शनिवार, 16 जनवरी 2016

पाली सीआईएसएफ की कांस्टेबल नीतू की शादी का मामला, अधिकारियों ने गुरुवार शाम से ही खिमाड़ा गांंव में डाल दिया था पड़ाव


पाली सीआईएसएफ की कांस्टेबल नीतू की शादी का मामला, अधिकारियों ने गुरुवार शाम से ही खिमाड़ा गांंव में डाल दिया था पड़ाव
 



सांडेरावथाना क्षेत्र के खिमाड़ा गांव निवासी सीआईएसएफ कांस्टेबल नीतू की शादी शुक्रवार को संपन्न हो गई। इस मामले में नीतू की बुआ के बेटे भाई ने मुख्यमंत्री कार्यालय प्रशासन को पत्र देकर आग्रह किया था कि गांव में अभी भी वर्षों पुरानी सामाजिक रूढ़ीवादी परंपराएं हैं। उसकी इच्छा है कि प्रशासन के सानिध्य-सुरक्षा में नीतू का विवाह संपन्न हो। उसकी बंदौली बैंड बाजों के साथ निकले, दूल्हा घोड़ी पर बैठकर तोरण मारे और प्रशासन का आशीर्वाद मिले।
शेष|पेज15
इसकोलेकर भास्कर में प्रकाशित खबर पर राष्ट्रीय एसी आयोग ने भी प्रसंज्ञान लेकर पाली कलेक्टर एसपी को नीतू की शादी में सुरक्षा इंतजाम करने के निर्देश दिए थे। इधर, जिला प्रशासन के निर्देश पर गुरवार शाम से ही सुमेरपुर एसडीएम, तहसीलदार, डीएसपी खिमाड़ा गांव में पहुंच गए थे। उन्होंने नीतू उसके परिजनों से बात की। ग्रामीणों को साथ लेकर परिवार से समझाइश भी की, लेकिन परिजन अपनी सामाजिक परंपरा के अनुसार ही विवाह की रस्में पूरी करने पर अड़े रहे। शुक्रवार सुबह सात बजे ही नीतू का दूल्हा प्रवीण भार्गव बारात लेकर खिमाड़ा गांव पहुंच गया।
शादीकी रस्म के बाद समाज के लोगों का झेलना पड़ा विरोध : सामाजिकरीति रिवाजों को ध्यान में रखते हुए दुल्हन नीतू भार्गव दूल्हा प्रवीण भार्गव बिना बैंड-बाजों घोड़ी के विवाह स्थल पर पहुंचे और वहां तोरण की रस्म पूरी की गई। तोरण की रस्म के बाद दोनों का विवाह किया गया। इस बीच तोरण की रस्म के बाद प्रशासन द्वारा ऐन वक्त पर घोड़ी मंगाने पर उदयपुर, भरतपुर, झुंझनू, जयपुर और कोटा से आए समाज के लोगों ने कुछ सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने इसका विरोध करते हुए रोष जताया। साथ ही उन्होंने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर प्रशासन के इस रवैये की निंदा की। समाज के लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासन खुद इस मामले को लेकर दबाव में नजर आया।
भाईने कहा-दबाव में आया प्रशासन : इधर,इस पूरे मामले पर नीतू की बुआ के बेटे लक्ष्मणसिंह ने जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाया कि इस मामले को लेकर प्रशासन खुद दबाव में था। उसका कहना था कि रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़ने के लिए किसी ने भी पहल नहीं की। इसके साथ ही शादी के दो दिन पूर्व परिवार पर दबाव बनाकर सांडेराव थाने की ओर से यह लिखवाया गया था कि हमें किसी भी तरह की सुरक्षा नहीं चाहिए।
यह है मामला- पाली के खिमाड़ा गांव निवासी सीआईएसएफ में कार्यरत दलित परिवार की नीतू के बुआ के बेटे लक्ष्मण सरियाला ने सीएम वसुंधरा राजे को पत्र लिखकर शुक्रवार को नीतू की शादी में बैंड-बाजों घोड़ी पर बैठ तोरण की रस्म अदा करने की बात करते हुए प्रशासन का सानिध्य-सुरक्षा मांगी थी। गांव में सुरक्षा से इंतजाम करने की मांग की थी। इस पर राष्ट्रीय एससी आयोग ने इस मामले में प्रसंज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन पुलिस अधिकारियों को सुरक्षा के इंतजाम करने के निर्देश दिए थे। हालांकि नीतू उसके पिता ने पहले ही पुलिस-प्रशासन के यह लिख दिया था कि वो अपने सामाजिक परंपरा के अनुसार ही शादी की रस्में पूरी करेंगे।
