बुधवार, 27 जनवरी 2016

जालोर डाॅ. सोनी होंगे उत्तम जीवन रक्षा पदक से सम्मानित




जालोर डाॅ। सोनी होंगे उत्तम जीवन रक्षा पदक से सम्मानित

जालोर 27 जनवरी - जिले में गत मानसून में बाढ एवं अतिवृष्टि से उत्पन्न हुई आपातकालीन स्थितियों में अपनी बहादुरी व सूझ बूझ से जान पर खेलकर बच्चों सहित आठ व्यक्तियों को बचाने पर महामहिम राष्ट्रपति द्वारा जालोर जिला कलक्टर डाॅ। जितेन्द्र कुमार सोनी को उत्तम जीवन रक्षा पदक देने की घोषणा की गई हैं।

यह जीवन रक्षा पदक वीरता के लिए दिये जाने वाले अतिसम्मानित अशोक चक्र की श्रृंखला का भाग हैं जिसकी स्थापना 1961 में की गई थी जो आपातकालीन स्थितियों जैसे- पानी में डूबना, दुर्घटना , आगजनी, खानों मंे रक्षा आॅपरेशन आदि में जान बचाने पर दिया जाता हैं। इस पुरस्कार के लिए सभी राज्यों व केन्द्र शासितों से प्रविष्ठियां मंगवाई जाती हैं व एक उच्च स्तरीय कमेटी के साथ विचार-विमर्श कर राष्ट्रपति व प्रधानमंत्राी की अन्तिम संतुति के पश्चात् वीरता के सर्वश्रेष्ठ कार्य को इसके लिए चुना जाता हैं। उत्तम जीवन रक्षा पदक पुरस्कार के रूप में केन्द्रीय गृह मंत्राी द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाण पत्रा दिया जाता हैं साथ ही नकद 60 हजार रूपयों की राशि प्रदान की जाती हैं।

धातव्य हैं कि 27 जुलाई को वाडाभाडवी के धोलाराम मेघवाल के दो पुत्रा भरत और सुरेश वि़द्यालय समय के पश्चात् वही खेलने लग गयें। उनको खेलता देखकर उनका भाई महेन्द्र धोलाराम की दोहित्राी विमला के साथ वही आकर खेलने लग गये। खेल के दौरान बारिश के पानी से विभिन्न करतब करते हुए भाई-बहिन खेल में इस प्रकार मग्न हो गये कि उन्हें समय का ध्यान ही नहीं रहा।

उधर घर पर बारिश होने की खुशी में झूम रही धोलाराम की पत्नी गोमी के साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्यो को बच्चों की अनुपस्थिति चिन्ता का विषय बनी हुई थी। गोमी ने अपनी पुत्रावधु झीणी को बच्चों को लाने के लिए भेजा। झीणी विभिन्न स्थानों पर ढूंढते-पूछते बच्चों के खेलने वाले स्थान की तरफ बढने लगी। बच्चें बारिश के पानी से खेल रहे थे उनकी मासूम समझ इस बात से अंजान थी कि पानी ने भी उनके साथ खेलना शुरू कर दिया हैं। खेतों तथा ऊंचे स्थानों पर अतिवृष्टि के कारण उस स्थान पर जल स्तर में बढोतरी होने लगी थी जिसे वे एक नये खेल के रूप में खेल रहे थे कि पानी किसके कहां तक आता हैं उनके खेल में व्यवधान झीणी की आवाज से पडा। बच्चे तो आखिर बच्चें ही थे। झीणी जो कि उनकी भाभी-मामी थी, के बुलावे को अनसुना कर खेल में लग गये। झीणी ने उन्हें घर ले जाना उचित समझा और बहते पानी में से बच्चों के पास पहुंचकर उन्हें घर चलने का कहा। इस कवायद के दौरान जल का बहाव और ऊँचाई तेजी से बढने लगा और झीणी ने अपने को तेज बहाव के सामने असहाय पाया। बच्चों ने झीणी को बेबस देखा तो उनकी मुखाकृति में भी लटकाव शुरू हो गया। बच्चे तो ठहरे बच्चे रोने लग गये। झीणी ने भी बदहवास सी कुछ करने की स्थिति में नहीं थी। सभी की चिल्लाहट सुनकर ग्रामीणजन आये। बारिश की बून्दों के साथ आई खुशी ने गोमी को अब चिन्तित कर दिया और उसे अपने परिवार पर खतरा मंडराता नजर आया। ग्रामीणों ने अपने पास उपलब्ध संसाधनों से भरसक प्रयास किया कि किसी तरह से बचाया जा सकें। रस्से, तैराक, ट्रेक्टर और न जाने क्या-क्या जितने प्रयास हो सकते थे किये, मगर प्रकृति के रौद्र रूप के सामने मानवीय प्रयास बौने साबित हो गये। जल स्तर लगातार बढ रहा था। थक हार कर ग्रामीणों ने बागोडा उपखण्ड में स्थापित नियन्त्राण कक्ष में फोन किया। बागोडा उपखण्ड अधिकारी चुनाराम विश्नोई ने तत्परता दिखाई और तुरन्त जिला कलक्टर डाॅ। जितेन्द्र कुमार सोनी को त्रासदी से अवगत करवाया।

ऊर्जावान डाॅ। सोनी ने आपदा प्रबन्धन में कुशलता दिखाते हुए हैलीकाॅप्टर की मांग की। कुछ समय पश्चात् डाॅ। सोनी स्वयं हैलीकाॅप्टर में बैठकर घटना स्थल पर उपस्थित थे। उन्होंने देखा कि वहां हैलीकाॅप्टर उतारने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी। रस्सी के सहारे ऊपर खींचने की कोशिश की तो बदहवास मासूमियत सहयोग करने की स्थिति में नहीं थी ऐसे में सोनी ने आव देखा न ताव अपनी जान की परवाह न की और सीधे नीचे कूद गये। उन्होंने सर्वप्रथम रोते हुए बच्चे भरत को गले लगाकर सांत्वना दी और ढांढस युक्त प्यार की झप्पी से उनको कुछ सम्बल मिला। डाॅ। सोनी की संवेदनशीलता देखकर बचाव दल के सदस्य भी फोटो शूट करने से स्वयं को रोक न सकें। उनकी यह फोटो बाहर आई तो भारतीय प्रशासनिक सेवा के किसी अधिकारी का मानवीय पक्ष बाहर आ सका। नीली टी-शर्ट पहने सोनी एक-एक बच्चे को पकडकर हैलीकाॅप्टर तक लेकर आये। बच्चों के बचने पर झीणी और विमला को भी जोश आ गया। वे दोनांे स्वयं हैलीकाॅप्टर के पास आ गई। इसी प्रकार डाॅ। सोनी ने उस दिन 8 फंसे हुए व्यक्तियों को बचाया।

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