बाड़मेर-जैसलमेर में 700 गांवों में बिछाई जाने वाली पाइप लाइन का रास्ता साफ
राजस्थानहाईकोर्ट के न्यायाधीश गोविंद माथुर निर्मलजीत कौर की खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए बाड़मेर-जैसलमेर में 962 करोड़ के पेयजल प्रोजेक्ट के मामले में जीवीपीआर कंपनी को राहत देने से इनकार कर दिया। खंडपीठ ने अपील याचिका को खारिज करते हुए एकलपीठ के आदेश को यथावत रखा है। इससे 700 गांवों में बिछाई जाने वाली पाइप लाइन का रास्ता साफ हो गया है।
बाड़मेर के शिव क्षेत्र जैसलमेर के फतेहगढ़ क्षेत्र के 700 गांवों में पाइपलान बिछाने, ओवरहेड टैंक तथा ग्राउंड टैंक बनाने के लिए जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता स्तर पर टेंडर आमंत्रित किए थे। कुल पांच फर्म या एजेंसी ने टेंडर दाखिल किए थे। अपीलकर्ता जीवीपीआर डारा संयुक्त उपक्रम सहित तीन फर्मों की बिड को शर्तें पूरी नहीं करने के कारण खारिज कर दिया गया। एल एंड टी मेगा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की बिड को स्वीकृति दी गई। इस मामले में एकलपीठ ने इसे उचित बताते हुए याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज कर दी थी। इसे खंडपीठ में चुनौती दी गई। सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पीएस भाटी ने तथा एल एंड टी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेंद्रसिंह सिंघवी अधिवक्ता विनीत माथुर ने पैरवी की। कोर्ट ने सभी पक्ष सुनने के बाद गत 25 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए अपील याचिका खारिज करते हुए एकलपीठ के फैसले को यथावत रखा।
राजस्थानहाईकोर्ट के न्यायाधीश गोविंद माथुर निर्मलजीत कौर की खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए बाड़मेर-जैसलमेर में 962 करोड़ के पेयजल प्रोजेक्ट के मामले में जीवीपीआर कंपनी को राहत देने से इनकार कर दिया। खंडपीठ ने अपील याचिका को खारिज करते हुए एकलपीठ के आदेश को यथावत रखा है। इससे 700 गांवों में बिछाई जाने वाली पाइप लाइन का रास्ता साफ हो गया है।
बाड़मेर के शिव क्षेत्र जैसलमेर के फतेहगढ़ क्षेत्र के 700 गांवों में पाइपलान बिछाने, ओवरहेड टैंक तथा ग्राउंड टैंक बनाने के लिए जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता स्तर पर टेंडर आमंत्रित किए थे। कुल पांच फर्म या एजेंसी ने टेंडर दाखिल किए थे। अपीलकर्ता जीवीपीआर डारा संयुक्त उपक्रम सहित तीन फर्मों की बिड को शर्तें पूरी नहीं करने के कारण खारिज कर दिया गया। एल एंड टी मेगा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की बिड को स्वीकृति दी गई। इस मामले में एकलपीठ ने इसे उचित बताते हुए याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज कर दी थी। इसे खंडपीठ में चुनौती दी गई। सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पीएस भाटी ने तथा एल एंड टी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेंद्रसिंह सिंघवी अधिवक्ता विनीत माथुर ने पैरवी की। कोर्ट ने सभी पक्ष सुनने के बाद गत 25 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए अपील याचिका खारिज करते हुए एकलपीठ के फैसले को यथावत रखा।
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