प्रशासन पर घोड़ी देरी से मंगाने का आरोप- इस मामले को लेकर प्रदेश के कई जिलों से पहुंचे समाज के लोगों सामाजिक संगठनों ने पदाधिकारियों ने प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रकट करते हुए कहा कि तोरण की रस्म पूरी होने के बाद घोड़ी पहुुंची। जानबूझकर घोड़ी देरी से मंगाई, प्रशासन खुद इस मामले को लेकर दबाव में था। विरोध के बाद घोड़ी मंगाई तो दूल्हे ने घोड़ी पर बैठने से मना कर दिया
...और प्रशासन का पक्ष- तहसीलदार का कहना है कि प्रशासन गुरुवार शाम से ही गांव में पहुंच गया था। दुल्हन उसके परिजनों से बात की। पंचायत प्रशासन और उससे जुड़े लोगों के साथ परिवार के लोगों से समझाइश की, लेकिन नीतू परिवार के लोगों ने कहा यहां घोड़ पर बैठने की परंपरा नहीं है और उन्होंने दूल्हे को घोड़ी पर बैठाने से इनकार कर दिया। इसके बाद कुछ बाहरी लोगों ने विरोध किया।
शादी की रस्म पूरी होने तक पुलिस-प्रशासन रहा तैनात
सीआईएसएफकी जवान नीतू मेघवाल के विवाह समारोह को लेकर जिला और पुलिस प्रशासन को सख्त निर्देश जारी किए गए थे। इस पर दो दिन तक गांव में पुलिस जाप्ता तैनात रहा। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारी सहित पुलिस प्रशासन के अधिकारी शादी की रस्म पूरी होने तक वहां मौजूद थे। शादी समारोह में सुमेरपुर एसडीएम महिपाल भारद्वाज, तहसीलदार विमलेंद्रसिंह राणावत, सुमेरपुर डिप्टी अमरसिंह चंपावत, सांडेराव थानाधिकारी अमराराम मीणा, भू- निरीक्षक मूलसिंह सहित कई अधिकारी मौजूद थे।
^प्रशासन पूरी तरह से चाकचौबंद रहा। प्रशासन द्वारा ही घोड़ी की व्यवस्था की गई। परिवार वालों ने घोड़ी पर बैठने से मना कर दिया और कहा कि हमारे समाज में घोड़ी को बाबा रामदेव की सवारी मानते हैं, इसलिए नहीं बैठते हैं। जबरन किसी को बैठाया नहीं जा सकता है। -विमलेंद्रसिंह राणावत, तहसीलदार, सुमेरपुर
^पुलिसप्रशासन पूरी तरह से दलित परिवार के साथ था। शांति सुरक्षा का पूरा बंदोबस्त किया गया था। पूर्व में इसी गांव में दलित परिवारों के शादी समारोह घोड़ी बैंडबाजों के साथ हुए हैं। गांव में किसी को विरोध नहीं था और आज भी नहीं है। परिवार वालों के साथ दूल्हा दुल्हन ने भी सामाजिक रीति-रिवाज से ही विवाह करने की बात कही। यह भी कहा कि अगर उनको जबरन घोड़ी पर बिठाया तो बारात वापस लेकर चले जाएंगे। -अमरसिंह चंपावत, डीएसपी, सुमेरपुर
किसी भी तरह का नहीं था दबाव, हम तैयार थे : उपसरपंच
इसमामले को लेकर खिमाड़ा राणावत ग्राम पंचायत के उपसरपंच महेंद्रसिंह राणावत का कहना था कि बंदौली से लेकर शादी की रस्म पूरी होने तक हम लोग मौजूद थे। दुल्हन की बंदौली दूल्हे के तोरण की रस्म घोड़ी पर करवाने के लिए काफी प्रयास भी किए गए, लेकिन दोनों राजी नहीं हुए। राणावत का यह भी कहना था कि गांव में पूर्व में भी दलित परिवारों के कई विवाह समारोह में घोड़ी बैंड-बाजे के साथ तोरण की रस्म बंदौली निकाली गई है। किसी भी तरह से कोई विरोध नहीं हुआ था। इस बार भी हमने प्रयास किए।
परिवार के सदस्यों के कंधो पर बैठकर दूल्हे ने मारा तोरण।





 










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