शुक्रवार, 11 मार्च 2016

धौलपुर।बढ़ती गर्मी से पलायन कर रहे हैं ये विदेशी मेहमान



धौलपुर।बढ़ती गर्मी से पलायन कर रहे हैं ये विदेशी मेहमान
मौसम में यकायक बढ़ी तल्खी और ताल-तलैयों में रीत रहे पानी के कारण विदेशी परिंदे अब यहां से पलायन करने लगे हैं। यह सिलसिला मार्च के पहले सप्ताह में शुरू हो गया है। अब तालाबों पर नाम मात्र के ही परिंदे दिखाई दे रहे हैं। विदेशी खगों की संख्या तो सिर्फ कहने भर को बची है। मौसम की तल्खी ऐसे परिंदों को रास नहीं आ रही है। यही कारण है कि ज्यादातर विदेशी परिंदे यहां से फुर्र हो गए हैं।

जिले में अधिकतम तापमान अब 34 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। हालांकि हाल ही बारिश और ओलावृष्टि से तापमान में कमी आई है, लेकिन दिन में चटक धूप परिंदों को नहीं भा रही है। यही कारण है कि खग अब नए ठिकाने की तलाश में यहां से विदा ले गए हैं। फरवरी के अंतिम सप्ताह तक तालाब-ए-शाही, हुसैनपुर तालाब एवं निभी का ताल आदि पर देशी-विदेशी परिंदों की अठखेलियां पर्यटकों को लुभा रही थीं, लेकिन अब यहां सिर्फ देशी परिंदे ही प्यास बुझाने पहुंच रहे हैं।

यह परिंदे हुए फुर्र

जिले की चम्बल नदी, तालाब-ए-शाही, उर्मिला सागर, हुसैनसागर और आंगई बांध पर अठखेलियां करने वाले गे्र लेग गीज, पेलीकन, फ्लेमिंग, पोचार्ड, कॉमन पोचार्ड, रेड क्रिक्टेड, व्हाइट आईपोचार्ड, बेयर्स डक एवं कस्टिड डक आदि खग यहां से विदा ले चुके हैं। इसकी मुख्य वजह यहां पानी कम होना और तालाबों पर व्यवधान बढऩा है।

लुभा रहे इंडियन स्कीमर

अक्सर चम्बल नदी के किनारे दिखने वाले इंडियन स्कीमर अब भी लोगों का लुभा रहे हैं। जिला पक्षी घोषित हो चुके इंडियन स्कीमर की संख्या विश्व में करीब 10 हजार है। इनमें से 500 से 800 के बीच यह धौलपुर में देखा जाता है। चम्बल नदी इनके लिए सबसे मुफीद मानी जाती है। इसकी मुख्य वजह यह है कि नदी किनारे बने टापुओं पर यह घोंसला बना लेते हैं और यहीं प्रजनन करते हैं। बारिश के मौसम में पानी बढऩे पर यह अपना ठिकाना बदल लेते हैं। इसके अलावा अन्य तालाबों पर बार हैडेट गूज, स्पून बिल, कॉरमोरेंट एवं ओपन बिल स्टार्क आदि पक्षी ही बचे हैं। इनकी यहां रहने की मुख्य वजह यह है कि इन परिंदों की चोंच लंबी होती है, जो आसानी से कम पानी में भी अपनी लंबी चोंच की बदौलत भोजन तलाश लेते हैं।

खेती भी बाधक

परिंदों की स्वच्छ अठखेलियों में इन दिनों ताल-तलैयों किनारे हो रही खेती-बाड़ी भी बाधक बन रही है। किसान इन तालाबों से खेती के लिए पानी लेते हैं। वहीं कई तालाबों में मछुआरे मछली पकडऩे पहुंचते हैं। किसानों की खेती से होने वाले व्यवधान और मछुआरों की ओर से इन्हें यहां से भगाए जाने के कारण परिंदे यहां सुकून नहीं पा रहे हैं और दूसरे ठिकाने की तलाश में उड़ान भर रहे हैं। फिलहाल आंगई बांध में कुछ पानी शेष है, लेकिन कुछ लोग यहां शिकार के लिए पहुंचने लगे हैं। इस कारण परिंदों का यहां से मोहभंग हो गया है।

परिंदे अब यहां से पलायन करने लगे हैं। एक कारण गर्मी का बढऩा है। वहीं अन्य कारणों में पानी की कमी और ताल-तलैयों पर बढ़ रहा कोलाहल है। शेष परिंदे भी होली के त्योहार तक यहां से विदा ले लेंगे।

राजीव तोमर, मानद वन्यजीव प्रतिपालक धौलपुर।

तापमान बढऩे व तालाबों में पानी की कमी के कारण इन दिनों परिंदे लौटने लगे हैं। इससे अब यहां के जलाशय खाली हो रहे हैं।

आईपी सिंह पूनियां, डीएफओ धौलपुर।

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