शनिवार, 14 नवंबर 2015

खूब जमी एक शाम दोहाकार विजेंद्र शर्मा के नाम गई रात तक बहती रही सुरसरिता

खूब जमी एक शाम दोहाकार विजेंद्र शर्मा के नाम  गई रात तक बहती रही सुरसरिता

कुं.चन्द्रसिंह बिरकाळी सम्मान से किया सम्मानित

हनुमानगढ़, 14 नवम्बर। मरुधरा साहित्य परिषद की ओर से 13 नवम्बर कि शाम को ढिल्लों कॉलोनी,जंक्शन स्थित स्वामी विवेकानंद मॉडल माध्यमिक विद्यालय में देश के ख्यातनाम गजलकार एवं दोहाकार विजेंद्र शर्मा के सम्मान में 'एक शाम शब्द सारथी विजेंद्र के नामÓ कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्थान कॉलेज के प्राचार्य और राजस्थान आर्थिक परिषद के अध्यक्ष डॉ. संतोष राजपुरोहित ने की तथा आकाशवाणी सूरतगढ़ के वरिष्ठ उद्घोषक एवम् साहित्यकार राजेश चड्ढा मुख्य अतिथि तथा वरिष्ठ पत्रकार बालकृष्ण थरेजा 'बंटीÓ, गोपाल झा, दीनदयाल शर्मा वशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में विजेंद्र शर्मा ने अपनी सृजन यात्रा का वृतांत प्रस्तुत करते हुए गजल व दोहे के कहन व उनकी सृजनात्मक बारीकियों पर अपने विचार व्यक्त किये और अपने चुनिंदा दोहे व गजलें प्रस्तुत कर उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने आज के बदलते परिवेश में पति पत्नी के सम्बन्धों पर कटाक्ष करते हुए दोहा 'जग जाहिर होती नहीं, इस रिश्ते की थोथ, भीतर तो कड़वाहटें, बाहर करवा चौथÓ सुनाया तो श्रोता अपनी तालियां रोक नहीं पाए। उन्होंने पत्रकारों का आह्वान करते हुए कहां 'भले कलम दे हाथ में, या दे दे तलवार, मौला इनकी तू मगर, पैनी रखियो धार।Ó क्षेत्र में फसलों के खराब हो जाने और किसानों के वर्तमान हालत पर जब ये दोहा 'कितना हुआ किसान का, पता करो नुकसान, पटवारी के आ गई, आँखों में मुस्कानÓ सुनाया तो हॉल तालियों से गूंज उठा। भाषा पर 'उर्दू-हिंदी को मिले ऐसे ठेकेदार, जिनके घर कि आबरू, अंग्रेजी अख़बारÓ दोहा सुनाया और 'सर पर माँ का हाथ है, क्या दूँ और सबूत, मुझको लिए बगैर ही, लौट गये यमदूतÓ पर तो हर शख्स वाह-वाह करता रहा। विजेंद्र शर्मा के कविता पाठ के बाद वरिष्ठ साहित्यकार ओम पुरोहित 'कागदÓ ने दोहाकार विजेंद्र शर्मा के कृतित्व पर तथा डॉ. प्रेम धींगड़ा ने उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ कवि नरेश मेहन, अनिल जांदू, राजूसारसर राज, मनोज देपावत, हरीश हैरी, संजय शिल्प, एम.ए.राठौड़, डॉ. शीतल धूडिय़ा, राजू रामगढिय़ा, भारतेंदु सैनी, मनीष जांगिड़, विनोद यादव, जितेंद्र बठला ने कवि विजेंद्र शर्मा की सृजन यात्रा पर सिलसिलेवार विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर विजेंद्र शर्मा के साहित्यिक योगदान के लिए  वर्ष 2015 का कुं.चन्द्रसिंह बिरकाळी सम्मान प्रदान किया गया। मरुधरा साहित्य परिषद की ओर से यह सम्मान प्रतिवर्ष एक साहित्यकार को दिया जाता है। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ. संतोष राजपुरोहित ने कहा कि राजस्थान कॉलेज में प्रकृति के चितेरे कवि कु. चन्द्रसिंह बिरकाळी के नाम पर हिंदी साहित्यपीठ की स्थापना की गई है। विशिष्ठ अतिथि बालकृष्ण थरेजा ने कहा कि हनुमानगढ़ जिले के महाविद्यालयों के हिंदी विभागों की ओर से जिले के साहित्यकारों पर लघु शोध के साथ साथ एम फिल व पीएचडी स्तर के शोध करवाये जाने चाहिए। कार्यक्रम के अंत में मरुधरा साहित्य परिषद के उपाध्यक्ष अनिल जांदू व सचिव नरेश मेहन ने आगंतुक अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संयोजन ओम पुरोहित 'कागदÓ ने किया ।

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