बाड़मेर। कचरे पर कवर नहीं, उसी पर बैठने की मजबूरी
बाड़मेर। सफाईकर्मियों के स्वास्थ्य को लेकर नगर परिषद किस हद तक लापरवाह है, यह बीच बाजार कचरा परिवहन करने वाले वाहनों को देखकर साफ नजर आता है। कचरा परिवहन करने वाले ट्रैक्टरों व डम्परों पर कवर नहीं है। सफाईकर्मी इन वाहनों में कचरा परिवहन करने के बाद उसी में कचरे के ईर्द-गिर्द बैठ जाते हैं। फिर उसे निर्धारित कचरा स्थल पर ले जाकर खाली करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना
कचरा परिवहन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं कि सफाईकर्मियों व आमजन के स्वास्थ्य के मद्देनजर कचरे का खुला परिवहन नहीं किया जाए, लेकिन नगर परिषद बाड़मेर कोर्ट के दिशा-निर्देशों की निरंतर अवहेलना कर रही है। निर्देशों का पालना का प्रयास करवाने का दायित्व जिनके जिम्मे हैं, वे न तो कचरा परिवहन करने वाले ठेकेदारों को पाबंद कर रहे हैं, न ही नगर परिषद के वाहनों पर कवर की सुविधा दे रहे हैं।
आमजन के स्वास्थ्य पर बुरा असर
कचरा परिवहन करने वाले वाहन कचरा लेकर बाजार के बीच से गुजरते हैं। शहर के कारेली नाडी के छोर पर संग्रहित कचरे को डम्पर में भरकर अम्बेडकर सर्किल से होते हुए मुख्य बाजार से गेहूं रोड तक ले जाया जाता है। इस दरम्यान शहर भर में कचरा बिखरता जाता है। कचरा परिवहन करने वाले वाहन के पीछे चलने वाले दुपहिया वाहन चालकों का सफर ही मुश्किल हो जाता है। सड़कों पर जहां गड्ढे व ब्रेकर है, वहां ब्रेक लगते ही कचरा गिर जाता है। जहां-जहां से वाहन गुजरता है, वहां-वहां हवा में दुर्गन्ध घुल जाती है। जिसका आमजन के स्वास्थ्य सीधा विपरीत असर होता है, लेकिन नगर परिषद इसे लेकर बेपरवाह है।
कोर्ट के साफ निर्देश हैं
सफाई कर्मचारियों को साधन संसाधन मुहैया करवाना नगर परिषद का दायित्व है। कोर्ट के साफ निर्देश हैं कि कचरे का खुला परिवहन नहीं किया जाए। लेकिन बाड़मेर में सफाई कर्मचारी कचरे का खुले में परिवहन करने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि नगर परिषद की ओर से वाहनों पर कवर की सुविधा ही नहीं दी जा रही। ऐसे में सफाईकर्मी क्या कर सकते हैं।
-रामदास सांगेला, प्रदेश सचिव, अखिल भारतीय सफाई मजदूर संघ, नई दिल्ली
बाड़मेर। सफाईकर्मियों के स्वास्थ्य को लेकर नगर परिषद किस हद तक लापरवाह है, यह बीच बाजार कचरा परिवहन करने वाले वाहनों को देखकर साफ नजर आता है। कचरा परिवहन करने वाले ट्रैक्टरों व डम्परों पर कवर नहीं है। सफाईकर्मी इन वाहनों में कचरा परिवहन करने के बाद उसी में कचरे के ईर्द-गिर्द बैठ जाते हैं। फिर उसे निर्धारित कचरा स्थल पर ले जाकर खाली करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना
कचरा परिवहन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं कि सफाईकर्मियों व आमजन के स्वास्थ्य के मद्देनजर कचरे का खुला परिवहन नहीं किया जाए, लेकिन नगर परिषद बाड़मेर कोर्ट के दिशा-निर्देशों की निरंतर अवहेलना कर रही है। निर्देशों का पालना का प्रयास करवाने का दायित्व जिनके जिम्मे हैं, वे न तो कचरा परिवहन करने वाले ठेकेदारों को पाबंद कर रहे हैं, न ही नगर परिषद के वाहनों पर कवर की सुविधा दे रहे हैं।
आमजन के स्वास्थ्य पर बुरा असर
कचरा परिवहन करने वाले वाहन कचरा लेकर बाजार के बीच से गुजरते हैं। शहर के कारेली नाडी के छोर पर संग्रहित कचरे को डम्पर में भरकर अम्बेडकर सर्किल से होते हुए मुख्य बाजार से गेहूं रोड तक ले जाया जाता है। इस दरम्यान शहर भर में कचरा बिखरता जाता है। कचरा परिवहन करने वाले वाहन के पीछे चलने वाले दुपहिया वाहन चालकों का सफर ही मुश्किल हो जाता है। सड़कों पर जहां गड्ढे व ब्रेकर है, वहां ब्रेक लगते ही कचरा गिर जाता है। जहां-जहां से वाहन गुजरता है, वहां-वहां हवा में दुर्गन्ध घुल जाती है। जिसका आमजन के स्वास्थ्य सीधा विपरीत असर होता है, लेकिन नगर परिषद इसे लेकर बेपरवाह है।
कोर्ट के साफ निर्देश हैं
सफाई कर्मचारियों को साधन संसाधन मुहैया करवाना नगर परिषद का दायित्व है। कोर्ट के साफ निर्देश हैं कि कचरे का खुला परिवहन नहीं किया जाए। लेकिन बाड़मेर में सफाई कर्मचारी कचरे का खुले में परिवहन करने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि नगर परिषद की ओर से वाहनों पर कवर की सुविधा ही नहीं दी जा रही। ऐसे में सफाईकर्मी क्या कर सकते हैं।
-रामदास सांगेला, प्रदेश सचिव, अखिल भारतीय सफाई मजदूर संघ, नई दिल्ली
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