दिल्ली।वाइफ के साथ बिना सहमति के नहीं बना पाएंगे 'SEX रिलेशन'
सरकार सैद्धांतिक रुप से मानती है कि सहमति के बिना पत्नी के साथ यौन-संबंध बनाना अपराध है और वह इस संबंध में संबंधित कानूनों में बदलाव करने के लिए तैयार है। इसके चलते सरकार इस संबंध में समग्रता से विचार कर रही है।
गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने शुक्रवार को राज्यसभा में कांग्रेस के अविनाश पांडे के निजी विधेयक 'भारतीय दंड संहिता(संशोधन) विधेयक 2014 पर हुए चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सहमति के बिना पत्नी के साथ यौन संबंध बनाने (मेरिटल रेप) से संबंधित मुद्दा बहुत व्यक्तिगत, जटिल और संवेदनशील है। इस पर विचार करते समय पारिवारिक एवं सामाजिक ढांचे पर भी ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सरकार मानती है कि पत्नी के साथ सहमति के बिना यौन संबंध बनाना अपराध है। इसलिए सरकार इस संबंध में समग्रता से विचार कर रही है।
विधि आयोग कर रहा है आईपीसी की समीक्षा
रिजिजू ने बताया कि विधि आयोग भारतीय दंड संहिता की समीक्षा कर रहा है। आईपीएसी की धारा 375 और 376 सहमति के बिना शारीरिक संबंध बनाने से संबंधित है और आयोग इनकी भी समीक्षा कर रहा है। इसके अलावा संसदीय समितियों ने भी इस विषय पर विस्तृत रुप से अध्ययन किया है। गृह मंत्रालय की एक विभागीय समिति ने भी इस पर एक रिपोर्ट तैयार की है। रिजिजू ने कहा कि सरकार विधि आयोग की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है और उससे जल्दी से जल्दी से रिपोर्ट देने को कहा गया है। उन्होंने सदस्यों से भी इस संबंध में सुझाव देने की अपील करते हुए कहा कि सरकार सहमति के बिना पत्नी के साथ यौन संबंध को कानूनी तौर पर अपराध बनाने के लिए विधेयक लाएगी।
अभी घरेलू हिंसा के अतंर्गत आता है बिना इजाजत संबंध बनाना
रिजिजू ने कहा कि हालांकि सहमति के बिना पत्नी के साथ यौन संबंध बनाने से संबंधित शिकायतों के लिए अभी भी आईपीसी में प्रावधान है। इस संबंध में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा कानून तथा महिलाओं के प्रति निर्दयता से संबंधित आईपीसी की कई धाराओं के तहत भी शिकायत की जा सकती है। निजी विधेयक पेश करने वाले सदस्य अनिवाश पांडे ने कहा कि सहमति के बिना पत्नी के साथ यौन संबंध बनाने की समस्या को व्यापक परिदृश्य में देखने की जरुरत है।
इसी वजह से बढ़ रही है 'लिव इन रिलेशनशिप' की अवधारणा
अविनाश पांडे ने अपना एक निजी अनुभव साझा करते हुए कहा कि आधुनिक लडकियां ऐसी ही समस्याओं के कारण विवाह से इंकार कर रही है। इसी के कारण समाज में ' लिव इन रिलेशनशिप' की अवधारणा आ गई है। उन्होंने कहा कि इस समस्या को आंकडों के आधार पर नही देखा जाना चाहिए। ऐसे मामलों की औपचारिक शिकायत नहीं की जाती है और अधिकतर मामलों में महिलाओं का लंबे समय तक शोषण होता रहता है। उन्होंने कहा कि यह सरकार 'बहुत हुआ नारी पर वार, अबकी बार मोदी सरकार' के नारे के साथ सत्ता में आई है। इसलिए इस संबंध में सरकार को कानून बनाना चाहिए। रिजिजू के आश्वासन के बाद श्री पांडे ने अपना विधेयक वापस ले लिया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें