जहरीली जड़ी-बूटी के लड्डू खाने से परिवार के मुखिया की मौत
गोगुंदाजहरीले जड़ी -बूटियों के लड्डू खाने से एक परिवार के मुखिया की मौत हो गई व पांच गंभीर रूप से अचेत हो गए। जख्मी हालत में उन्हंे गोगुंदा अस्पताल में भर्ती करने के बाद उदयपुर रेफर कर दिया है। जानकारी के अनुसार सुरण गांव निवासी लाला (50) पुत्र समीरा गरासिया के परिवार के लोग गठिया से ग्रस्ति हैं। इसका उपचार करने के लिए वह 10 नंवबर को जंगल से कोई जड़ी बूटी लेकर आया। उसके लड्डू बनाए व सभी परिवारजनों को खिला दिए। एक घंटे बाद सभी को उल्टियां होने लगी। सभी लोग अचेत हो गए। पड़ोसियों ने सरपंच नारायण पालीवाल को सूचना दी। सरपंच ने मौके पर पहुंचकर 108 एंबुलेंस से गोगुन्दा चिकित्सालय पहुंचााया। जहां लाला ने दम तोड़ दिया व उसके पुत्र मालाराम ,शंकर, पुत्री कमला मालाराम की पत्नी मीरा, उसका दो साल का बेटा लक्ष्मण को गंभीर अवस्था में उदयपुर रेफर किया गया।
बिना जांचे परखे कर दिया जड़ी-बूटी का सेवन
आज के आधुनिक हाइटेक दौर में भी ग्रामीण क्षेत्र में लोग बिना जांचे परखे ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज के लिए जड़ी-बूटी का सहारा ले रहे हैं। सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास करने से लाल ने खुद की जान ले ली और पूरा परिवार अचेत अवस्था में अस्पताल में पड़ा है। एक छोटी सी नादानी ने दीपावली की खुशियों पर पानी फेर दिया। सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं का अभाव होने से ग्रामीण क्षेत्र में लोग या तो सुनी-सुनाई बातों पर गौर कर अपना इलाज कर रहे हैं या नीम-हकीमों की चंगुल में फंस कर अपनी सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं।
चिकित्सालय विभाग पर लापरवाही का आरोप
सरंपच ने आरोप लगाया कि चिकित्सा विभाग की लापरवाही से रोगियों को पर्याप्त इलाज मुहैया नहीं हो पा रहा है। जहरीले लड्डुआें के खाने से जब लाला के परिवार को अस्पताल में भर्ती किया गया तो समय पर प्राथमिक उपचार नहीं किया गया और न ही समय पर रेफर किया गया।
गोगुंदाजहरीले जड़ी -बूटियों के लड्डू खाने से एक परिवार के मुखिया की मौत हो गई व पांच गंभीर रूप से अचेत हो गए। जख्मी हालत में उन्हंे गोगुंदा अस्पताल में भर्ती करने के बाद उदयपुर रेफर कर दिया है। जानकारी के अनुसार सुरण गांव निवासी लाला (50) पुत्र समीरा गरासिया के परिवार के लोग गठिया से ग्रस्ति हैं। इसका उपचार करने के लिए वह 10 नंवबर को जंगल से कोई जड़ी बूटी लेकर आया। उसके लड्डू बनाए व सभी परिवारजनों को खिला दिए। एक घंटे बाद सभी को उल्टियां होने लगी। सभी लोग अचेत हो गए। पड़ोसियों ने सरपंच नारायण पालीवाल को सूचना दी। सरपंच ने मौके पर पहुंचकर 108 एंबुलेंस से गोगुन्दा चिकित्सालय पहुंचााया। जहां लाला ने दम तोड़ दिया व उसके पुत्र मालाराम ,शंकर, पुत्री कमला मालाराम की पत्नी मीरा, उसका दो साल का बेटा लक्ष्मण को गंभीर अवस्था में उदयपुर रेफर किया गया।
बिना जांचे परखे कर दिया जड़ी-बूटी का सेवन
आज के आधुनिक हाइटेक दौर में भी ग्रामीण क्षेत्र में लोग बिना जांचे परखे ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज के लिए जड़ी-बूटी का सहारा ले रहे हैं। सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास करने से लाल ने खुद की जान ले ली और पूरा परिवार अचेत अवस्था में अस्पताल में पड़ा है। एक छोटी सी नादानी ने दीपावली की खुशियों पर पानी फेर दिया। सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं का अभाव होने से ग्रामीण क्षेत्र में लोग या तो सुनी-सुनाई बातों पर गौर कर अपना इलाज कर रहे हैं या नीम-हकीमों की चंगुल में फंस कर अपनी सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं।
चिकित्सालय विभाग पर लापरवाही का आरोप
सरंपच ने आरोप लगाया कि चिकित्सा विभाग की लापरवाही से रोगियों को पर्याप्त इलाज मुहैया नहीं हो पा रहा है। जहरीले लड्डुआें के खाने से जब लाला के परिवार को अस्पताल में भर्ती किया गया तो समय पर प्राथमिक उपचार नहीं किया गया और न ही समय पर रेफर किया गया।
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