बालोतरा के पूर्व विधायक मदन प्रजापत की जमानत याचिका खारिज,अगली सुनवाई 4 जुलाई को
जोधपुर/ बालोतरा । बालोतरा के पूर्व विधायक मदन प्रजापत की ओर से दायर किये गए जमानत आवेदन पर उन्हें आज भी राहत नही मिल पाई और अब प्रजापत को सात दिन और जेल में रहना पड़ेगा। जस्टिस दीपक माहेश्वरी की अदालत में याचिका को सुनवाई के लिए रखा गया था। कल तो समयाभाव के चलते सुनवाई नहीं हो पाई थी, लेकिन आज सुनवाई के बाद जस्टिस ने केस डायरी पेश करने के आदेश दिये है। याचिका पर अगली सुनवाई अब चार जुलाई को होगी।
याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज गर्ग ने कहा राजनीतिक रंजिश के चलते सब कुछ घटित हुआ है, ऐसे में जमानत दी जानी चाहिए। वहीं सरकार की ओर से पक्ष रखते ओंकारसिंह राजपुरोहित ने कहा कि जमानत आवेदन पर पहली बार सुनवाई की जा रही है, ऐसे में केस डायरी मंगवाकर सारे फैक्टस देखने आवश्यक है। कोर्ट ने चार जुलाई को अगली सुनवाई पर केस डायरी पेश करने के आदेश दिये है।
गौरतलब है कि बालोतरा के पूर्व एमएलए मदन प्रजापत के खिलाफ रीको की ओर से अतिक्रमण हटाए जाने के समय उसका विरोध करने व रीको प्रबंधक को थप्पड मारने का आरोप लगाया गया था। बाद में हुए दंगों में जहां मैनेजर घायल हो गए तो उन पर आईपीसी की धारा 307 के तहत भी आरोप लगाया गया।
जोधपुर/ बालोतरा । बालोतरा के पूर्व विधायक मदन प्रजापत की ओर से दायर किये गए जमानत आवेदन पर उन्हें आज भी राहत नही मिल पाई और अब प्रजापत को सात दिन और जेल में रहना पड़ेगा। जस्टिस दीपक माहेश्वरी की अदालत में याचिका को सुनवाई के लिए रखा गया था। कल तो समयाभाव के चलते सुनवाई नहीं हो पाई थी, लेकिन आज सुनवाई के बाद जस्टिस ने केस डायरी पेश करने के आदेश दिये है। याचिका पर अगली सुनवाई अब चार जुलाई को होगी।
याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज गर्ग ने कहा राजनीतिक रंजिश के चलते सब कुछ घटित हुआ है, ऐसे में जमानत दी जानी चाहिए। वहीं सरकार की ओर से पक्ष रखते ओंकारसिंह राजपुरोहित ने कहा कि जमानत आवेदन पर पहली बार सुनवाई की जा रही है, ऐसे में केस डायरी मंगवाकर सारे फैक्टस देखने आवश्यक है। कोर्ट ने चार जुलाई को अगली सुनवाई पर केस डायरी पेश करने के आदेश दिये है।
गौरतलब है कि बालोतरा के पूर्व एमएलए मदन प्रजापत के खिलाफ रीको की ओर से अतिक्रमण हटाए जाने के समय उसका विरोध करने व रीको प्रबंधक को थप्पड मारने का आरोप लगाया गया था। बाद में हुए दंगों में जहां मैनेजर घायल हो गए तो उन पर आईपीसी की धारा 307 के तहत भी आरोप लगाया गया।
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