्य स्थापित करेंगे। मौसम सम्बन्धी घटनाओं की साप्ताहिक समीक्षा बैठक करेंगे। सभी महत्वपूर्ण टेलीफोन नम्बरों की सूची बनाकर आपदा प्रबन्धन से जुड़े सभी कर्मचारियों, अधिकारियों को उपलब्ध करायेंगे तथा जिले की वैबसाईट पर भी डालेंगे।

सार्वजनिक जर्जर भवनों की होगी पहचानः निर्देशां के अनुसार सार्वजनिक निर्माण विभाग नियंत्रण कक्ष स्थापित करने के साथ ऐसे सार्वजनिक भवनों की पहचान करेगा जो वर्षाकाल में गिर सकते हैं। विभाग ऐसे भवनों की मरम्मत करायेगा तथा अनुपयुक्त पाये जाने पर उनको गिराएगा। सड़क मार्ग से गुजरने वाले नदी नालों, रपट, कलवर्ट आदि पर होकर वर्षा का पानी बह रहा हो, तो उनको चिन्हित कर दोनों ओर साईन बोर्ड लगाकर यातायात प्रतिबंधित करेंगे तथा संभावित खतरों पर जंजीर की व्यवस्था करेंगे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें