झालावाड़ मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान
जिला कलेक्टरों की एक दिवसीय भ्रमण कार्यशाला
का दूसरा चरण सम्पन्न
जिला कलक्टरों ने सरोद तथा हरनावदा के जल संरक्षण कार्यों की सराहना की
झालावाड़ 18 मार्च। राज्य मंे चल रहे मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अन्तर्गत जिला कलक्टरों की एक दिवसीय भ्रमण कार्यशाला का दूसरा चरण आज सम्पन्न हुुआ जिसमें राज्य के 9 जिला कलक्टरों तथा जिला परिषद के दो मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने भाग लिया।
अजमेर जिला कलक्टर आरूषी अजय मलिक, कोटा जिला कलक्टर रवि सुरपुर, भीलवाड़ा जिला कलक्टर डॉ. टीना कुमार, चित्तौड़गढ़ जिला कलक्टर वेद प्रकाश, राजसंमद जिला कलक्टर अर्चना सिंह, बांसवाड़ा जिला कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित, डंूगरपुर जिला कलक्टर इन्द्रजीत सिंह, जालौर जिला परिषद के मुख्यकार्य कारी अधिकारी जवाहर चौधरी, सिरोही जिला कलक्टर वी. सरवन कुमार पाली जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम तथा कोटा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जे. के. मीणा ने आज की भ्रमण कार्यशाला में भाग लिया तथा झालावाड़ जिले की भवानीमण्डी पंचायत समिति के सरोद एवं हरनावदा गांवों में किये गये वाटर कन्सेप्ट कार्यों की प्रशंसा की।
जिला कलक्टरों को प्रातः 10 बजे से 11 बजे तक कालीसिंध परियोजना के रेस्ट हाउस में पॉवर पाइंट प्रेजेण्टेशन के माध्यम से फोर वाटर कंसेप्ट के तहत सरोद एवं हरनावदा में चलाई जा रही जल संरक्षण परियोजनाओं की जानकारी दी गई। सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता कैलाशदान सांदू एवं राजस्थान रीवर बेसिन अथॉरिटी के विशेषज्ञ राकेश रेड्डी तथा जंगा रेड्ड़ी एवं ने जिला कलक्टरों द्वारा उठाये गये सवालों का जवाब दिया। जिला कलक्टरों ने नवम्बर 2014 में कार्य आरम्भ करने से पूर्व तथा नवम्बर 2015 में कार्य पूरा होने के बाद भूजल स्तर में आये बदलावों को समझा।
दोपहर 12 बजे से 1.30 बजे तक सरोद-1 तथा सरोद-2 एवं मध्याह्न पश्चात् 2.30 बजे से 4 बजे तक हरनावदा परियोजना के कार्यों का अवलोकन कराया गया। जिला कलक्टरों ने पहाड़ी की चोटी से वर्षा जल को रोकने के लिये बनाई गई स्टैगर्ड ट्रैंचेज और प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय धाराओं में बनाये जाने वाले मिनी परकोलेशन टैंक और माइनर इरीगेशन टैंक की अवधारणा तथा भूजल संरक्षण क्षेत्र में किये जाने वाले वृक्षारोपण की तकनीक को भी समझा।
इस दौरान जिला कलक्टरों ने स्थानीय किसानों से भी विचार-विमर्श किया तथा इस कार्यक्रम की सफलता से इस क्षेत्र के किसानों, पशुपालकों तथा आम व्यक्तियों के जीवन में आ रहे बदलाव को समझा। किसानों ने उन्हें बताया कि पहले वर्षा समाप्त होने के दो माह बाद ही तालाबों का पानी सूखने लगता था किंतु अब अधिक समय तक पानी ठहरता है तथा भूजल स्तर बढ़ने से कुंओं का जल स्तर भी ऊपर आया है। बहुत से किसानों ने इस वर्ष एक की बजाय दो फसलें ली हैं।
