जोधपुर शर्मनाक: महज डेढ़ लाख के लालच में मां ने छीन लिया अपनी ही बच्ची का बचपन
एक महिला ने लालच में रुपयों के लालच में अपनी तेरह वर्षीय पुत्री का सौदा कर युवक के साथ आर्य समाज में फेरे लगवा दिए, लेकिन बालिका नाबालिग होने के कारण विवाह प्रमाण पत्र नहीं मिल पाया। फेरे कराने वाले मध्यस्थों को एक लाख रुपए मिलने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही सभी सदर कोतवाली थाना पुलिस के हत्थे चढ़ गए। कोर्ट ने गुरुवार को बालिका की मां व महिला मध्यस्थ को जेल तथा फेरे लेने वाले युवक व एक अन्य मध्यस्थ को एक-एक दिन के रिमाण्ड पर भेज दिया।
थानाधिकारी प्रदीप सिंह के अनुसार प्रकरण में किले की घाटी निवासी बालिका की मां सुमन पत्नी गोपाल, घंटाघर में पुराने कपड़े बेचने वाली मध्यस्थ गीता गुजराती पुत्री राजू भाई, लायकान मोहल्ला निवासी शेखर शाह पुत्र रुस्तम शाह तथा फेरे लेने वाले मकराना मोहल्ला निवासी ऋषि उर्फ विक्की पुत्र जयगोपाल वैष्णव को गिरफ्तार किया गया।
इन सभी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से ऋषि व मध्यस्थ शेखर को एक-एक दिन के रिमाण्ड पर लिया गया। बालिका की मां सुमन व मध्यस्थ गीता को न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के आदेश दिए। वहीं, बालिका को सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश कर बालिका गृह भेज दिया गया।
पहले लड़के, फिर मां से बात कर किया सौदा तय
उप निरीक्षक गोपाराम ने बताया कि घंटाघर में पुराने कपड़े बेचने वाले शेखर तथा गीता गुजराती ने मकराना मोहल्ला निवासी ऋषि से सम्पर्क किया था और उसकी शादी कराने का प्रस्ताव रखा। इसके लिए दोनों ने एक से डेढ़ लाख रुपए मांगे थे।
युवक के तैयार होने पर मध्यस्थों ने बालिका की मां से बात की। लालच में आकर वह भी तेरह वर्षीय बेटी की शादी को तैयार हो गई। तीनों ने मिलकर आर्य समाज में दोनों के फेरे करवा दिए, लेकिन बालिका की उम्र कम होने का पता लगने पर उन्हें विवाह प्रमाण पत्र नहीं दिया गया। जिसके चलते सभी वहां से खिसक लिए थे।
बालिका के घर न पहुंचने पर पड़ोसी को हुआ संदेह
नाबालिग की शादी को लेकर मोहल्ले में सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। गत मंगलवार रात उसके घर न लौटने पर पड़ोसियों को संदेह हुआ। तब पड़ोसी पूर्व पार्षद जाफरान ने पुलिस में सूचना दी। पुलिस ने विभिन्न जगहों पर तलाशी के बाद तेरह वर्षीय बालिका को मुक्त कराया और चारों को गिरफ्तार किया था।
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