शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016

बाड़मेर। कृषक परमार राजपूत आरक्षण आदोलन को लेकर 1 मार्च को बाड़मेर बंद का आह्वान

बाड़मेर। कृषक परमार राजपूत आरक्षण आदोलन को लेकर 1 मार्च को बाड़मेर बंद का आह्वान



बाड़मेर। कृषक परमार राजपूत आरक्षण को लागू करवाने की मांग को लेकर शुक्रवार को कलिंगा होटल में प्रेस कान्फ्रेंस का आयोजन हुआ। कृषक परमार आरक्षण संघर्ष समिति के जिला संयोजक प्रवीणसिंह आगोर ने प्रेस वार्ता में बताया कि सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंच ने राजपूत कृषक करसा परमार व अन्य सवर्ण पिछड़ी जातियों को मूल ओबीसी में शामिल करने के लिये 30 सितम्बर 2013 को अनुपालना में राजस्थान राज्य के अन्य पिछड़े वर्ग के अधिकृत सूची में परमार कृषकों को शामिल किया गया था तथा 2013 में कुछ सर्टिफिकेट भी बनाये गये तथा उन सर्टिफिकेटों के आधार पर परमार व अन्य सवर्ण पिछड़ी जातियों के लोग सरपंच, पंचायत समिति सदस्य व प्रधान भी बने लेकिन उसके बाद राजनैतिक द्वेषपूर्ण भावना से 2015 में यह कृषक परमारों को आरक्षण का लाभ मिलना बंद कर दिया गया हैं तथा प्रषासन के पास न ही कोई लिखित आदेष है और न ही कोई प्रमाण हैं जिसमें कृषक परमार ओबीसी के प्रमाण पत्र बंद करने का कहा गया हो। आगोर ने राज्य सरकार व जिला प्रषासन की घोर निंदा करते हुए कहा परमार राजपूत तो बिल्कुल ही भूमिहीन है इनमें से ये तो अधिकतर भारत पाक की लड़ाई 1947, 1949, 1965, 1971 भारत आये थे। परमार राजपूतों का एक मात्र राजघराना पाकिस्तान में अमरकोट में स्थित है हिन्दुस्तान में कोई इनका राजघराना नहीं हैं। परमारों ने राजपूत जाति में जन्म लेकर कोई गुनाह नहीं है राजपूत समाज हमेषा से अपना बलिदान करता आया और 36 कौम को साथ लेकर चलेगा हमारी लड़ाई तो राज्य सरकार से है आम जनता को कोई तकलीफ नहीं आने देगें। इस तरह सरकार व प्रषासन से हमारी मांग है कि कृषक परमारों को जो आरक्षण मिला हैं उसका उनकों लाभ मिले तथा उसको तुरन्त लागू करें अगर जिला प्रषासन ने हमारी मांगें नहीं मानी तो आंदोलन किया जायेगा। कृषक परमार आरक्षण आंदोलन को लेकर 28 फरवरी रविवार को विषाल वाहन रैली निकाली जायेगी। 1 मार्च मंगलवार को बाड़मेर बंद का आह्वान किया और 7 मार्च को 3 बजे तक आंदोलन समिति की मांगे नहीं मानने पर प्रवीणसिंह आगोर द्वारा आत्मदाह किया जायेगा। जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी राज्य सरकार एवं जिला प्रषासन की होगी। तनसिंह सणाउ, हिन्दूसिंह तामलोर, वकील नवलसिंह बलाई, बाबूसिंह महाबार, शोभसिंह बलाई, नारायणसिंह महाबार, वकील ईष्वरसिंह बलाई, मोहनसिंह उण्डखा, नरेन्द्रसिंह खारा, छैलसिंह लूणू, सुखसिंह दूदवा, हिरदान चारण, लोकेन्द्र सिंह ढीमा, कल्याणसिंह राणासर, अवतारसिह इन्द्रोई, हमीरसिह मगरा, रावलसिंह जाजवा, गुमानसिंह महाबार, हरदेव विष्नोई, मलसिंह मगरा, कैलाष सहित कई समाजबंधु उपस्थित रहे।

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