अजमेर जिला कलक्टर आरुषि ए मलिक ने कहा कि हमें इस कार्यशाला में बहुत कुछ नया सीखने को मिला है। जनता को फोर वाटर कंसेप्ट के कामों से तथा इसके आधार पर मुख्यमंत्री जन स्वावलम्बन अभियान के अंतर्गत कराये जा रहे कार्यों से बहुत लाभ मिलेगा। वे अपने जिल के वन विभाग के अधिकारियों को इन कार्यों को देखने के लिये भेजेंगी ताकि अजमेर जिले में भी वन क्षेत्रों में इस प्रकार के कार्य किये जा सकें। पाली जिला कलक्टर ने कहा कि हमने अब तक फोर वाटर कंसेप्ट को किताबों में ही पढ़ा था किंतु यहां आकर पहली बार उन्हें जमीनी वास्तविकता के रूप में देखा। हम इस तकनीक के आधार पर अपने जिले में भी कार्य करवायेंगे।
जिला कलक्टरों की एक दिवसीय भ्रमण कार्यशाला में आये जिला कलक्टरों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए जिला प्रमुख टीना कुमारी भील ने कहा कि हमारा प्रयास है कि पूरे जिले में सरोद तथा हरनावदा जैसी गुणवत्ता के कार्य हों। जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ-साथ जिला परिषद के सदस्य एवं पंचायती राज प्रतिनिधि भी इस कार्य में पूरे मन से काम कर रहे हैं।
इस अवसर पर डग विधायक रामचंद्र सुनारीवाल ने कहा ने कहा कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे द्वारा यह एक ऐतिहासिक कार्य किया गया है तथा मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के द्वारा इस कार्य को व्यापक स्वरूप प्रदान किया गया है।
सायं 5 बजे भवानी मण्डी आरटीएम में डी-ब्रीफिंग सेशन आयोजित किया गया। विभिन्न जिलों से आये जिला कलक्टरों ने मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की दूरगामी सोच के परिणाम स्वरूप आयोजित की गई इस कार्यशाला के लिये उनका आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार द्वारा जिला कलक्टरों के लिये इस प्रकार की भ्रमण कार्यशाला पहली बार आयोजित की गई है जिसका लाभ पूरे राज्य की जनता को मिलेगा। झालावाड़ जिला प्रशासन द्वारा कार्यशाला के लिये किये गये अच्छे प्रबंधों की सराहना की।
डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने बताया कि जिला कलक्टरों की इस भ्रमण कार्यशाला का पहला चरण 16 मार्च को आयोजित किया गया था जिसके अंतर्गत संभागीय आयुक्त कोटा, 9 जिलों के जिला कलक्टरों एवं जयपुर जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने भाग लिया था। आज 18 मार्च को इसके दूसरे चरण में नौ जिला कलक्टरों ने तथा दो जिलों की जिला परिषदों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि बिना क्षेत्र में आये इस परियोजना के वास्तविक स्वरूप को समझना कठिन कार्य था। हम ड्रोन के माध्यम से इन तीनों परियोजनाओं की फोटोग्राफी करवाकर राज्य स्तर पर तथा अन्य जिलों को उपलब्ध करायेंगे।
जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामपाल शर्मा, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी नरेन्द्रसिंह पुरोहित, उपखण्ड अधिकारी भवानी मण्डी, विकास अधिकारी, सरपंच तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी भ्रमण कार्यशाला में साथ रहे।
ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे द्वारा राज्य मंे फोर वाटर कन्सेप्ट आधारित जल संरक्षण का कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसके अन्तर्गत झालावाड़ जिले मंे सबसे अच्छे कार्य किये गये हैं। इन कार्यों के आधार पर राज्य के अन्य जिलों मंे भी जल संरक्षण के कार्य किये जायें, इस उद्देश्य से राज्य के जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा 21 जिला कलक्टरों के लिये दो चरणों में एक दिवसीय भ्रमण कार्यशाला का कार्यक्रम बनाया गया था।
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