संघ में महिला प्रतिनिधित्व की भी मांग उठने लगी
नागौर। अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कई बदलाव आने वाले हैं। संघ की खाकी निकर को लेकर चल रहे कयासों के बीच अब संघ में महिला प्रतिनिधित्व की भी मांग उठने लगी है। सूत्र बताते हैं कि संघ में भी अब महिलाओं को जिम्मेदारी दी जा सकती है।
संघ किसी महिला स्वयंसेवक को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल कर सकता है। संघ की स्थापना 1925 में हुई थी। पहली बार संघ में इस तरह का बदलाव को लेकर चर्चा हो रही है। नागौर में इन दिनों अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठकों का दौर जारी है। शनिवार को संघ प्रतिनिधि सभा की दूसरे दिन की बैठक चल रही है। यहां चल रहे संघ पदाधिकारियों के मंथन से इस तरह की चर्चाएं सामने आ रही हैं।
संघ में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कितना मिलेगा, किस स्तर तक दिया जाए, प्रतिनिधित्व दिया जाए तो क्यों दिया जाए? अभी इस पर गम्भीर चिंतन जारी है। हालांकि संघ में राष्ट्रीय सेविका समिति नाम पर एक आनुषांगिक संगठन पहले से ही काम कर रहा है। लेकिन इसकी उपस्थिति संघ ढांचे में नगण्य ही बताई जा जाती है। संघ भले ही दावा करे कि राष्ट्रीय सेविका समिति में देश भर की लाखों महिला स्वयंसेवक जुड़ी हैं। लेकिन यह सत्य है कि संघ के किसी सर्वोच्च नीति निर्धारण संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा और अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल और राष्ट्रीय कार्यकारिणी में एक भी महिला सदस्य नहीं है।
संघ पर कभी-कभी महिलाओं को प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में किसी महिला को राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाकर संघ में उचित प्रतिनिधित्व देने का दंभ भर सकता है।
हालांकि अभी इस पर चर्चा ही चल रही है। इस पर अभी तक मुहर नहीं लगी है, लेकिन यह देखने में आया कि संघ के विभिन्न आनुषांगिक संगठनों में महिलाओं की सहभागिता कम ही नजर आती है।
सूत्र बताते हैं कि नागौर में चल रहे प्रतिनिधि सभा के दौरान स्वयंसेवक की खाकी निकर व महिलाओं के प्रतिनिधित्व दिए जाने संबंधी बड़े फैसलों पर मुहर लगने की पूरी संभावना जताई जा रही है।
नागौर। अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कई बदलाव आने वाले हैं। संघ की खाकी निकर को लेकर चल रहे कयासों के बीच अब संघ में महिला प्रतिनिधित्व की भी मांग उठने लगी है। सूत्र बताते हैं कि संघ में भी अब महिलाओं को जिम्मेदारी दी जा सकती है।
संघ किसी महिला स्वयंसेवक को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल कर सकता है। संघ की स्थापना 1925 में हुई थी। पहली बार संघ में इस तरह का बदलाव को लेकर चर्चा हो रही है। नागौर में इन दिनों अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठकों का दौर जारी है। शनिवार को संघ प्रतिनिधि सभा की दूसरे दिन की बैठक चल रही है। यहां चल रहे संघ पदाधिकारियों के मंथन से इस तरह की चर्चाएं सामने आ रही हैं।
संघ में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कितना मिलेगा, किस स्तर तक दिया जाए, प्रतिनिधित्व दिया जाए तो क्यों दिया जाए? अभी इस पर गम्भीर चिंतन जारी है। हालांकि संघ में राष्ट्रीय सेविका समिति नाम पर एक आनुषांगिक संगठन पहले से ही काम कर रहा है। लेकिन इसकी उपस्थिति संघ ढांचे में नगण्य ही बताई जा जाती है। संघ भले ही दावा करे कि राष्ट्रीय सेविका समिति में देश भर की लाखों महिला स्वयंसेवक जुड़ी हैं। लेकिन यह सत्य है कि संघ के किसी सर्वोच्च नीति निर्धारण संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा और अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल और राष्ट्रीय कार्यकारिणी में एक भी महिला सदस्य नहीं है।
संघ पर कभी-कभी महिलाओं को प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में किसी महिला को राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाकर संघ में उचित प्रतिनिधित्व देने का दंभ भर सकता है।
हालांकि अभी इस पर चर्चा ही चल रही है। इस पर अभी तक मुहर नहीं लगी है, लेकिन यह देखने में आया कि संघ के विभिन्न आनुषांगिक संगठनों में महिलाओं की सहभागिता कम ही नजर आती है।
सूत्र बताते हैं कि नागौर में चल रहे प्रतिनिधि सभा के दौरान स्वयंसेवक की खाकी निकर व महिलाओं के प्रतिनिधित्व दिए जाने संबंधी बड़े फैसलों पर मुहर लगने की पूरी संभावना जताई जा रही है।
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